मुम्बई, मई 3: मशहूर गीतकार और लेखक जावेद अख्तर ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में मोहम्मद अली जिन्ना की फ़ोटो लगाए जाने को शर्मनाक बताया। लेकिन साथ ही अख्तर ने ये भी कहा कि जिन्ना की फ़ोटो का विरोध करने वालों को अब नाथूराम गोडसे का मंदिर बनाने वालों का विरोध करना चाहिए।
अख्तर की ये समझाइश ट्विटर पर लोगों के गले नही उतरी। उन्होंने जहां अख़्तर के जिन्ना की फ़ोटो हटाये जाने के समर्थन का स्वागत किया वहीं गोडसे की टिप्पणी को लेकर उन्हें आड़े हाथों लिया। कुछ लोगों ने उनके इस
इस ट्वीट के जवाब में विवेक कुमार विश्वास ने कहा की जावेद अख्तर को गोडसे के बारे में एक अलग ट्वीट करना चाहिए था। विवेक ने ये भी कहा की धर्मनिरपेक्ष ट्वीट करके अख्तर ने पुरे मुद्दे को ही हल्का बना दिया है।
एक ट्विटर यूजर ने अख्तर से पुछा की वो एक ऐसी शिक्षण संस्था बता दें जहाँ गोडसे की फोटो लगाई गयी हो।
वहीँ हर्षदीप ने अख्तर का समर्थन करते हुए कहा की जिन्ना और गोडसे का एक ही ट्वीट में ज़िक्र बिलकुल भी आपतिजनक नहीं है। दोनों गोडसे और जिन्ना ने भारत का नुक्सान ही किया है।
आसिफ रफ़ीक ने कहा की जिन्ना ने भारत और पाकिस्तान की आज़ादी के लिए लड़ाई लड़ी थी। साथ ही उन्होंने पाकिस्तान के एक म्यूजियम की फोटो भी शेयर करी जिसमे जिन्ना और गाँधी दोनों के ही पुतले लगे हैं।
नुज़त फिरदौस ने ट्वीट कर कहा की इस लिहाज़ से तो मुंबई में स्थित जिन्ना हाउस और गुंटूर के जिन्ना टावर का नाम भी बदल देना चाहिये। साथ ही उन्होंने ने ये भी कहा की ये इतिहास का हिस्सा हैं और इनका सम्मान करना चाहिए।
एक और यूजर ने कहा की AMU सरकारी पैसे से चलता है और ये कोई निजी संसथान नहीं है। जिन्ना के हाथ खून से रंगे हैं और वो हमारा आदर्श नहीं बन सकते हैं।
जिन्ना की तस्वीर को हटाने को लेकर विवाद के चलते अलीगढ में तनाव का माहौल है। वहां छात्रों और पुलिस के बीच झड़प भी हुई थी।