भारतीय कंपनियों समेत 17 इकाइयों ने रेडियो आइसोटोप के लिये डीएई से भागीदारी में रूचि दिखायी
By भाषा | Updated: May 25, 2021 23:13 IST2021-05-25T23:13:25+5:302021-05-25T23:13:25+5:30

भारतीय कंपनियों समेत 17 इकाइयों ने रेडियो आइसोटोप के लिये डीएई से भागीदारी में रूचि दिखायी
मुंबई, 25 मई भारत समेत विभिन्न देशों की 17 कंपनियों ने रेडियो आइसोटोप के उत्पादन के लिये अनुसंधान रिएक्टर स्थापित करने को लेकर परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) के साथ भागीदारी में रूचि दिखायी है।
रेडियो सक्रिय आइसोटोप का उपयोग कृषि, खाद्य उद्योग, चिकित्सा समेत विभिन्न क्षेत्रों में होता है।
मंगलवार को जारी आधिकारिक बयान के अनुसार रिएक्टर का निर्माण डीएई की अनुषंगी न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआईएल) करेगी। आइसोटोप उत्पादन के लिये यह पहला अनुसंधान रिएक्टर होगा जिसे सार्वजनिक-निजी भागीदारी के तहत किया जाएगा।
परमाणु ऊर्जा विभाग रिएक्टर के निर्माण की लागत का वहन करेगा और साझेदार से निवेश की गई पूंजी पर उच्च प्रतिफल प्राप्त करने की अपेक्षा करता है।
वित्त मंत्री निर्मला सीताारमण ने मई 2020 में घोषणा की थी कि भारत चिकित्सा आइसोटोप के उत्पादन के लिये रिएक्टर स्थापित करेगा। ये आइसोटोप कैंसर और अन्य बीमारियों के इलाज को सस्ता बनाएंगे और कृषि क्षेत्र की भी मदद करेंगे।
विभाग ने कहा कि डिजाइन और नियामकीय मंजूरी समेत शुरूआती कार्यक्रम तेजी से आगे बढ़ रहे हैं और निजी भागीदार के चयन के लिये औपचारिक अनुरोध प्रस्ताव (आरएफपी) दिसंबर तिमाही में जारी किया जाएगा।
पहली अनौपचारिक पूर्व आरएफपी बैठक 15 अप्रैल को हुई। इस बैठक का मकसद संभावित भागीदारों को परियोजना के बारे में जानकारी उपलब्ध कराना था।
इस प्रकार की अगली बैठक जुलाई में होगी। उसके बाद सितंबर या अक्टूबर में औपचारिक बातचीत होगी। डीएई का मकसद आरएफपी प्रक्रिया मार्च 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य है।
बयान के अनुसार, ‘‘15 अप्रैल को हुई अनौपचारिक बैठक में चार महाद्वीपों की 17 कंपनियों के 30 से अधिक प्रतिनिधि शामिल हुए। इसमें भारतीय कंपनियों के प्रतिनिधि भी शामिल थे।
बैठक में शामिल प्रतिनिधि परमाणु औषधि, औषधि, स्वास्थ्य देखभाल और परमाणु रिएक्टर उपकरण आपूर्तिकर्ता जैसे परमाणु औषधि मूल्य श्रृंखला से संबद्ध कंपनियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये आपूर्तिकर्ता अमेरिका, कनाडा, अर्जेन्टीना, रूस, फ्रांस और ब्रिटेन से जुड़े हैं। इसके अलावा दो-तीन भारतीय आपूर्तिकर्ता हैं।
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