6 माह में 100000 युवाओं को नौकरी?, चुनाव से पहले श्रम संसाधन मंत्री संतोष कुमार ने किया ऐलान, छात्र रहे तैयार
By एस पी सिन्हा | Updated: January 31, 2025 17:09 IST2025-01-31T17:05:09+5:302025-01-31T17:09:01+5:30
Bihar Politics: पिछले छह महीने में 48 हजार युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराया गया है। अगले छह से सात महीने में एक लाख युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है।

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पटनाः बिहार के श्रम संसाधन मंत्री संतोष कुमार ने शुक्रवार को कहा कि अगले छह महीने में बिहार के एक लाख युवाओं को नौकरियां दी जाएंगी। कौशल विकास, स्वरोजगार और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के जरिए सरकार इस लक्ष्य को हासिल करेगी। उन्होंने कहा कि पिछले छह महीने में 48 हजार युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराया गया है। अगले छह से सात महीने में एक लाख युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है। संतोष कुमार ने कहा कि राज्य की 60 प्रतिशत आबादी युवाओं की है। उन्हें रोजगार के समुचित अवसर उपलब्ध कराना हमारी जिम्मेदारी है।
हमारी सरकार इस दिशा में लगातार काम कर रही है, ताकि युवाओं की बेरोजगारी की समस्या का समाधान हो सके। ‘वन नेशन वन लेबर कार्ड’ की जरूरत पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि इससे देशभर के श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा का लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि बिहार जैसे राज्य से बड़ी संख्या में श्रमिक दूसरे राज्यों में काम करने जाते हैं।
लेकिन दूसरे राज्यों में श्रमिकों को अपने अधिकारों से वंचित रहना पड़ता है। संतोष कुमार ने कहा कि अगर ‘वन नेशन वन लेबर कार्ड’ लागू हो जाता है तो बिहार के श्रमिक भी देश के किसी भी हिस्से में समान योजनाओं का लाभ उठा सकेंगे। उन्होंने कहा कि केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने ‘एक राष्ट्र एक श्रमिक कार्ड’ की नीति पर विचार करने का आश्वासन दिया है।
इस योजना के लागू होने से संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों के मजदूरों को लाभ मिलेगा। संतोष कुमार ने कहा कि बिहार के मजदूर पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे राज्यों में काम करते हैं और इन राज्यों के विकास में योगदान देते हैं लेकिन उन्हें कल्याणकारी योजनाओं से वंचित रहना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि प्रवासी श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाने के लिए योजनाओं की पोर्टेबिलिटी जरूरी है। वहीं, श्रम संसाधन विभाग के सचिव दीपक आनंद ने बताया कि भारत सरकार को एक अखिल भारतीय पोर्टल बनाने का सुझाव दिया गया है, जहां श्रमिकों का डेटा सुरक्षित रखा जा सके। इससे राज्यों को लाभार्थियों का सत्यापन करने में मदद मिलेगी और प्रवासी श्रमिक कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठा सकेंगे। कार्यक्रम में विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।