मुंबई: भारत रत्न से सम्मानित 'सुर साम्राज्ञी' लता मंगेशकर का निधन सरस्वती पूजा के ठीक अगले ही दिन रविवार को 92 साल की उम्र में हो गया। वे कोरोना संक्रमित होने के बाद पिछले करीब एक महीने से मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती थीं। शनिवार को उनकी तबियत ज्यादा खराब हो गई और उन्हें दोबारा वेंटिलेटर पर रखा गया था।
लता मंगेशकर के निधन पर मनोरंजन जगत सहित देश भर में शोक की लहर दौड़ गई है। लता मंगेशकर के बारे में कहा जाता था कि उनके गले में साक्षात माता सरस्वती विराजती हैं। कई भाषाओं में गाने गा चुकीं लता मंगेशकर को भारत रत्न के अलावा पद्म भूषण, पद्म विभूषण और दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।
लता मंगेशकर: भोजपुरी की सबसे पहली फिल्म में दी आवाज
लता मंगेशकर ने भोजपुरी इंडस्ट्री की सबसे पहली फिल्म में आवाज दी थी। बताया जाता है कि 1963 में बनी इस फिल्म 'गंगा मईया तोहे पियरी चढ़इबो' का निर्माण भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के आग्रह पर किया गया था। इस फिल्म के गानों में लता मंगेशकर सहित मोहम्मद रफी ने भी आवाज दी थी। फिल्म का टाइटल सॉन्ग खूब पसंद किया गया था और आज भी इसे खूब सुना जाता है। इस गाने में लता मंगेशकर की छोटी बहन उषा मंगेशकर ने भी आवाज दी थी।
लता मंगेशकर का ऐसा ही एक और भोजपुरी गीत 'लाल-लाल ओठवा से बरसे ललइया.. (laal lal hotwa se barse lalaiya) भी खूब प्रचलित हुआ। ये गाना फिल्म 'लागी ना छुटे रामा' का है। गाने के बोल मजरूह सुल्तानपूरी ने लिखे थे और संगीत चित्रगुप्त ने दिया था।
ऐसे ही एक और गाना 'ए चंदा मामा आरे आव..पारे आव' आज भी लोकप्रिय है। यह लोरी आज भी बच्चों के लिए बिहार-यूपी के क्षेत्र में खूब गाया जाता है।
बताते चलें कि भारतीय सिनेमा की बेहतरीन गायिकाओं में शुमार लता मंगेशकर ने 13 साल की उम्र में 1942 में अपने करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने कई भारतीय भाषाओं में अब तक 25 हजार से भी अधिक गाने गाये हैं। सात दशक के अपने करियर में उन्होंने कई ऐसे गाने गाये हैं, जो आज भी लोगों के जेहन में हैं।