Jalebi Movie Review: स्वादहीन है 'बिना चाशनी' में डुबोई गई ये जलेबी, रेटिंग आधा स्टार
By जनार्दन पाण्डेय | Published: October 13, 2018 02:04 PM2018-10-13T14:04:10+5:302018-10-13T15:57:08+5:30
Jalebi Movie Review in Hindi: महेश भट्ट ने अर्से बाद जमीन पर उतरकर किसी फिल्म के प्रचार-प्रसार का जिम्मा उठाया था। लेकिन उनको एक बार फिल्म देख लेनी चाहिए थी।
पुष्पदीप भारद्वाज निर्देशित और महेश भट्ट द्वारा निर्मित फिल्म जलेबी निःस्वाद निकल गई। इस शुक्रवार सिनेमाघरों में आई रिया चक्रवर्ती, तनिष्क बागची और वरुण मित्रा स्टारर फिल्म जलेबी ने भारतीय मशहूर मिष्ठान जलेबी जैसी स्वादिष्ट मिठाई का निस्वाद कर दिया है।
लंबे समय के बाद महेश भट्ट ने इस फिल्म के लिए जमकर प्रचार-प्रसार किया था। लेकिन कमजोर कहानी, कमजोर निर्देशन और कमजोर अभिनय के चलते यह फिल्म सिनमाघर में दर्शकों के लिए बोझ की तरह है, जिसके किसी तरह खत्म होने जाने के बारे में हर दर्शक सोचेगा।
फिल्म आयशा (रिया चक्रवर्ती) नाम की एक लड़की पर आधारित है। वह मुंबई की रहने वाली और लखिका बनना चाहती है। लेकिन उसी के बीच में उसकी जिंदगी में एक लड़का देव आता है। देव की मुलाकात आयशा से दिल्ली की एक ट्रिप के दौरान होती है।
देव इतिहास में पीएचडी कर रहा होता है। दोनों जल्द ही इस बात पर राजी हो जाते हैं कि दोनों को एक दूसरे से शादी कर लेनी चाहिए और दोनों शादी कर लेते हैं। लेकिन यह जल्दबाजी उन्हें शादी के कुछ ही समय बाद खलने लगती है।
लेकिन शादी के लिए जल्दबाजी की तरह ही दोनों एक-दूसरे से अलग होने में जल्दबाजी दिखाते हैं। लेकिन जिंदगी उन्हें एक बार फिर मिलने का मौका देती है। दोनों की एक ट्रेन में मुलाकात होती है, कई सालों के बाद।
यहां फिल्म के लेखन और निर्देशन की कमी खुलकर जाहिर हो जाती है। न्यूज 18 की समीक्षा के यहां पर निर्देशक और लेखक ऐसे किरदार ही नहीं गढ़ पाए हैं जो फिल्म में दर्शकों को बांधे रहे।
जब आशया और देव की सालों बाद मुलाकात होती है तो ट्रेन के क्षणिक किरदार लंबे समय तक एक दूसरे से बातें करते हैं। इस दौरान बोले गए डायलॉग्स से निर्देशक देव और आयशा के उनकी बीती जिंदगी की याद दिलाते हैं। लेकिन बेहद उबाने वाले दृश्य से।
फिल्म के एक दृश्य में ट्रेन की आपातकालीन खिड़की से बाहर नीचे झुकते हुए आयशा, प्लेटफॉर्म पर चल रहे देव को किस करती है। इकलौता यही दृश्य है जो इस जलेबी को आजकल के आम धारावाहिकों से थोड़ा अलग करती है। हालांकि यहां ट्रेन के नियमों का थोड़ा उल्लंघन होता है, लेकिन बॉलीवुड में ट्रेन्स के साथ पहले ही जमकर प्रयोग होते रहे हैं।
Final Comment: फिल्म के महेश भट्ट से जुड़े होने की तो महेश एक मझे हुए खिलाड़ी हैं। ऐसे में लगता है महेश ने फिल्म के प्रचार प्रसार का जिम्मा तो उठा लिया, लेकिन उन्होंने खुद ही फिल्म को एक बार भी नहीं देखी।