अश्विन कुमार की 'नो फ़ादर्स इन कश्मीर' को मुश्किल से मिला UA सर्टिफिकेट

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 11, 2019 07:20 PM2019-03-11T19:20:38+5:302019-03-11T19:20:38+5:30

एफसीएटी ने दूसरी बार फ़िल्म को देखने के एक महीने के बाद इस फ़िल्म पर अपना आख़िरी फ़ैसला दे दिया है जिसमें फ़िल्म में कुछ काँट-छाँट करने और अस्वीकरण में कुछ बदलाव करने के लिए कहा गया है।

Soni Razdan starrer 'No Fathers In Kashmir'finally gets U/A certificate | अश्विन कुमार की 'नो फ़ादर्स इन कश्मीर' को मुश्किल से मिला UA सर्टिफिकेट

अश्विन कुमार की 'नो फ़ादर्स इन कश्मीर' को मुश्किल से मिला UA सर्टिफिकेट

लगभग एक महीने पहले, निर्देशक अश्विन कुमार को अपनी फिल्म नो फ़ादर्स इन कश्मीर को सर्टिफ़िकेट देने की प्रक्रिया में सही न्याय पाने के लिए भारत में फिल्मों के प्रमाणन के मामलों में आख़िरी फ़ैसला करनेवाली संस्था, एफसीएटी के सामने दूसरी बार अपनी फिल्म का प्रदर्शन करना पड़ा था। एक सेंसर सर्टिफ़िकेट पाने के लिए जुलाई 2018 में फ़ाइल करने की जो सामान्य प्रक्रिया शुरू हुई थी, उसे पूरा करने और अपनी फ़िल्म को इंसाफ दिलाने के लिए फ़िल्म के निर्माताओं और कलाकारों को 8 महीने, 6 स्क्रीनिंग्स और 7 सुनवाईयों तक इंतज़ार करना पड़ा है।

इस फिल्म के साथ कुछ ऐसा हुआ है जो शायद ही कभी होता है, जिसमें प्रमाणन के लिए देरी पर देरी होती रही और आख़िरकार इस फिल्म पर प्रतिबंध लगा दिया गया। अपनी फ़िल्म के विषय के आधार पर सीबीएफसी के द्वारा फ़िल्म को ए सर्टिफ़िकेट देने का फैसला फ़िल्म के निर्माताओं को ग़लत लगा और उस फ़ैसले को चुनौती देने के बाद, उन्होंने पहले नवंबर में एफसीएटी में अर्ज़ी दी जिसपर दिसंबर में और बाद में जनवरी में सुनवाई हुई थी।

अब एफसीएटी ने दूसरी बार फ़िल्म को देखने के एक महीने के बाद इस फ़िल्म पर अपना आख़िरी फ़ैसला दे दिया है जिसमें फ़िल्म में कुछ काँट-छाँट करने और अस्वीकरण में कुछ बदलाव करने के लिए कहा गया है। हालाँकि सबसे अहम बात यह है कि एफसीएटी ने इस फ़िल्म को यू/ए सर्टिफ़िकेट देकर फ़िल्म के निर्माताओं द्वारा इस फ़िल्म को यू/ए कहे जाने के समर्थन की पुष्टि की है। हालाँकि यह फैसला अभी निर्माताओं के द्वारा अंतिम सर्टिफ़िकेट पाने के लिए सीबीएफ़सी को प्रस्तुत करने पर टिका है, जिसका उन्हें पूरा भरोसा है कि बोर्ड ख़ुशी से इस फ़िल्म को पास कर देगी।

पेश आनेवाली इस दिक्कत की असली वजह थी फिल्म के लिए की गई देरी थी जो सीबीएफसी के नियमों के खिलाफ थी, जिसने फिल्म को देखने से इंकार कर दिया था और फ़िल्म को देखने के बाद अपने फैसले को रोके रखा और अक्टूबर में उसे ए सर्टिफिकेट दिया गया जबकि यह फ़िल्म अंग प्रदर्शन, घृणा, हिंसा, ख़ून-ख़राबे या इन जैसी ए स्तर की किसी भी बात को बढ़ावा नहीं दे रही थी।

इस फ़िल्म में सोनी राजदान, अंशुमान झा और कुलभूषण खरबंदा हैं और 16 साल के दो क़िरदारों की प्रेम कहानी के बारे में है जो घाटी में लापता हो गए अपने-अपने पिता की तलाश करते हैं।

Web Title: Soni Razdan starrer 'No Fathers In Kashmir'finally gets U/A certificate

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