मुंबई, 18 सितंबरः बॉलीवुड की मशहूर अदाकारा शबाना आजमी का 18 सितंबर को जन्मदिन होता है। इस बार वह अपना 69वां जन्मदिन मना रही हैं। उम्र के इस पड़ाव पर भी उनकी सक्रियता देखने लायक होती है और देखने लायक होता है उनके और उनके सौहर जावेद अख्तर के बीच का प्यार। इसी साल दिल्ली में रेख्ता, जश्न-ए-उर्दू का कार्यक्रम चल रहा था। जावेद अख्तर अपनी शायरियां पढ़ रहे थे। दो-तीन गजलें पेश करने के बाद उन्होंने कहा अब चलता हूं, घर पर इंतजार कर रहा है। इतने सालों बाद जब शबाना और जावेद के प्यार में इतना स्वच्छता और एक-दूसरे के प्रति समर्पण देखकर परिसर में बैठे सभी के चेहरे पर मुस्कान आ गई।
लेकिन इसकी शुरुआत कैसे हुई। शबाना और जावेद एक-दूसरे के करीब कैसे आए, इसका भी बड़ा दिलचस्प किस्सा है। असल में मामला शेरो-शायरी से जुड़ा है। शबाना आजमी के अब्बा कैफी आजमी एक शायर और हिन्दी सिनेमा में मशहूर गीतकार के तौर पर जाने जाते हैं। उस वक्त जावेद भी फिल्म सलीम खान के साथ फिल्म लेखन के अलावा गीतकारी और शायरी की दुनिया में जमीन बनाने की कोशिश कर रहे थे। इस बाबत उन्हें कई दफे कैफी आजमी से मिलने उनके घर आना-जाना होता था और दफे वहां किसी ना किसी बहाने से शबाना टकरा जाती थीं। यही वो दौर था जब दोनों एक दूसरे के करीब आने शुरू हो गए।
लेकिन जावेद ने साल 1972 में ही 17 साल की युवती हनी ईरानी से निकाह पढ़ चुके थे। ऐसे में शबाना से निकाह के योग नहीं बन पा रहे थे। हनी ईरानी से जावेद को फरहान और जोया दो बच्चे भी थे। लेकिन शबाना से नजदीकी बढ़ने के साथ ही हनी ईरानी से जावेद के अनबन की खबरें आने लगी और बाद में दोनों एक-दूसरे से अलग हो गए। इसके बाद साल 1984 में शबाना से जावेद ने दोबारा निकाह पढ़ लिया।
हिन्दी दैनिक दैनिक जागरण के एक कार्यक्रम में शबाना आजमी ने कहा था, "जावेद मेरे बहुत अच्छे दोस्त हैं। इतने अच्छे कि निकाह भी हमारी दोस्ती के आड़े नहीं आया। हम अब भी बहुत अच्छे दोस्त हैं। दूसरी खास बात कि उनमें मुझे मेरे पिता कैफी आजमी की झलक मिलती है, चाहे उनकी सामाजिक सोच हो या उनकी शायरियां।"
उल्लेखनीय है कि शबाना आजमी का जन्म 18 सितंबर 1950 को हैदराबाद में हुआ था। साल 1974 में उन्होंने 'अंकुर' फिल्म से हिन्दी सिनेमा में डेब्यू किया था। जल्द ही वह सामानांतर सिनेमा की प्रमुख अभिनेत्री बन गईं। उन्होंने 'अमर अकबर एंथोनी', 'निशांत', 'शतरंज के खिलाड़ी', 'हीरा और पत्थर', 'परवरिश', 'किसा कुर्सी का', 'कर्म', 'आधा दिन आधी रात', 'स्वामी', 'देवता', 'स्वर्ग-नरक', 'स्पर्श', 'अमरदीप','बगुला-भगत', 'अर्थ', 'एक ही भूल', 'मासूम', 'नीरजा' जैसी फिल्मों में काम किया है। वह अभी भी सिनेजगत में सक्रिय हैं।