नई दिल्लीः सीएलएफएमए ऑफ इंडिया (क्लेफमा) अपने 64वें राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन करने जा रहा है, जिसमें पशुधन उद्योग से जुड़े मुद्दों पर चर्चा और मंथन किया जाएगा। 18-19 अगस्त 2023 को दिल्ली के होटल ली मेरिडियन, विंडसर प्लेस जनपथ में होने वाले इस राष्ट्रीय सम्मेलन में दुनिया भर से करीब 500 एक्सपर्ट्स हिस्सा लेंगे, जो इस क्षेत्र को और अधिक उन्नत बनाने के विकल्पों पर चर्चा करेंगे।
इस कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए सीएलएफएमए ऑफ इंडिया के चेयरमैन सुरेश देवड़ा ने कहा कि हम हर वर्ष अपने इस सम्मेलन में पशुधन उद्योग को और बेहतर बनाने के ऊपर चर्चा करते हैं और इस बार भी राष्ट्रीय सम्मेलन में पशुधन उद्योग से संबंधित ज्वलंत विषय चर्चा और विचार-विमर्श के केंद्र में रहेंगे।
इस बार परिचर्चा का विषय होगा- "पशुधन क्षेत्र: वर्तमान से आगे की तलाश" जिस पर पैनल के सदस्य अपने-अपने विचार रखेंगे। इस परिचर्चा में उद्योग के दिग्गज, भारत सरकार के विशेषज्ञ और विभिन्न स्टेकहोल्डर्स शामिल होंगे। उन्होंने यह भी साझा किया कि कार्यक्रम में केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी सरकार के कैबिनेट मंत्री परुषोत्तम रुपाला मत्स्य पालन, पशु पालन और डेयरी उद्योग के राज्य मंत्री डॉ. संजीव बाल्यान के साथ राज्यमंत्री और विभाग के सचिव के भी शामिल होने की संभावना है।
सुरेश देवड़ा ने बताया कि सीएलएफएमए एक पशुधन संघ और शीर्ष संगठन है, जो देश में पशुपालन पर आधारित कृषि का प्रतिनिधित्व करता है और 1967 में शुरू हुए पशुधन उद्योग की 'वन वॉयस' यानी 'एक आवाज' योजना को बढ़ावा देता है। अखिल भारतीय स्तर पर एसोसिएशन के 225 से ज्यादा सदस्य हैं, जिनके माध्यम से फीड मैन्यूफैक्चरिंग और एनीमल प्रोटीन वैल्यू चेन को मजबूत आधार मिलता है।
जिनमें एक्वा, डेयरी, पोल्ट्री, एनिमल न्यूट्रिशन और स्वास्थ्य, पशु चिकित्सा सेवाएं, मशीनरी व उपकरण से संबंधित अन्य व्यवसाय, एनिमल प्रोटीन की प्रोसेसिंग, डिस्ट्रीब्यूशन और खुदरा बिक्री शामिल है। ध्यान देने योग्य बात यह भी है कि दुनियाभर में कई राष्ट्र इस सेक्टर की अहमियत को समझते हुए पशुओं के स्वास्थ्य और पशु पालकों के उत्थान के लिए योजनाएं बनाकर निवेश कर रहे हैं।
जिस प्रकार से दुनियाभर में उच्च गुणवत्ता वाले डेयरी उत्पादों की मांग बढ़ रही है, उससे आने वाले समय में इस क्षेत्र के भी विस्तार लेने की पूरी आशा है। पशुधन सेक्टर भारतीय अर्थव्यवस्था की भी महत्वपूर्ण धुरी है और भारत की कुल जीवीए में 6.17 प्रतिशत की भागीदारी के साथ मौजूद है। इतना ही नहीं यह सेक्टर किसानों और पशुपालन क्षेत्र से जुड़े लोगों को रोजगार भी प्रदान कराता है।