Panchayat Review: लॉकडाउन के बीच ही गांव भाग जाने का मन हो आएगा, जबरदस्त एक्टिंग और कहानी से सजी है वेबसीरीज
By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: April 6, 2020 10:36 AM2020-04-06T10:36:03+5:302020-04-06T10:36:03+5:30
वेबसीरीज में एक पंचायत सचिव की कहानी को पेश किया गया है जो शहर का होकर गांव में नौकरी करने जाता है।
डिजिटल रिव्यू: पंचायत (वेब सीरीज)
कलाकार: रघुवीर यादव, नीना गुप्ता, जितेंद्र कुमार, चंदन रॉय, फैसल मलिक, पूजा सिंह आदि।
निर्देशक: दीपक कुमार मिश्र
सृजनकर्ता: टीवीएफ
ओटीटी: प्राइम वीडियो
रेटिंग: ****
पिछले कुछ समय में देश में काफी विकास हुआ। जहां देश खुले में शौच मुक्त से लेकर घरों में रसोई गैस तक अनगिनत चीजें अब लोगों तक पहुंच रही हैं। महिला सशक्तिकरण को भी काफी आगे किया जा रहा है। कुछ सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की जा रही हैं। क्विंटल और टन के जमाने में टीवीएफ की नई वेब सीरीज पंचायत आपको ले चलती है। वेबसीरीज में एक पंचायत सचिव की कहानी को पेश किया गया है जो शहर का होकर गांव में नौकरी करने जाता है।
पंचायत रिव्यू
कहानी शुरू होती है अभिषेक त्रिपाठी(जितेंद्र कुमार) से जो वाराणसी से एक बस से गांव फुलेरा पहुंचता है। अच्छी नौकरी का सपना देने वाले अभिषेक को मजबूरी में सचिव की नौकरी करनी पड़ती है। गांव का नाम लेते ही खुले में शौच याद आती है, सीरीज केपहले ही एपिसोड में प्रधानपति के द्वारा ये सीन दिखाया जाता है। वहीं,महिला प्रधान को चूल्हे पर खाना बनाने का 35 साल का अनुभव है और ये कॉन्फीडेंस भी है कि खाना तो उनके चौके में अच्छा ही बनेगा।
वेबसीरीज में दिखाया गया है कि किस तरह से गांव में एक दूल्हे का सतकार किया जाता है और अगर वह गुस्से में कुछ मांग ले तो देना ही पड़ता है इसको शिकार भी अभिषेक होते हैं। अभिषेक अच्छी नौकरी के लिए जी तोड़ मेहमत करता है लेकिन वह फिल भी एग्जाम में कम नंबर पाता है।
वेबसीरीज में दिखाया गया है कि कैसे कभी भुतहा पेड़ में विज्ञान के अध्यापक के फैलाए अंधविश्वास तो कभी चक्के वाली कुर्सी के चक्कर में अहं की लड़ाई तो कभी मॉनीटर चोरी के बहाने गांवों में पुलिस की कार्यप्रणाली पर तगड़ी चोट करती है। इस वेबसीरीज में भारत के गांव को पेश किया गया है।
जब अभिषेक कह देता है कि यहां उसका कोई दोस्त नहीं तो प्रधान आदि उसको अपना बनाकर बियर पीते हैं।ये उस भारत की कहानी है जहां बेटे का नाम आरव रखने पर पिता को लगता है कि कहीं अक्षय कुमार आशीर्वाद देने न आ जाएं। अंत में दिखाया गया है कैसे अभिषेक गांव की महिला प्रधान को खुद के पैरों पर खड़ा करता है और एक नए जोश के साथ फिर से कैट की तैयारी में लग जाता है।
जितेंद्रकमुरा की छोटी छोटी चीजेंआपको खींच लेंगी।लौकी छीलने से लेकर मैगी बनाते तक चेहरे पर दिखने वाली लाचारी हो, दरोगा की पूछताछ से झल्लाए सरकारी नौकर की बेकरारी हो या फिर बुजुर्ग प्रधान पर हाथ उठाने वाले लफंगों की ठुकाई की तैयारी हो जब जितेंद्र ने बखूबी निभाया है।
नीना गुप्ता ने अपने थोड़े से रोल में जान फूंक दी है। तमाम दिग्गज एक्टरों को एक्टिंग का ककहरा सिखाने वाले रघुवीर ने नॉन स्ट्राइकिंग एंड पर रहते हुए यहां सेंचुरी मारी है। वेबसीरीज के छोटे छोटे कलाकारों ने भी एक्टिंग का जौहर दिखाया है।