केयर्न ने कहा, पैसा नहीं लौटाने की स्थिति में विदेशों में जब्त हो सकती है भारतीय संपत्तियां
By भाषा | Updated: March 9, 2021 18:06 IST2021-03-09T18:06:21+5:302021-03-09T18:06:21+5:30

केयर्न ने कहा, पैसा नहीं लौटाने की स्थिति में विदेशों में जब्त हो सकती है भारतीय संपत्तियां
नयी दिल्ली, नौ मार्च ब्रिटेन की तेल कंपनी केयर्न एनर्जी पीएलसी ने मंगलवार को कहा कि उसने विदेशों में भारतीय संपत्तियों को चिन्हित किया है जिसे वह भारत सरकार की ओर से 1.7 अरब डॉलर की राशि नहीं लौटाये जाने की स्थिति में जब्त कर सकती है।
एक अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण ने पूर्व की तिथि से की गई कर मांग को निरस्त करते हुए भारत सरकार से 1.7 अरब डॉलर केयर्न एनर्जी को लौटाने को कहा है।
केयर्न ने 2020 की सालाना आय से जुड़े बयान में कहा, ‘‘कंपनी को भरोसा है कि जो फैसला आया है, उसे बातचीत के जरिये या फिर भारतीय संपत्तियों को जब्त कर लागू कराया जाएगा।’’
कंपनी ने फैसले को पंजीकृत कराने और उसे मान्यता प्रदान करने के लिये नौ देशों की अदालतों का दरवाजा खटखटाया है।
उसने कहा, ‘‘न्यायाधिकरण ने आम सहमति से यह आदेश दिया कि भारत ने केयर्न के मामले में ब्रिटेन-भारत द्विपक्षीय निवेश संधि के तहत अपनी बाध्यताओं को तोड़ा है और 1.2 अरब डॉलर के साथ ब्याज तथा लागत का भुगतान करने को कहा। इसके तहत कुल बकाया साल के अंत तक 1.7 अरब डॉलर था।
कंपनी ने कहा कि उसने फैसले को अमल में लाने के लिये भारत सरकार के साथ प्रत्यक्ष रूप से बातचीत की है। इसे भारत की 160 से अधिक देशों में संपत्ति जब्त करके भी लागू किया जा सकता है जिसने विदेशी न्यायाधिकरण के आदेश को मान्यता देने एवं प्रवर्तन के लिये 1958 के न्यूयार्क कन्वेंशन को मंजूरी दी हुई है और हस्ताक्षर किया है।
बयान में कहा गया है, ‘‘केयर्न ने उन प्रमुख देशों में आदेश को मान्यता प्रदान करने के इरादे से कदम उठाया है, जहां संपत्ति की पहचान की गयी है।’’
इससे पहले, पीटीआई-भाषा ने आठ मार्च को खबर दी थी कि नीदरलैंड के तीन सदस्यीय स्थायी मध्यस्थता न्यायाधिकरण के 21 दिसंबर के निर्णय को अमेरिका, ब्रिटेन, नीदरलैंड, कनाडा और फ्रांस की अदालतों ने मान्यता दी है।
केयर्न ने आदेश को सिंगापुर, जापान, संयुक्त अरब अमीरात और केमैन आईलैंड से मान्यता प्राप्त करने को लेकर प्रक्रिया शुरू की है।
अगर सरकार निर्णय के अनुसार राशि नहीं लौटाती है, तो उसे लागू करने को लेकर फैसले को संबंधित देशों में दर्ज कराना पहला कदम है।
अदालत के एक बार मान्यता देने के बाद कंपनी संबंधित राशि की वसूली को लेकर भारत सरकार की कोई भी संपत्ति जब्त करने को लेकर याचिका दे सकती है। इसमें बैंक खाता, सरकारी इकाइयों को भुगतान, विमान या जहाज शामिल है।
अब तक सरकार ने सीधे तौर पर केयर्न मामले में फैसले को चुनौती देने या उसका सम्मान करने को लेकर कोई प्रतिबद्धता नहीं जतायी है। हालांकि, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले सप्ताह अपील करने का संकेत दिया था।
न्यायाधिकरण ने 21 दिसंबर को अपने आदेश में कहा था कि सरकार ने ब्रिटेन के साथ निवेश संधि का उल्लंघन किया है। अत: 10,247 करोड़ रुपये की कर मांग को लेकर कंपनी के जो शेयर उसने जब्त किये और बेचे, लाभांश और कर वापसी जो भी जब्त किये, उसे लौटाने की जवाबदेही है।
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