पुण्यतिथि विशेषः जब नौशाद ने केएल सहगल का तोड़ा भ्रम कि बिना पिए वे अच्छा गा नहीं सकते

By अनिल शर्मा | Published: May 5, 2022 11:30 AM2022-05-05T11:30:04+5:302022-05-05T14:35:13+5:30

लगभग आधी सदी तक हिंदी फिल्मों में हृदयस्पर्शी संगीत रचनेवाले नौशाद कला और अदब के शहर लखनऊ के निवासी थे।

Naushad Death anniversary special When Naushad broke KL Saigal illusion that he not sing well without drinking | पुण्यतिथि विशेषः जब नौशाद ने केएल सहगल का तोड़ा भ्रम कि बिना पिए वे अच्छा गा नहीं सकते

पुण्यतिथि विशेषः जब नौशाद ने केएल सहगल का तोड़ा भ्रम कि बिना पिए वे अच्छा गा नहीं सकते

Highlights मशहूर संगीतकार नौशाद की आज पुण्यतिथि हैनौशाद ने लगभग 67 हिंदी फिल्मों में संगीत देने का काम किया वह 17 साल की उम्र में ही अपनी किस्मत आजमाने मुंबई चले आए थे

मुंबईः संगीत के जादूगर कहे जाने वाले संगीत निर्देशक नौशाद अली की आज पुण्यतिथि है। आज ही के दिन ( 5 मई 2006 ) इस महान संगीतकार ने दुनिया को अलविदा कहा था। नौशाद का मूल नाम नौशाद अली वहीद अली था।  लगभग आधी सदी तक हिंदी फिल्मों में हृदयस्पर्शी संगीत रचनेवाले नौशाद कला और अदब के शहर लखनऊ के निवासी थे। यहीं उनका जन्म 1919 की दिसंबर में हुआ। लेकिन कलाजगत को कुछ उत्कृष्ट देने की लालसा लिए वे 17 साल की उम्र में मुंबई कूच कर गए।

 शुरुआती संघर्षपूर्ण दिनों में उन्हें उस्ताद मुश्ताक हुसैन खां, उस्ताद झण्डे खां और पंडित खेम चन्द्र प्रकाश जैसे गुणी उस्तादों की सोहबत मिली। नौशाद की संगीत से सजी पहली फिल्म 1940 में प्रदर्शित हुई फिल्म 'प्रेम नगर' (कहीं-कहीं उनकी पहली फिल्म माला बताई जाती है) थी। लेकिन उन्हें असाधारण ख्याति और प्रसिद्धि मिली फिल्म 'रतन' (1944) के गानों से।

फिल्म का निर्माण लाहौर निवासी अभिनेता करण दीवान के भाई जैमिनी दीवान ने किया था। रतन के गानों का यह आलम था कि इसके मोहक संगीत के कारण इसने एक ही थिएटर में लगातार तीन सालों तक चलने का नया रिकॉर्ड कायम किया था। इस फिल्म में कुल 10 गानें थे जिनमें से पांच जोहराबाई अंबालावाली ने गाए थे। वहीं कई गीतों को उस युग की प्रख्यात गायिका अमीरबाई कर्नाटकी ने अपनी आवाज दी थी।

रतन के बाद नौशाद को कुंदन लाल सहगल (केएल सहगल) की फिल्म 'शाहजहां' में काम करने का मौका मिला। फिल्म में सहगल बतौर अभिनेता मौजूद थे। वहीं इसके कुछ गानों में उन्होंने अपनी आवाज भी दी। नौशाद की सालों से इच्छा थी कि वह सहगल की फिल्मों में संगीत दें। 

पेंगुइन से प्रकाशित नौशाद की जीवनी 'जर्रा जो आफताब बना' में चौधरी जिया इमाम ने इससे जुड़े संस्मरण में लिखा है कि सहगल के मन में ये धारणा बद्धमूल हो गई थी कि बिना शराब का एक जाम पिए वे अच्छा गा ही नहीं सकते। जब फिल्म 'शाहजहां' के गीतों की रिकॉर्डिंग का समय आया तो सहगल साहब ने उनसे कहा, "मुझे गाने हारमोनियम पर याद करा दीजिए मैं बगैर हारमोनियम के नहीं गा सकता।" रिहर्सल के दौरान उन्होंने अपने लिए तख्त मंगवाया। वे उस पर बैठे और अपने गले में पड़ी माला उतारकर जाप करने लगे। जब नौशाद साहब ने रिहर्सल करनी चाही तो उन्होंने इशारे से मना कर दिया और अपने एक मुलाजिम जोजफ को कहा, "एक काली पांच देना।" नौशाद साहब ने सोचा कि सहगल साहब अगर पांच काली सुर से गाते हैं तो फिर सुर मुलाजिम से क्यों मांग रहे हैं।"

जिया इमाम आगे लिखते हैं, रिहर्सल के दौरान सहगल आठ पैग पी गए। नौशाद सहगल के साथ पहली बार काम कर रहे थे। वो ये देखकर काफी हैरान थे। तब सहगल ने नौशाद साहब की तरफ देखकर कहा, माफ कीजिए मेरी काली पांच यही है, इसके बगैर मेरी आवाज नहीं खुलती। कहते हैं नौशाद ने उनसे पीने के बाद और बिना पिए, कई ट्रैक रिकॉर्ड करवाए। नौशाद ने बिना पिए सहगल से जो गीत गवाई, वह उससे श्रेष्ठ थी जिसे पीने के बाद सहगल ने गाया था। यहां सहगल का यह भ्रम टूट गया कि वह बिना पिए अच्छा नहीं गा सकते हैं।

Web Title: Naushad Death anniversary special When Naushad broke KL Saigal illusion that he not sing well without drinking

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