आम आदमी, व्यापारी और नेता; आम बजट-2018 का सभी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। 29 जनवरी से संसद का बजट सत्र शुरू हो गया है। बजट पेश करने से पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आर्थिक समीक्षा पेश की। इस लेख में आपको बजट-2018 पेश करने की तारीख, स्पीच का समय और बजट सत्र से जुड़े कई जरूरी सवालों के जवाब मिलेंगे। उससे पहले जानिए क्यों खास है इस बार का बजट-- 2019 लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार का आखिरी पूर्णकालिक बजट है। - 2017 में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के बाद यह पहला बजट है।- 2018 में कई राज्यों के विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। जिनमें कर्नाटक राजस्थान और मध्य प्रदेश शामिल हैं।
बजट-2018 किस तारीख को पेश किया जाएगा?
पिछले सालों की तरह इस बार भी केंद्रीय बजट 1 फरवरी को पेश किया जाएगा। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली इस बजट को सदन के सामने रखेंगे। यह मोदी सरकार का चौथा और 2019 लोकसभा चुनावों से पहले आखिरी पूर्णकालिक बजट है।
बजट-2018 की स्पीच कितने बजे होगी?
वित्त मंत्री अरुण जेटली 1 फरवरी को दोपहर 11 बजे सदन में बजट पेश करेंगे। उसी वक्त उनका भाषण शुरू होगा। उनका भाषण करीब 1 घंटे का होगा। बजट-2017 के भाषण की शुरुआत करते हुए अरुण जेटली ने कहा था,
'मैडम स्पीकर, वसंत पंचमी के इस खास मौके पर मैं वित्त वर्ष 2017-18 का बजट पेश करता हूं।'
रेल बजट-2018 कब पेश किया जाएगा?
मोदी सरकार ने ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए रेलवे बजट का समावेश आम बजट में ही कर दिया था। 2017 में पहली बार रेल और आम बजट एक साथ पेश किए गए। इस साल भी वित्त मंत्री अरुण जेटली 1 फरवरी को आम बजट के साथ ही रेल बजट पेश करेंगे।
बजट सत्र से जुड़ी अन्य जरूरी तारीखें
बजट सत्र का पहला भाग 29 जनवरी से 9 फरवरी के बीच होगा। इसमें 29 जनवरी को इकोनॉमिक सर्वे पेश किया गया। 1 फरवरी को बजट पेश किया जाएगा। इसके बाद सदन 5 मार्च से 6 अप्रैल तक आयोजित किया जाएगा। इसमें अलग-अलग विभागों की स्टैंडिंग कमेटी के का बजट क्लियर किया जाएगा।
इकोनॉमिक सर्वे 2018 की खास बातें
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट पेश करने से पहले 29 जनवरी को इकोनॉमिक सर्वे 2018 पेश किया। यह एक वार्षिक दस्तावेज होता है जिसमें सरकार की नीतियों का क्या प्रभाव पड़ा इसका आंकलन किया जाता है। आर्थिक समीक्षा 2018 से जुड़ी कुछ खास बातें...
1. इस साल जीडीपी 6.75 प्रतिशत की दर से बढ़ी है। आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक 2018-19 में जीडीपी 7 से 7.5 प्रतिशत की दर बढ़ सकती है। पिछले साल अगस्त में मध्यावधि आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया गया था जिसमें जीडीपी की वार्षिक दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था।
2. आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक तेल की बढ़ती कीमतें चिंता का विषय हैं। कीमतें स्थिर रखने का प्रयास किया जाएगा।
3. अगले वित्त वर्ष में कृषि, शिक्षा और रोजगार पर फोकस रहेगा। इसके अलावा जीएसटी को भी ठीक तरीके से स्थापित किया जाएगा।
4. इस साल मैनुफैक्चरिंग ग्रोथ 8 प्रतिशत तक पहुंच गई है।
5. इस साल एग्रीकल्चर ग्रोथ 2.1 प्रतिशत रही है।
6. नोटबैन और जीएसटी के फैसलों के बाद 80 लाख नए टैक्सपेयर्स जुड़े हैं। इनमें 50 प्रतिशत अप्रत्यक्ष करदाताओं की संख्या में बढ़ोत्तरी है।
7. महाराष्ट्र, यूपी, तमिलनाडु और गुजरात ऐसे राज्य हैं जहां सबसे बड़ी संख्या में जीएसटी पंजीकरण कराए गए। यूपी और पश्चिम बंगाल में नए करदाताओं के पंजीकरण में बढोत्तरी दर्ज की गई।
8. भारतीय इतिहास में पहली बार पांच राज्यों - महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु और तेलंगाना में 70 प्रतिशत निर्यात रिकॉर्ड हुआ। भारत का अंदरूनी व्यापार भी काफी बढ़ा है।
9. आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार वर्ष 2017-18 में राजकोषीय घाटा 3.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है।