विवेक शुक्ला का ब्लॉग: पाकिस्तान के पंजाब में क्या बचेगी पंजाबी?
By विवेक शुक्ला | Updated: September 25, 2024 10:18 IST2024-09-25T10:16:33+5:302024-09-25T10:18:25+5:30
सरहद के उस पार के पंजाब में पिछली 24 फरवरी को मरियम नवाज ने पंजाब के मुख्यमंत्री पद की शपथ उर्दू में ली। दरअसल पाकिस्तान के हिस्से वाला पंजाब धरती की जुबान पंजाबी से लगातार दूर हो रहा है।

विवेक शुक्ला का ब्लॉग: पाकिस्तान के पंजाब में क्या बचेगी पंजाबी?
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पिछले सोमवार को अपनी कैबिनेट में पांच नए मंत्री शामिल किए। नए मंत्रियों ने पद और गोपनीयता की शपथ पंजाबी में ली। यह सामान्य बात है। उधर, सरहद के उस पार के पंजाब में पिछली 24 फरवरी को मरियम नवाज ने पंजाब के मुख्यमंत्री पद की शपथ उर्दू में ली। दरअसल पाकिस्तान के हिस्से वाला पंजाब धरती की जुबान पंजाबी से लगातार दूर हो रहा है।
अगर हमारे यहां के पंजाब में चुनाव प्रचार पंजाबी में होता है, तो उधर आमतौर पर उर्दू में होता है। क्या आप यकीन करेंगे कि पाकिस्तान की पंजाब असेंबली में बहस उर्दू या इंग्लिश में ही हो सकती है? पंजाबी में बहस करना या सवाल करना निषेध है। मतलब धरती की भाषा को असेंबली में बोलने की मनाही है। आप अपनी मातृभाषा में शपथ भी नहीं ले सकते।
अपने घर में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री भले ही पंजाबी में बोलते हों या पंजाबी लोकगीत सुनना भी पसंद करते हों लेकिन वे पंजाब अंसेबली में उर्दू से इतर किसी भाषा में नहीं बोलते। क्या हमारे पंजाब में कोई मुख्यमंत्री पंजाबी से दूरी बनाकर सियासत कर सकता है? हर्गिज नहीं।
पंजाबी के अपमान और अनदेखी से नाराज सैकड़ों पंजाबी भाषी पाकिस्तानी धीरे-धीरे सड़कों पर उतर रहे हैं। जाहिर है, ये अपनी मां बोली के साथ हो रहे अन्याय से दु:खी हैं। पंजाबी के कवि रेहान चौधरी कहते हैं कि हम पंजाबी के हक में इसलिए लड़ रहे हैं, क्योंकि हमारी पंजाबी के रूप में पहचान हमारे पाकिस्तानी होने की पहचान से कहीं अधिक पुरानी है। हम हजारों सालों से पंजाबी हैं। पाकिस्तानी तो हम 75 सालों से हैं।
भारत के पंजाब में तो पंजाबी को उसका वाजिब का हक मिल रहा है। हमारे पंजाब में सरकारी दफ्तरों से लेकर स्कूलों और कॉलेजों में पंजाबी का हर स्तर पर प्रयोग होता है। पर पाकिस्तान के स्कूलों-काॅलेजों में इसकी पढ़ाई की कोई व्यवस्था नहीं है।
यह सब कुछ हो रहा है सरकार की उर्दू परस्त नीति के कारण। पंजाबी बनाम उर्दू का अगर कोई सौहार्द्रपूर्ण तरीके से हल नहीं खोजा गया तो पाकिस्तान का सबसे बड़ा सूबा भाषाई विवाद के आग में स्वाहा होने लगेगा।