बॉलीवुड की पहली महिला सुपरस्टार कही जाने वाली अभिनेत्री श्रीदेवी का शनिवार 24 फरवरी देर रात दुबई में निधन हो गया। श्रीदेवी की मौत के खबर से बॉलीवुड इंडस्ट्री ही नहीं बल्कि पूरा देश शोक में है। श्रीदेवी का निधन दुबई के एक फैमली वेडिंग में हुआ। अब यहां सवाल यह उठता है जब श्रीदेवी की मौत शनिवार (24 फरवरी) को देर रात कार्डियक अरेस्ट से हुआ है, तो दुबई पुलिस शव को देने में इतना समय क्यों लगा रही है। हालांकि भारतीय दूतावास के अधिकारी दुबई के स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर श्रीदेवी के शव को जल्द भारत लाने की कोशिश में लगे हैं। लेकिन फिर भी आप सोच रहे होंगे कि आखिर इतना समय किस बात का लग रहा है।
तो आइए जानते हैं शव देने के पीछे दुबई में क्या प्रक्रिया है
- दरअसल अगर भारत में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की वजह मौत होती है तो ऐसे में ना कोई पोस्टमॉर्टम की जरूरत होती और नहीं किसी जांच-पड़ताल की। लेकिन दुबई में ऐसा नहीं है। अगर यहां किसी विदेशी यात्री की मौत होती है तो शव का पोस्टमॉर्टम और मौत की जांच करना कानूनी तौर पर जरूरी है।
- दुबई के कानून के मुताबिक भले ही किसी विदेशी यात्री की मौत स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की वजह से हुई हो लेकिन अचानक मृत्यु पर जांच जरूरी है ताकि मौत की असली वजह का पता लगाया जा सके। नेचुरल डेथ के मामले में शव जल्दी वापस मिल जाता है। लेकिन अननेचुरल डेथ के मामले में यह प्रक्रिया लंबी चलती है, क्योंकि पुलिस उसकी जांच पड़ताल करती है।
- किसी विदेशी यात्री की मौत के बाद पुलिस को कागजी प्रक्रिया भी पूरी करनी पड़ती है। साथ ही देश( भारत) के दूतावास को भी सूचित किया जाता है। दूतावास इसके बाद मृतक का पासपोर्ट कैंसल करवाकर नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट जारी करता है।
- दुबई पुलिस के कानून के मुताबिक पोस्टमॉर्टम के बाद जारी रिपोर्ट में मौत की वजह बताई जाती है।
- इतना ही नहीं इसके अलावा शव पर लेपन का क्लीयरेंस होना भी जरूरी है। स्थानीय इमीग्रेशन और कस्टम से क्लीयरेंस भी होना चाहिए। ये भी जांच की जाती है कि मृतक किसी संक्रामक रोग से पीड़ित तो नहीं था।