अमरावती, 11 नवंबर वित्त वर्ष 2021-22 की पहली छमाही में आंध्र प्रदेश का राजस्व घाटा अभूतपूर्व रूप से 662.80 प्रतिशत, जबकि राजकोषीय घाटा 107.79 प्रतिशत बढ़ गया।
राज्य के वित्त विभाग के अधिकारियों के अनुसार, हालांकि करों और केंद्रीय अनुदानों में वृद्धि के साथ राजस्व प्राप्तियों में स्थिर वृद्धि हुई। इस वृद्धि से प्रशासन को कोई राहत नहीं मिली क्योंकि राजस्व के बाकी स्रोतों में नरमी रही।
नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (कैग) के अनुसार, पहली छमाही में राज्य की कुल प्राप्तियां 1,04,804.91 करोड़ तक पहुंच गयीं, जिसमें 39,914.18 करोड़ रुपये का उधार शामिल था।
हालांकि, कमाई का आधा हिस्सा (50,419.15 करोड़ रुपये) कल्याणकारी निशुल्क योजनाओं के लिए इस्तेमाल किया गया है, जबकि ब्याज भुगतान (पुराने ऋणों पर) और सब्सिडी बिल, वेतन एवं पेंशन के साथ कुल खर्च 1,04,723.91 करोड़ है।
2021-22 के बजट में, राज्य ने 5,000.08 करोड़ रुपये के राजस्व घाटे का अनुमान लगाया था, लेकिन अकेले अप्रैल और सितंबर के बीच यह बढ़कर 33,140.62 करोड़ रुपये (662.80 प्रतिशत) हो गया।
वित्त वर्ष 2020-21 (पूर्ण) में राजस्व घाटा 35,540.44 करोड़ रुपये था जबकि अनुमानित घाटा 18,434.15 करोड़ रुपये था।
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