Adani Group Company: अडाणी समूह की दस सूचीबद्ध कंपनियों में से सात को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) से संबंधित पक्षों के बीच लेनदेन के कथित उल्लंघन और सूचीबद्धता नियमों का अनुपालन नहीं करने के लिए कारण बताओ नोटिस मिला है। कंपनियों ने शेयर बाजारों को इस नोटिस के बारे में सूचना दी है। बाजार नियामक सेबी का नोटिस पाने वाली कंपनियों में अडाणी समूह की प्रमुख कंपनी अडाणी एंटरप्राइजेज के साथ अडाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड, अडाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन, अडाणी पावर, अडाणी एनर्जी सॉल्यूशंस, अडाणी टोटल गैस और अडाणी विल्मर शामिल हैं।
इन कंपनियों ने जनवरी-मार्च तिमाही और वित्त वर्ष 2023-24 के अपने-अपने वित्तीय परिणामों से संबंधित टिप्पणियों में सेबी की तरफ से जारी नोटिस का खुलासा किया है। सभी कंपनियों ने कमोबेश एक ही तरह के बयानों में कहा कि लागू कानूनों और विनियमों का कोई भी गैर-अनुपालन का कोई भी ठोस मामला नहीं है और उन पर इसका कोई कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा।
हालांकि, अडाणी ग्रीन एनर्जी, अडाणी टोटल गैस और अडाणी विल्मर के अलावा बाकी चार कंपनियों के ऑडिटरों ने वित्तीय विवरणों पर एक पात्र विचार रखते हुए कहा है कि सेबी की जांच के परिणामों का भविष्य में उनके वित्तीय विवरणों पर असर पड़ सकता है। वहीं समूह की सीमेंट कंपनियों- अंबुजा सीमेंट और एसीसी ने इस संबंध में सेबी से कोई भी नोटिस न आने की बात कही है।
समूह की मीडिया कंपनी एनडीटीवी ने सेबी का नोटिस मिलने के बारे में कोई बयान नहीं दिया है। अडाणी समूह की दस सूचीबद्ध कंपनियों में से सात को सेबी का नोटिस उस जांच का हिस्सा है, जो अमेरिकी ‘शॉर्ट सेलर’ और वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा जनवरी, 2023 में समूह के खिलाफ जारी रिपोर्ट के बाद शुरू हुआ था।
इस रिपोर्ट में अडाणी समूह पर कंपनियों के शेयरों के भाव में हेराफेरी और कॉरपोरेट धोखाधड़ी के आरोप लगाए गए थे। हालांकि अडाणी समूह ने हिंडनबर्ग रिसर्च के सभी आरोपों को आधारहीन और किसी भी गलत काम से इनकार किया था। लेकिन रिपोर्ट आने के बाद शेयर बाजार में उसकी कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई।
समूह के सम्मिलित बाजार मूल्य में करीब 150 अरब डॉलर की भारी गिरावट आ गई थी। हालांकि कुछ महीने बाद ही समूह की कंपनियों के शेयरों ने बाजार में वापसी करनी शुरू कर दी थी और अब तक नुकसान की काफी हद तक भरपाई हो चुकी है। सेबी का कारण बताओ नोटिस किसी कंपनी के खिलाफ अभियोग नहीं है। दरअसल इसमें कंपनियों से संबंधित मामले में स्पष्टीकरण मांगा जाता है कि उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए।