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ब्रह्मांड की अंधेरी गुफाओं का रहस्य

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: April 15, 2019 08:25 IST

खगोलविदों ने ब्लैक होल के बारे में बड़ी उपलब्धि हासिल की है. इन ब्लैक होल को ब्रम्हांड की अंधेरी गुफाएं भी कहा जा सकता है. 

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निरंकार सिंह

ब्लैक होल की परिकल्पना सबसे पहले 1915 में अल्बर्ट आइंस्टीन ने की थी. आइंस्टीन के सामान्य सापेक्षिकता के सिद्घांत के अनुसार ब्लैक होल ऐसी खगोलीय वस्तु होती है जिसका गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र इतना शक्तिशाली होता है कि प्रकाश सहित कुछ भी इसके खिंचाव से बच नहीं सकता. नासा द्वारा जारी सैगिटेरियस-ए नामक ब्लैक होल की तस्वीरों से एक बार फिर उनके सिद्घांत और उनकी परिकल्पना की पुष्टि हुई है. खगोलविदों ने ब्लैक होल के बारे में बड़ी उपलब्धि हासिल की है. इन ब्लैक होल को ब्रम्हांड की अंधेरी गुफाएं भी कहा जा सकता है. 

अमेरिका स्थित नेशनल साइंस फाउंडेशन ने पिछले महीने वाशिंगटन में एक प्रेस वार्ता के दौरान इवेंट होराइजन टेलिस्कोप (ईएचटी) प्रोजेक्ट के परिणाम की घोषणा की. ईएचटी को ब्लैकहोल की तस्वीर उतारने के लिए ही डिजाइन किया गया था. यह कई टेलिस्कोप की मदद से बनाई गई है. ईएचटी प्रोजेक्ट के जरिए कई सारे रेडियो टेलिस्कोप एंटीना को इस तरह जोड़ा गया ताकि वह एक टेलिस्कोप की तरह काम करे. 

अप्रैल 2017 में हवाई, एरिजोना, स्पेन, मैक्सिको, चिली और दक्षिणी गोलाद्र्घ में आठ रेडियो टेलिस्कोप को स्थापित किया गया. इनकी मदद से ब्रrांड के दो अलग-अलग ब्लैक होल का डाटा इकट्ठा किया गया है. एक ब्लैक होल हमारी गैलेक्सी ‘मिल्की वे’ के मध्य में स्थित है. सैगिटेरियस-ए नामक यह ब्लैक होल 4.4 करोड़ किमी में फैला हुआ है. इसका भार सूर्य से चालीस लाख गुना अधिक होने का अनुमान है. दूसरा ब्लैक होल एम 87 गैलेक्सी में स्थित है. यह सैगिटेरियस से भी 1500 गुना भारी है. नासा ने पहली बार सैगिटेरियस-ए ब्लैक होल की तस्वीरें 11 अप्रैल को जारी कर इसे बेहद अनोखी घटना बताया. 

वैज्ञानिकों के प्रयास से दुनिया ने पहली बार ब्लैक होल की तस्वीर देखी. असल में किसी भी ब्लैक होल की तस्वीर लेना असंभव था, क्योंकि यह ऐसी संरचना है, जिससे प्रकाश भी वापस नहीं आता. ब्लैक होल में हर पल अनगिनत पिंड समा रहे होते हैं. इस प्रक्रिया में उसके चारों ओर प्रकाश और तरंगों  का एक चक्र बन जाता है, जिससे छत्ते जैसी आकृति बनती है. 

वैज्ञानिकों ने ऐसे ही छत्ते की तस्वीर खींची है. उन तरंगों के बीच दिख रहा काला हिस्सा ही ब्लैक होल है. वैज्ञानिकों के अनुसार इससे मानवीय कल्पना को अपनी ओर खींचने वाले स्पेस टाइम फैब्रिक के रहस्य, विकृत क्षेत्र का खुलासा हो सकता है. इससे आने वाली पीढ़ियों को शोध सामग्री भी उपलब्ध हो सकती है. 

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