ब्लॉग: आपसी भरोसा और सम्मान कायम कर पाएगा चीन? 

By शोभना जैन | Updated: October 25, 2024 09:12 IST2024-10-25T09:12:47+5:302024-10-25T09:12:50+5:30

इसलिए हाड़ कंपा देने वाली सर्दियां शुरू होते ही   चीन इस सीमा पर कैसी सैन्य स्थिति बनाएगा, इस पर फिलहाल तो कुछ कह पाना मुश्किल है.

Will China be able to establish mutual trust and respect | ब्लॉग: आपसी भरोसा और सम्मान कायम कर पाएगा चीन? 

ब्लॉग: आपसी भरोसा और सम्मान कायम कर पाएगा चीन? 

भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा- एलएसी पर दोनों देशों के बीच हाल ही में उस क्षेत्र  में सैनिकों की गश्त को लेकर हुआ अहम समझौता स्वागत योग्य है. इसके मायने हैं कि वर्ष 2020 में गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प से पैदा हुए गतिरोध से पहले भारतीय सैनिक जहां गश्त लगाते थे अब वह पुन: उस स्थान पर गश्त लगा सकेंगे.

रूस के कजान शहर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई वार्ता में मोदी ने  सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने को सर्वोच्च प्राथमिकता देने पर जोर दिए जाने के साथ ही कहा कि आपसी विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता दोनों के रिश्तों का आधार होना चाहिए.  ऐसे में सवाल है कि क्या चीन उस भरोसे को कायम करने के लिए उपयुक्त कदम उठाएगा?  

इस समझौते के बारे में हालांकि अभी पूरी जानकारी मुहैया नहीं कराई गई है लेकिन शुरुआती  कदम बतौर गश्त बहाल करने पर सहमति एक अच्छा संकेत है. लेकिन पिछले सालों में चीन ने इन क्षेत्रों में जिस तरह से आक्रामक गतिविधियों का जाल बिछाया है, उसके चलते संबंध सामान्य बनाने के अगले चरण काफी चुनौतीपूर्ण होंगे. हालांकि  चीन अब समझ चुका है कि भारत के साथ इस तरह की आक्रामक गतिविधियां ज्यादा नहीं चल सकतीं, फिर भी इतनी आसानी से  वह  वहां हड़पी जमीन को छोड़ने वाला नहीं है.  

दोनों नेताओं की पांच साल बाद बातचीत हुई है. मोदी और जिनपिंग के बीच आखिरी बार 2019 में द्विपक्षीय मुलाकात हुई थी. पिछले कुछ महीनों में कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर जो वार्ताएं हुई हैं, उसका ही नतीजा है कि तनाव कम करने पर एक समझौते की बात सामने आई है.  

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘भारत और चीन के बीच मुद्दों को सुलझाने के लिए  विशेष प्रतिनिधि नियुक्त किए गए हैं. भारत की तरफ से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीन की तरफ से विदेश मंत्री वांग यी इन मामलों  पर जल्द ही औपचारिक बैठक करेंगे.  

वैसे जानकारों के  अनुसार वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सर्दियों के आने पर और  बर्फबारी होते ही गश्त अपेक्षाकृत थोड़ी धीमी पड़ सकती है. इस दौरान चीन अगर नेकनीयती दिखाए तो दोनों देश मिल कर  अपनी सेनाओं के  विवादास्पद क्षेत्रों से हटने के बारे में आगे का रोडमैप तैयार कर सकते हैं. लेकिन चीन की कथनी और करनी में फर्क के चलते उसके प्रति भारत का पिछला अनुभव बहुत तल्ख रहा है. इसलिए हाड़ कंपा देने वाली सर्दियां शुरू होते ही   चीन इस सीमा पर कैसी सैन्य स्थिति बनाएगा, इस पर फिलहाल तो कुछ कह पाना मुश्किल है.

उम्मीद की जानी चहिए कि चीन  आपसी विश्वास,  सम्मान और संवेदन शीलता से आपसी संबंध बनाने के लिए भारत के प्रयासों में  साझीदार बन सकेगा ताकि संबंध सामान्य बनाने  की एक नई शुरुआत हो सके. निश्चय ही सीमा पर तनाव कम करने संबंधी चीन के अगले कदमों से यह बात जाहिर हो जाएगी.

Web Title: Will China be able to establish mutual trust and respect

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