अनिल अंबानी ग्रुप के CFO अशोक पाल गिरफ्तार, मनी लॉन्ड्रिंग केस में ED का एक्शन
By सतीश कुमार सिंह | Updated: October 11, 2025 09:25 IST2025-10-11T09:17:04+5:302025-10-11T09:25:35+5:30
प्रवर्तन निदेशालय ने अनिल अंबानी के रिलायंस समूह के CFO अशोक पाल गिरफ्तार को अरेस्ट किया है।

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मुंबईः प्रवर्तन निदेशालय ने रिलायंस पावर लिमिटेड के मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) अशोक कुमार पाल को कथित रिलायंस पावर फर्जी बैंक गारंटी और फर्जी इनवॉइसिंग मामले में गिरफ्तार किया है। पाल को कल रात दिल्ली कार्यालय में पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया गया। अधिकारियों ने बताया कि उन्हें आज सुबह 9.30 बजे रिमांड के लिए जज के सामने पेश किया जाएगा। धनशोधन के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार रिलायंस पावर के मुख्य वित्तीय अधिकारी आशिक कुमार पाल को गिरफ्तार कर लिया गया है।
यह गिरफ्तारी प्रवर्तन निदेशालय द्वारा धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत शुरू की गई जाँच के बाद हुई है। यह जाँच रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड और रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड द्वारा किए गए संदिग्ध ऋण धोखाधड़ी की थी। यह जाँच केंद्रीय जाँच ब्यूरो द्वारा दर्ज दो प्राथमिकियों पर आधारित है।
The Enforcement Directorate has arrested Ashok Kumar Pal, Chief Financial Officer (CFO) of Reliance Power Limited, in the alleged Reliance Power fake bank guarantee and fake invoicing case. Pal was arrested last night after questioning in the Delhi office. He will be produced…
— ANI (@ANI) October 11, 2025
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उद्योगपति अनिल अंबानी के रिलायंस समूह के एक अधिकारी को धन शोधन निरोधक कानून के तहत गिरफ्तार किया है। आधिकारिक सूत्रों ने शनिवार को यह जानकारी दी। सूत्रों ने बताया कि रिलायंस पावर के मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) अशोक पाल को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत शुक्रवार को हिरासत में लिया गया। ईडी करोड़ों रुपये के बैंक ‘‘धोखाधड़ी’’ मामलों में अनिल अंबानी समूह की कंपनियों की जांच कर रहा है।
ईडी के अनुसार आरएचएफएल और आरसीएफएल द्वारा 12,524 करोड़ रुपये के ऋण दिए गए, जिनमें से अधिकांश रिलायंस अनिल अंबानी समूह से जुड़ी कंपनियों को वितरित किए गए। इसमें से 6,931 करोड़ रुपये के ऋण को गैर-निष्पादित संपत्ति घोषित किया गया है। प्रारंभिक निष्कर्षों से पता चलता है कि धनराशि रिलायंस समूह की अन्य कंपनियों को वापस भेज दी गई।
जिससे "सर्कुलर लेंडिंग" की चिंताएँ बढ़ गई हैं। ईडी ने कहा कि यस बैंक के राणा कपूर ने इन ऋणों को मंजूरी देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ईडी ने यह भी कहा कि उनके परिवार से जुड़ी कंपनियों आरएबी एंटरप्राइजेज, इमेजिन एस्टेट्स और ब्लिस हाउस को भी ऋण सुविधाएँ प्राप्त हुईं।
हाल ही में मुंबई उच्च न्यायालय ने उद्योगपति अनिल अंबानी और रिलायंस कम्युनिकेशंस के खातों को धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत करने के भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के आदेश को बरकरार रखा है। अदालत ने कहा कि एसबीआई का यह आदेश तर्कसंगत है और इसमें कोई कानूनी खामी नहीं है।
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति नीला गोखले की पीठ ने तीन अक्टूबर को एसबीआई के 13 जून, 2025 के आदेश को चुनौती देने वाली अंबानी की याचिका खारिज कर दी। इस फैसले की प्रति मंगलवार को उपलब्ध कराई गई। अदालत ने अपने निर्णय में कहा कि अंबानी की यह दलील कि उन्हें व्यक्तिगत सुनवाई का मौका नहीं दिया गया और आवश्यक दस्तावेज नहीं उपलब्ध कराए गए, निराधार हैं।
उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के मास्टर दिशानिर्देशों के तहत एसबीआई के इस आदेश के खिलाफ केवल लिखित आपत्ति दर्ज कराने का अधिकार है, व्यक्तिगत सुनवाई का नहीं। अदालत ने कहा कि अंबानी को जारी अंतिम नोटिस पर कोई जवाब न मिलने पर बैंक ने इस खाते को धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत किया है।
इसके अलावा अदालत ने कहा कि अंबानी ने इस मामले में बैंक से व्यक्तिगत सुनवाई का कभी भी अनुरोध नहीं किया। अदालत ने कहा कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत हर स्थिति में कठोर रूप से लागू नहीं होते हैं और इस मामले में अंबानी को अपनी आपत्तियां लिखित रूप में रखने का पर्याप्त अवसर दिया गया था।
उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि जब किसी कंपनी का खाता धोखाधड़ी के रूप में घोषित होता है, तो उसके प्रवर्तक एवं निदेशक भी उत्तरदायी होते हैं। एसबीआई ने अदालत में कहा कि रिजर्व बैंक के निर्देशों के अनुरूप इस मामले में व्यक्तिगत सुनवाई आवश्यक नहीं थी। बैंक का आरोप है कि रिलायंस कम्युनिकेशंस ने अपने ऋण की शर्तों का उल्लंघन करते हुए धन का दुरुपयोग किया।
एसबीआई ने दावा किया है कि रिलायंस कम्युनिकेशंस और अंबानी द्वारा धन का दुरुपयोग किए जाने से 2,929.05 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। एसबीआई ने इस साल केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) में भी शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद जांच एजेंसी ने रिलायंस कम्युनिकेशंस से जुड़े परिसरों और अंबानी के निवास पर तलाशी ली।