गाजा में फिलहाल शांति लौट आई है लेकिन इसके साथ ही सवाल यह है कि गाजा में जिंदगी कैसे आगे बढ़ेगी. फिलहाल राहत सामग्री पहुंचने लगी है और उम्मीद की जानी चाहिए कि दो वर्षों से रोटी, पानी और दवाइयों के लिए तरस रहे लोगों का पेट भर पाएगा और बीमारियों से निजात मिल पाएगी. यह तो हुई अस्थाई व्यवस्था. गाजा की जो तस्वीरें सामने आती रही हैं वो पूरा सच नहीं दिखा रही थीं क्योंकि इजराइल ने मीडिया को भी बाहर कर रखा था. तस्वीरें तो अब आएंगी जब अंतरराष्ट्रीय मीडिया को वहां खुले में घूमने की आजादी होगी.
जहां चाहें, वहां तस्वीर खींचने की आजादी होगी मगर बर्बादी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता हैै कि इजराइल ने वहां करीब-करीब 2 लाख टन से ज्यादा विस्फोटक गिराए हैं. विशेषज्ञ कहते हैं कि यह हिरोशिमा पर गिराए गए 13 परमाणु बमों के बराबर है. किसी जगह यदि इतना सारा विस्फोटक गिरा हो तो सहजता से अंदाजा लगाया जा सकता है कि गाजा इस वक्त एक बड़ा कब्रिस्तान बना हुआ है.
हजारों-लाखों इमारतें नष्ट हो गई हैं. जरा सोचिए कि केवल मलबा हटाने में ही कितना वक्त लगेगा. फिर वहां नए सिरे से मकान बनाने में कितना वक्त लगेगा. शायद कई दशक लग जाएं. लेकिन क्या यह सब इतनी आसानी से हो पाएगा? इराक में इस्लामिक स्टेट और अमेरिका के बीच हुए युद्ध में पूरा मोसूल तबाह हो गया था. तब वहां अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की मदद से पुनर्निर्माण का काम हुआ.
मोसूल और गाजा में बहुत बड़ा फर्क है. मोसूल से इस्लामिक स्टेट के पैर उखड़ चुके थे लेकिन गाजा में हमास अब भी मौजूद है. इजराइल और हमास के बीच अविश्वास की गहरी खाई है. दोनों एक-दूसरे को नुकसान पहुंचाने का कोई अवसर शायद ही खोना चाहेंगे. यदि हमास को लगा कि गाजा के पुनर्निर्माण से उसके वजूद को झटका लगने जा रहा है तो वह किसी भी सूरत में आसानी से पुनर्निर्माण होने नहीं देगा.
हमास ने गाजा के भीतर सैकड़ों किलोमीटर लम्बी सुरंगें खोद रखी हैं जिसका उपयोग उसने इजराइल के खिलाफ जंग में किया. एक दूसरा पक्ष यह भी है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पहले कह चुके हैं कि वे गाजा को बड़े पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करना चाहते हैं. डोनाल्ड ट्रम्प ऐसे व्यक्ति हैं जो हर काम व्यापारिक नजरिये से करते हैं. यहां तक कि अमेरिका का शासन भी व्यापार-व्यवसाय की तरह ही चला रहे हैं. यदि हमास को लगा कि ट्रम्प तो गाजा को हथिया रहे हैं तो फिर क्या होगा?
हमास की मौजूदगी में क्या पुनर्निर्माण के लिए अंतरराष्ट्रीय निर्माण कंपनियां गाजा पहुंचने की हिम्मत करेंगी? दूसरी सबसे बड़ी बात कि गाजा के पुनर्निमाण के लिए पैसा कहां से आएगा? जाहिर सी बात है कि गाजा की समस्याएं अभी खत्म नहीं हुई हैं. रोटी, पानी और दवाइयों की व्यवस्था हो जाएगी लेकिन गाजा में जिंदगी पटरी पर लौटने में वर्षों लग जाएंगे. हम सभी को इसमें ईमानदार प्रयासों की उम्मीद करनी चाहिए.