वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः दुबई में नजर आती है भारतीयता की झलक
By वेद प्रताप वैदिक | Published: November 18, 2021 02:22 PM2021-11-18T14:22:43+5:302021-11-18T14:22:52+5:30
दुनिया के लगभग 200 देशों के लोग इस संयुक्त अरब अमीरात में काम करते हैं। इसमें सभी मजहबों, जातियों, रंगों और हैसियतों के लोग हैं लेकिन उनके बीच कभी हिंसा, दंगा, तनाव आदि की खबर नहीं आती।
हाल ही में जब हम लोग दुबई पहुंचे तो हमने इस बार वह दुबई देखा, जो पहले कभी नहीं देखा था। यह कोराना महामारी का कमाल था। यों तो मैं दर्जनों बार दुबई-अबुधाबी आ चुका हूं लेकिन कोरोना का प्रकोप दुबई जैसे राज्य का ऐसा नया रूप ढाल देगा, ऐसी उम्मीद नहीं थी। अब से लगभग 40 साल पहले मैं ईरान से भारत आते हुए कुछ घंटों के लिए दुबई में रुका था। जिस होटल में रुका था, उससे बाहर निकलते ही मुझे दौड़कर अंदर जाना पड़ा, क्योंकि भयंकर गर्मी और धूप थी। इसके अलावा उस होटल के आसपास खुला रेगिस्तान था और थोड़ी दूर पर समुद्र लहरा रहा था। लेकिन अब अगर आज आप दुबई जाएं तो आपको समझ ही नहीं पड़ेगा कि आप लंदन में हैं या न्यूयॉर्क में हैं या शंघाई में हैं।
उन दिनों भी बाजार वगैरह तो यहां थे लेकिन आजकल तो यहां इतने बड़े-बड़े मॉल बन गए हैं कि उन्हें देखते-देखते आप थक जाएं। सड़कों के दोनों तरफ इतने ऊंचे-ऊंचे भवन बन गए हैं कि आप यदि उनके नीचे खड़े होकर उन्हें ऊपर तक देखें तो आपकी टोपी गिर जाए। आजकल तो दुबई के आसपास जो रेगिस्तानी इलाके थे, उन्हें एकदम हराभरा कर दिया गया है और वहां स्वतंत्र प्लॉट बना दिए गए हैं। हमारे कई मित्रों ने वहां महलनुमा बंगले बना लिए हैं। जो लोग भारत से सिर्फ कपड़ों का सूटकेस लेकर आए थे, उन्होंने अपनी मेहनत और चतुराई से अब इतना पैसा कमा लिया है कि वे कपड़ों की जगह डिरहाम (रुपए) सूटकेसों में भरकर घूम सकते हैं। यहां भारतीय व्यापारियों, उद्योगपतियों, अफसरों का बोलबाला तो है ही, हमारे बहुत-से कर्मचारी और मजदूर भी कार्यरत हैं।
दुनिया के लगभग 200 देशों के लोग इस संयुक्त अरब अमीरात में काम करते हैं। इसमें सभी मजहबों, जातियों, रंगों और हैसियतों के लोग हैं लेकिन उनके बीच कभी हिंसा, दंगा, तनाव आदि की खबर नहीं आती। सभी लोग प्रेमपूर्वक जीवन जीते हैं। यहां की लगभग एक करोड़ की जनसंख्या में 30 लाख से भी ज्यादा भारतीय हैं। सात राज्यों से मिलकर बने इस संघ-राज्य में आप जहां भी जाएं, आपको भारतीय दिखते रहेंगे। भारत के पड़ोसी देशों के लोग भी यहां काफी संख्या में हैं। लेकिन उनके बीच भी कोई तनाव नहीं दिखाई देता।
अबुधाबी इस संघ की राजधानी है लेकिन हमारे मुंबई की तरह दुबई ही व्यापार और शान-शौकत का केंद्र है। आजकल यहां चल रही विश्व-प्रदर्शनी को देखने के लिए बाहर से काफी लोग आ रहे हैं लेकिन इस बार दुबई हवाई अड्डे, सड़कों और बाजारों में पहले-जैसी भीड़ दिखाई नहीं पड़ती। फिर भी ऐसा लगता है कि दुबई भारत का ही उन्नत रूप है। इसे छोटा-मोटा भारत भी कह सकते हैं लेकिन भारत दुबई-जैसा बन जाए, इसके लिए भारत में तेल-जैसी कोई जादू की छड़ी मिलनी चाहिए। परंतु भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था है और यहां है- राजशाही या बादशाही!