राजेश खन्ना ने क्यों कहा था- एक्टिंग और करियर की ऐसी की तैसी
By भारती द्विवेदी | Published: December 29, 2017 01:24 PM2017-12-29T13:24:08+5:302017-12-29T13:26:17+5:30
यासीर अहमद ने काका के ऊपर 'राजेश खन्ना: द अनटोल्ड स्टोरी' किताब लिखी है, और ये किस्सा उन्होंने बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में बताया है।
'आज भले ही लोग मुझे भूल जाए लेकिन जब मैं नहीं रहूंगा तब मुझे याद करके मेरे गाने गाएंगे'। ये बातें बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना ने एक इंटरव्यू में कही थी। वो सुपरस्टार जिसने सफलता को जमकर जिया लेकिन जब असफलता ने घेरा तो खुद को संभाला नहीं पाया।
काका का बचपन
राजेश खन्ना का जन्म 29 दिसंबर 1942 को अमृतसर में हुआ था। उनके पिता का नाम लाल हीरानंद खन्ना और मां का नाम चंद्राणी खन्ना था। लाल हीरानंद बुरेवाला (अब पाकिस्तान में हैं) के एमसी हाईस्कूल में हेडमास्टर थे। बचपन में राजेश को उनके रिश्तेदार चुन्नीलाल खन्ना और लीलावती खन्ना ने गोद लिया और पाल-पोसकर बड़ा किया। चुन्नीलाल रेलवे कांट्रैक्टर का काम करते थे और 1935 में लाहौर से मुंबई आकर बस गए थे। राजेश ने सेंट Sebastian’s Goan High School में पढ़ाई की थी। उस समय जितेंद्र उनके क्लासमेट हुए करते थे। तब राजेश का नाम जतिन खन्ना और जितेंद्र का नाम रवि कपूर हुआ करता था। राजेश पढ़ाई के दौरान ही थियेटर में दिलचस्पी लेने लगे। बहुत सारे प्ले का हिस्सा बने, अवॉर्ड भी जीता। जब उन्होंने फिल्म में करियर बनाने की सोची तो उनके अकंल केके तलवार ने उनका नाम जतिन से राजेश रख दिया।
डेब्यू फिल्म जो ऑस्कर भेजी गई
1965 में 'यूनाइटेड प्रोड्यूसर एंड फिल्मफेयर' ने एक टैलेंट कांटेस्ट कराया था। इस ऑल इंडिया टैलेंट कांटेस्ट में दस हजार लोगों ने भाग लिया था। दस हजार लोगों को टक्कर देकर राजेश इस प्रतियोगिता के विनर बने। 1966 में उन्होंने दो फिल्में की और ये दोनों ही फिल्में फिल्मफेयर कांटेस्ट के विनर के तौर पर मिली थी। राजेश खन्ना ने जो पहली फिल्म साइन की वो जिपी सिप्पी की 'राज' थी। दूसरी फिल्म चेतन आनंद की 'आखिरी ख़त' थी, क्योंकि आखिरी ख़त पहले रिलीज हो गई इसलिए ये उनकी डेब्यू फिल्म बनी। इस फिल्म को 1967 में भारत की तरफ से चालीसवें ऑस्कर के लिए भेजी गई थी।
जब पहली फिल्म के सेट पर लेट पहुंचने के लिए पड़ी डांट
हीरो-हीरोइन का फिल्म के सेट पर लेट आने के किस्से खूब आते हैं। राजेश खन्ना का नाम भी इस लिस्ट में है। सेट पर लेट आना, एरोगेंट होना ये भी उनकी एक पहचान थी। पत्रकार यासीर उस्मान ने जब काका से इस बार में पूछा तो उन्होंने अपनी पहली फिल्म के सेट का एक वाक्या बताया। जब वो 'राज' फिल्म के सेट पर पहले दिन ही लेट पहुंचे। सब लोग उन्हें घूरने लगे। सीनियर टेक्निशियन ने इसके लिए उन्हें डांटा भी। लेकिन तब उनका जवाब था- 'एक्टिंग और करियर की ऐसी की तैसी, मैं किसी भी चीज के लिए अपनी लाइफ स्टाइल नहीं बदलूंगा।' यासीर ने काका के ऊपर 'राजेश खन्ना: द अनटोल्ड स्टोरी' किताब लिखी है, और ये किस्सा उन्होंने बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में बताया है।
सुपरस्टार और दौर खत्म होने का एहसास करने वाली वो 2 फिल्में
राजेश खन्ना के स्टारडम का दौर 1969 फिल्म 'आराधना' के साथ शुरू हुआ। कहा जाता है कि ये फिल्म डायरेक्टर शक्ति सामंथ ने शर्मिला टैगोर के लिए बनाई थी। लेकिन जब फिल्म रिलीज हुई तो हर तरफ चर्चा राजेश खन्ना की हो रही थी। रातों-रात वो सबके चहेते बन गए। 5-6 सालों में उनका जादू ऐसा चला कि लगातर 15 फिल्म ब्लॉकबस्टर हुई। और बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार का खिताब मिल गया। उन दिनों वो इतनी तेजी से ऊपर गए कि सच्चाई से दूर होते गए। 1973 में फिल्म 'नमक हराम' आई थी। काका ने ये फिल्म अमिताभ के साथ साइन किया था, तब वो बड़े स्टार थे और अमिताभ के पास फ्लॉप हीरो का तमगा था। फिल्म शूटिंग के लिए काका के पास समय नहीं होता था और अमिताभ के पास समय ही समय था। इस फिल्म में काका लीड रोल के लिए साइन हुए थे और अमिताभ साइड रोल के लिए। लेकिन जब फिल्म रिलीज हुई तो अमिताभ बतौर हीरो दिखे और काका गेस्ट अपरियंस के तौर पर। लिबर्टी सिनेमा में 'नमक हराम' का शो देखते हुए काका ने कहा था- 'मैं समझ गया कि मेरा दौर अब बीत चुका है। ये रहा कल का सुपरस्टार'।