Amrish Puri Special: अमरीश पुरी। पर्दे का वो खलनायक जो असल जिंदगी में काफी सीधा, सरल और संतुलित जीवन जीनेवाला इंसान था। 40 की उम्र के बाद फिल्मों में आया फिर तो हिंदी सिनेमा को अपनी हर अदायगी से समृद्ध करता गया। 22 जून 1932 को पंजाब के नवांशहर में जन्में अमरीश पुरी का पूरा नाम अमरीश लाल पुरी था।
फिल्मों में आने से पहले अमरीश पुरी कर्मचारी राज्य बीमा निगम श्रम और रोजगार मंत्रालय (ईएसआईसी) में कार्य करते थे। यहीं पर उनकी पत्नी उर्मिला दिवेकर से पहली मुलाकात हुई थी। पहली मुलाकात के बाद ही दोनों को लग गया कि वे तो एक-दूसरे के लिए ही बने हैं। फिर प्यार का सिलसिला शुरू हुआ। पीपिंग मून को दिए एक साक्षात्कार में अमरीश पुरी के पोते वर्धन पुरी ने अपने दादा के लव लाइफ के बारे में बातचीत करते हुए काफी कुछ बताया था।
उर्मिला-अमरीश की शादी के खिलाफ था परिवार
वर्धन पुरी अमरीश पुरी को दादू बुलाते थे। वर्धन के मुताबिक दादू की दादी उर्मिला दिवेकर (Urmila Diveker) से मुलाकात एक बीमा कंपनी में हुई थी, जहां वे एक क्लर्क के रूप में काम करते थे। पहली ही मुलाकात के बाद दोनों एक दूसरे के प्यार में पड़ गए। उर्मिला जहां दक्षिण भारतीय थीं वहीं अमरीश पुरी पंजाबी थे। वर्धन पुरी ने बताया कि जब परिवार वालों को दादा-दादी के प्यार के बारे में पता चला, तो काफी नाराजगी झेलनी पड़ी। लेकिन जल्द ही दादी और दादू ने अपने परिवार के सदस्यों को मना लिया। फिर दोनों ने साल 1957 में सबकी राजी-खुशी से शादी कर लिया।
पत्नी ने दिया सहारा
शादी के बाद भी दोनों साथ नौकरी करते लेकिन अमरीश पुरी की जान एक्टिंग में ही बसती थी। लिहाज उन्होंने नौकरी छोड़ दी। घर का खर्च चलाने के लिए उर्मिला जॉब करती रहीं और अमरीश पुरी बॉलीवुड में सघर्ष करने निकल पड़े। इस दौरान उर्मिला का अमरीश पुरी को काफी सहारा मिला। अमरीश पुरी भी पत्नी के इस सहारे को कभी भूला नहीं पाए। यही वजह रही कि वह अपनी पत्नी को असली हीरो बताते थे। पोते वर्धन ने बताया था कि जब दादू अमरीश इंडस्ट्री में संघर्ष कर रहे थे, तब दादी ओवरटाइम काम करती थी। वे हमेशा कहते थे 'मैं हीरो बनूं या ना बनूं लेकिन इस घर की हीरो तो मेरी बीवी ही है।
अमरीश पुरी को पत्नी के हाथ का खाना बेहद पसंद था
अमरीश पुरी पत्नी के हाथ के बने खाने ही खाते थे। जब मुंबई में कहीं शूटिंग होती तो सेट पर भी उर्मिला के हाथ का ही खाना खाते थे। घर में कोंकण खाना खूब बनता था और ये अमरीश पुरी को काफी पसंद भी था। चावल खाना पसंद नहीं करते थे। रोटियां चाव से खाते थे। वेजिटेरियन ज्यादा पसंद था, लेकिन कभी-कभी नॉन वेज में सी फूड और फिश का भी लुत्फ उठाते थे।