वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः चीन के ओलंपिक खेलों का बहिष्कार

By वेद प्रताप वैदिक | Published: February 5, 2022 02:39 PM2022-02-05T14:39:24+5:302022-02-05T14:39:32+5:30

चीनियों ने ये सब ऊटपटांग काम तब किए जबकि भारत ने नवंबर 2021 में भारत-रूस-चीन के त्रिगुट की बैठक में ओलंपिक खेलों के स्वागत की घोषणा कर दी थी। इसके अलावा उसकी जमीन कब्जाए जाने और उसके सैनिकों की हत्या के बावजूद वह चीन से शांतिपूर्वक संवाद भी कर रहा है।

Vedpratap Vaidik's blog China's Olympic Games boycott | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः चीन के ओलंपिक खेलों का बहिष्कार

वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः चीन के ओलंपिक खेलों का बहिष्कार

चीन की राजधानी बीजिंग में शुरू हो रहे शीतकालीन ओलंपिक खेलों के उद्घाटन और समापन समारोहों के बहिष्कार का निर्णय भारत ने लिया है। हमारे कूटनीतिज्ञ न उसके उद्घाटन और न ही समापन समारोह में शामिल होंगे, क्योंकि चीन ने भारत को अपमानित करने के लिए एक नया पैंतरा मारा है। उसने ओलंपिक के आरंभिक जुलूस में अपनी फौज के उस कमांडर को मशालची बनाया है, जो गलवान घाटी में भारत पर हुए हमले का कर्ता-धर्ता था। की फाबाओ नामक इस कमांडर ने गलवान-मुठभेड़ के बाद एक इंटरव्यू में काफी शेखी बघारी थी और भारत के 20 जवानों को मारने का श्रेय अपने सिर लिया था। चीनी फौज ने उसे उसकी वीरता के लिए पुरस्कृत भी किया था। ऐसे व्यक्ति को ओलंपिक गेम्स का हीरो बनाना क्या इस बात का सूचक नहीं है कि चीन चोरी और सीनाजोरी पर उतारू है? इतना ही नहीं, पिछले माह चीनी फौजियों ने सीमांत के एक गांव से एक भारतीय नौजवान को अगवा करके उसकी जमकर पिटाई की और भारत के विरोध करने पर उसे लौटा दिया लेकिन उसे अधमरा करके।

चीनियों ने ये सब ऊटपटांग काम तब किए जबकि भारत ने नवंबर 2021 में भारत-रूस-चीन के त्रिगुट की बैठक में ओलंपिक खेलों के स्वागत की घोषणा कर दी थी। इसके अलावा उसकी जमीन कब्जाए जाने और उसके सैनिकों की हत्या के बावजूद वह चीन से शांतिपूर्वक संवाद भी कर रहा है। इसका अर्थ क्या यह नहीं है कि चीन अपनी दादागीरी पर उतारू हो गया है? उसे शायद यह बुरा लग रहा है कि भारत और अमेरिका एक-दूसरे के इतने नजदीक क्यों आ रहे हैं। चीनी ओलंपिक के उद्घाटन में भाग लेने के लिए रूस से पुतिन, पाकिस्तान से इमरान खान और पांचों मध्य एशियाई गणतंत्रों के राष्ट्रपति बीजिंग पहुंच रहे हैं। लेकिन अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, डेनमार्क जैसे कई देशों ने इन खेलों का राजनयिक बहिष्कार पहले से इसलिए घोषित कर रखा है कि चीन में मानव अधिकारों का घोर उल्लंघन होता है। एक अमेरिकी सीनेटर ने तो दो-टूक शब्दों में कहा है कि चीन की यह हरकत शर्मनाक है कि उसने ओलंपिक के जूलूस में ऐसे मशालची को शामिल किया है, जिसने उइगर मुसलमानों का कत्ले-आम किया है और भारतीय जवानों को भी मारा है। भारत ने ओलंपिक खेलों का यह बहिष्कार पहली बार किया है और सरकार इन खेलों को अब अपने दूरदर्शन के चैनलों पर भी नहीं दिखाएगी। चीन की इस हरकत ने भारत-चीन फौजी संवाद में एक नई कड़वाहट को जन्म दे दिया है।

Web Title: Vedpratap Vaidik's blog China's Olympic Games boycott

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