सुप्रीम कोर्ट ने ‘आदिपुरुष’ के खिलाफ हाई कोर्ट में लंबित कार्यवाही पर लगाई रोक, मामले में पक्षकारों को नोटिस जारी किया

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 21, 2023 02:12 PM2023-07-21T14:12:18+5:302023-07-21T14:22:04+5:30

हाई कोर्ट ने निर्देशक ओम राउत, निर्माता भूषण कुमार और संवाद लेखक मनोज मुंतशिर को 27 जुलाई को उसके समक्ष पेश होने का आदेश दिया था। इसने केंद्र सरकार को पांच सदस्यीय समिति गठित करने का भी निर्देश दिया है जो फिल्म पर अपनी राय देगी कि क्या इसने जनता की भावनाओं को आहत किया है।

Supreme Court stays pending proceedings in High Court against Adipurush issues notice to parties in the case | सुप्रीम कोर्ट ने ‘आदिपुरुष’ के खिलाफ हाई कोर्ट में लंबित कार्यवाही पर लगाई रोक, मामले में पक्षकारों को नोटिस जारी किया

सुप्रीम कोर्ट ने ‘आदिपुरुष’ के खिलाफ हाई कोर्ट में लंबित कार्यवाही पर लगाई रोक, मामले में पक्षकारों को नोटिस जारी किया

Highlightsन्यायमूर्ति एस.के.कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ मामले की सुनवाई कर रही थी।न्यायमूर्ति एस.के.कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने मामले में पक्षकारों को नोटिस जारी किया।

नयी दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने ओम राउत की फिल्म आदिपुरुष के खिलाफ विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित कार्यवाही पर शुक्रवार रोक लगा दी। इसके साथ ही मामले में पक्षकारों को नोटिस जारी किया।  गौरतलब है कि आदिपुरुष रिलीज के बाद से ही अपने संवाद और भाषा को लेकर लोगों के निशाने पर है। फिल्म  “महाकाव्य रामायण से प्रेरित है। जिसके संवादों और बोलचाल की भाषा के उपयोग के लिए आलोचना हो रही है। 

न्यायमूर्ति एस.के.कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने मामले में पक्षकारों को नोटिस जारी किया। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 30 जून को फिल्म के निर्माताओं को 27 जुलाई को उसके समक्ष पेश होने का निर्देश दिया था और केंद्र सरकार से फिल्म पर अपने विचार देने के लिए एक समिति बनाने को कहा था। 

अदालत फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली कुलदीप तिवारी और नवीन धवन की अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।  हाई कोर्ट ने निर्देशक ओम राउत, निर्माता भूषण कुमार और संवाद लेखक मनोज मुंतशिर को 27 जुलाई को उसके समक्ष पेश होने का आदेश दिया था। इसने केंद्र सरकार को पांच सदस्यीय समिति गठित करने का भी निर्देश दिया है जो फिल्म पर अपनी राय देगी कि क्या इसने जनता की भावनाओं को आहत किया है।

 एक आदेश में उसने सरकार को फिल्म को प्रमाणपत्र देने के फैसले की समीक्षा करने का भी निर्देश दिया था। उच्च न्यायालय ने कहा था कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सचिव और केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के अध्यक्ष अपने व्यक्तिगत हलफनामे दाखिल करेंगे और बताएंगे कि सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए फिल्म के प्रमाणन के लिए दिशानिर्देशों का पूर्ण रूप से पालन किया गया है या नहीं। 

भाषा इनपुट के साथ

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