फिल्म- पटाखा
डायरेक्टर-विशाल भारद्वाज
कलाकार- सान्या मल्होत्रा, राधिका मदान, विजय राज, सुनील ग्रोवर
जॉनर- कॉमेडी ड्रामा
रेटिंग- 5/2
'अटल बिहारी बाजपेयी जी ने कहा था कि हम रिश्ते तो चुन सकते हैं लेकिन रिश्तेदार नहीं..विशाल भारद्वाज की फिल्म 'पटाखा' की कहानी भी कुछ ऐसी है जो इस बात को बिल्कुल सच करती है। फिल्म की कहानी है दो सगी बहनों की लेकिन दोनों के बीच दुश्मनी भारत-पाकिस्तान जैसी है।
कहानी- फिल्म 'पटाखा' की कहानी है दो सगी बहनों चंपा उर्फ़ बड़की (राधिका मदान) और गेंदा कुमारी उर्फ़ छुटकी (सान्या मल्होत्रा) की, जो एकदूसरे को फूटी आंख भी नहीं भाती हैं और हर बात पर एकदूसरे से लड़ती हैं। वहीं इनके पड़ोस में एक नारद मुनि के किरदार का लड़का है जिसका नाम है डिपर (सुनील ग्रोवर) जो इन दोनों के बीच लड़ाई लगवाने का कोई मौका नहीं छोड़ता है। इन्हें लड़ते देख वो खूब मजे उठाता है। दोनों ही बहनों का बापू (विजय राज) अपनी बेटियों से काफी प्यार करता है लेकिन दोनों के झगड़ों से अजीज आ चुका है। इन सबके अलावा गांव में एक अधेड़ उम्र का अमीर आदमी भी है पटेल (सानंद वर्मा) जो दोनों बहनों पर लट्टू है और चाहता है कि दोनों में से किसी एक से उसकी शादी हो जाए।
हालात भी कुछ ऐसे बनते हैं कि बापू अपनी बड़ी लड़की 'बड़की' की शादी मोटी रकम लेकर पटेल से करने के लिए तैयार हो जाता है। लेकिन तभी बड़की अपने बॉयफ्रेंड जगन के साथ भाग जाती है जिसके बाद बेचारा बापू अपनी दूसरी लड़की छुटकी की शादी पटेल से तय करता है लेकिन वो भी अपनी बड़ी बहन की तरह ही अपने बॉयफ्रेंड विष्णु के साथ भाग जाती है। फिर शुरू होता है कहानी में ट्विस्ट घर जाकर दोनों को मालूम चलता है कि उनके पति सगे भाई हैं और उनकी किस्मत उन्हें दोबारा एकसाथ ले आई है।लेकिन क्या एकदूसरे को फूटी आंख न भाने वाली दोनों बहनें क्या एकसाथ एक घर में रह पाएंगी? कैसे करेंगी दोनों एकदूसरे को हैंडल? क्या दोनों के बीच सबकुछ ठीक हो पाएगा? और क्या होगा इन दोनों के पतियों का? यह जानने के लिए आपको सिनेमाघर जाना होगा।
डायरेक्शन-बॉलीवुड में कई सफल फ़िल्में बनाने वाले विशाल भारद्वाज ने अपनी इस फिल्म को देसी लुक दिया है। लेकिन अफ़सोस कि उनकी फिल्म पटाखा की कहानी दर्शकों को ज्यादा देर तक पसंद नहीं आती है। फिल्म का फर्स्ट हाफ तो किसी तरह चल जाता है लेकिन सेकंड हाफ बिल्कुल झेला नहीं जा सकता है। फिल्म की पूरी कहानी काफी बोरिंग उबाऊ है।
एक्टिंग- सान्या मल्होत्रा और राधिका मदान ने पर्दे पर बखूबी अपने किरदार को निभाया है। वहीं इस पूरी फिल्म में शुरू से अंत तक सुनील ग्रोवर और विजय राज की दमदार एक्टिंग देखने को मिलती है लेकिन कमजोर स्क्रिप्ट की वजह से वह भी दर्शकों को फिल्म से जोड़ नहीं पाते।
म्यूजिक-फिल्म का संगीत भी कुछ खास नहीं है लेकिन थोड़ा बहुत आपको 'तेरो बलमा' पसंद आएगा।
क्यों देखें-अगर आप सुनील ग्रोवर और विजय राज के फैन हैं तभी ये फिल्म देखने जाएं।