BSE Sebi: शेयर बाजार को अब अधिक नियामक शुल्क चुकाना पड़ेगा, सेबी ने नया निर्देश किया जारी, जानें असर और क्या है गाइडलाइन

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: April 29, 2024 05:14 PM2024-04-29T17:14:43+5:302024-04-29T17:16:16+5:30

BSE Sebi: भारतीय प्रतिभूति व विनिमय बोर्ड (सेबी) के इस कदम के बाद बीएसई का शेयर सोमवार को एनएसई में 13.31 प्रतिशत तक गिरकर 2,783 रुपये पर बंद हुआ।

BSE SEBI issues new instructions on regulatory fees for BSE, shares fall Stock market now pay more regulatory fees what guideline | BSE Sebi: शेयर बाजार को अब अधिक नियामक शुल्क चुकाना पड़ेगा, सेबी ने नया निर्देश किया जारी, जानें असर और क्या है गाइडलाइन

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Highlightsकारोबार के दौरान एक समय करीब 19 प्रतिशत तक लुढ़क गया था। नियामक को वार्षिक कारोबार पर नियामक शुल्क का भुगतान कर रहा है।सभी अनुबंधों पर भुगतान किए गए ‘प्रीमियम’ का योग है।

BSE Sebi: बाजार नियामक सेबी के बीएसई को प्रीमियम मूल्य के बजाय उसके विकल्प अनुबंधों के ‘कुल मूल्य’ के आधार पर शुल्क का भुगतान करने का निर्देश देने के बाद शेयर बाजार को अब अधिक नियामक शुल्क चुकाना पड़ सकता है। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि अलुबंध के कुल मूल्य (नोशनल वैल्यू) तथा प्रीमियम मूल्यों के बीच बड़े अंतर के कारण सेबी को बीएसई के नियामक शुल्क भुगतान में वृद्धि होगी। एक्सचेंज को पिछले वर्षों के अंतर भुगतान को ब्याज सहित चुकाने को कहा गया है। बीएसई के शुरुआती आंकड़ों से पता चलता है कि एक्सचेंज को 165 करोड़ रुपये के साथ जीएसटी का भुगतान पड़ सकता है। भारतीय प्रतिभूति व विनिमय बोर्ड (सेबी) के इस कदम के बाद बीएसई का शेयर सोमवार को एनएसई में 13.31 प्रतिशत तक गिरकर 2,783 रुपये पर बंद हुआ।

कारोबार के दौरान एक समय करीब 19 प्रतिशत तक लुढ़क गया था। बीएसई ने शुक्रवार को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) को दी सूचना में कहा, ‘‘ बीएसई को विकल्प अनुबंध के मामले में कुल मूल्य पर विचार करते हुए सेबी को वार्षिक कारोबार के आधार पर नियामक शुल्क का भुगतान करने की सलाह दी जाती है।’’

सूचना में कहा गया, साथ ही बीएसई को बची हुई बिना भुगतान वाली राशि पर 15 प्रतिशत प्रति वर्ष ब्याज के साथ पिछली अवधि के लिए नियामक शुल्क का भुगतान करने को कहा गया है। पत्र प्राप्त होने के एक महीने के भीतर राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया गया है। सेबी के पत्र में उल्लेख किया गया कि डेरिवेटिव अनुबंधों की शुरुआत के बाद से बीएसई कुल मूल्य के बजाय विकल्प अनुबंधों के लिए प्रीमियम मूल्य पर विचार करते हुए नियामक को वार्षिक कारोबार पर नियामक शुल्क का भुगतान कर रहा है।

बीएसई ने रविवार को कहा कि वह वर्तमान में सेबी के पत्र में किए गए दावे की वैधता का मूल्यांकन कर रहा है। विकल्प कारोबार में ‘नोशनल’ यानी कुल कारोबार किए गए सभी अनुबंधों के कुल खरीद/बिक्री मूल्य का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि ‘प्रीमियम टर्नओवर’ कारोबार किए गए सभी अनुबंधों पर भुगतान किए गए ‘प्रीमियम’ का योग है।

चूंकि कुल मूल्य ‘प्रीमियम’ कारोबार से अधिक है, ऐसे में कुल कारोबार का चयन करने पर उच्च शुल्क का भुगतान करना होगा। बीएसई ने कहा कि यदि उक्त राशि देनी पड़ती है, तो वित्त वर्ष 2006-07 से वित्त वर्ष 2022-23 तक के लिए कुल अतिरिक्त सेबी विनियामक शुल्क 68.64 करोड़ रुपये के अलावा जीएसटी होगा। इसमें 30.34 करोड़ रुपये का ब्याज शामिल है। इसके अलावा, वित्त वर्ष 2023-24 के लिए अतिरिक्त सेबी विनियामक शुल्क, यदि देय है, तो लगभग 96.30 करोड़ रुपये के अलावा जीएसटी हो सकता है।

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