President Trump's MAGA: एक नई कूटनीतिक संस्कृति का दौर शुरू?, रोडमैप पेश

By हरीश गुप्ता | Updated: February 20, 2025 05:50 IST2025-02-20T05:50:23+5:302025-02-20T05:50:23+5:30

President Trump's MAGA: कूटनीतिक हलकों का कहना है कि दिखावे के लिहाज से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और भारतीय प्रधानमंत्री के बीच शिखर बैठक में भी केवल एक रोडमैप पेश किया गया.

President Trump's MAGA era new diplomatic culture begun pm narendra modi donald trump blog harish gupta | President Trump's MAGA: एक नई कूटनीतिक संस्कृति का दौर शुरू?, रोडमैप पेश

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Highlightsमस्क के साथ उनके सलाहकार और पत्नी, तीन बच्चे और उनकी नैनी भी थे.मोदी की मस्क के साथ अच्छी बैठक हुई, लेकिन इसने गंभीरता की कमी का संकेत भी दिया. कूटनीति के खेल में ट्रम्प और मस्क अलग-अलग तरह के खिलाड़ी हैं.

President Trump's MAGA: कूटनीतिक हलकों में इस बात को लेकर काफी आश्चर्य है कि राष्ट्रपति ट्रम्प की एमएजीए (मागा) टीम के प्रमुख एलन मस्क भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एस. जयशंकर, अजित डोभाल व अन्य शीर्ष अधिकारियों से बने उनके उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात करके किस तरह का संदेश देना चाहते थे. वाशिंगटन डीसी के ब्लेयर हाउस गए प्रतिनिधिमंडल को आश्चर्य हुआ क्योंकि उन्होंने पाया कि मस्क के साथ उनके सलाहकार और पत्नी, तीन बच्चे और उनकी नैनी भी थे.

बेशक, मोदी की मस्क के साथ अच्छी बैठक हुई, लेकिन इसने गंभीरता की कमी का संकेत भी दिया. हालांकि कई लोग कहते हैं कि यह यूएसए में विकसित हो रही एक नई संस्कृति का हिस्सा है. लेकिन कई लोग इस परिवर्तन से खुश नहीं हैं और सोचते हैं कि एक उचित कूटनीतिक संरचित बैठक और प्रक्रिया होनी चाहिए थी. लेकिन कूटनीति के खेल में ट्रम्प और मस्क अलग-अलग तरह के खिलाड़ी हैं.

कूटनीतिक हलकों का कहना है कि दिखावे के लिहाज से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और भारतीय प्रधानमंत्री के बीच शिखर बैठक में भी केवल एक रोडमैप पेश किया गया, जिसमें भारत द्वारा टैरिफ में और कटौती, तेल और गैस की खरीद में वृद्धि और अमेरिका के पांचवीं पीढ़ी के एफ-35 विमानों की संभावित खरीद शामिल थी.

लेकिन यह दोनों के लिए एक शानदार पल था, क्योंकि ट्रम्प ने मोदी को ‘मेरा एक बहुत अच्छा दोस्त’ कहा, और दोनों ने एक-दूसरे को गले लगाया. यह अलग बात है कि ट्रम्प ने भारत सहित अमेरिकी व्यापारिक साझेदारों पर ‘पारस्परिक’ टैरिफ की धमकी देने से कुछ घंटे पहले ही एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए थे.

चूंकि मोदी यह शिखर सम्मेलन चाहते थे, इसलिए अमेरिका ने इस पर कोई खास प्रतिक्रिया नहीं दी. सूत्रों का कहना है कि अमेरिकी खुफिया प्रमुख तुलसी गबार्ड ने एस. जयशंकर के प्रयासों की बदौलत मोदी की यात्रा को संभव बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

ऐसा कहा जाता है कि ट्रम्प किसी बात को लेकर मोदी से नाराज हैं, हालांकि सब कुछ ठीक लग रहा था, सिवाय इसके कि ट्रम्प व्हाइट हाउस में ओवल ऑफिस से मोदी को रिसीव करने के लिए बाहर नहीं आए. दिलचस्प बात यह है कि ट्रम्प ने मोदी के भारत आने के निमंत्रण का तुरंत जवाब भी नहीं दिया.

पीएम के करीबी की शीर्ष आईआईसी पद पर नजर

पिछले कुछ समय से भाजपा राजधानी और अन्य जगहों पर धीरे-धीरे सभी प्रमुख स्वतंत्र संस्थानों और क्लबों पर नियंत्रण करने की कोशिश कर रही है. ये लंबे समय से या तो कांग्रेस या तथाकथित धर्मनिरपेक्षतावादियों के अधीन थे. लेकिन 2014 में मोदी के सत्ता में आने के बाद चीजें बदल गईं.

भाजपा नेताओं ने दिल्ली गोल्फ क्लब पर कब्जा करने की कोशिश की, लेकिन यह कदम इसलिए टाल दिया क्योंकि यह बहुत मुश्किल था और सही समय का इंतजार करने का फैैसला किया गया. लेकिन दिल्ली जिमखाना क्लब में वे सफल रहे क्योंकि प्रबंध समिति में अंदरूनी लड़ाई चल रही थी.

पहले, सुरक्षा के नाम पर इसे बंद करने के बारे में सोचा गया था क्योंकि यह प्रधानमंत्री के आवास के बहुत करीब है और इसलिए इसे स्थानांतरित किया जाना चाहिए. लेकिन नौकरशाहों ने इस पर आपत्ति जताई और जल्द ही एक रास्ता निकाल लिया गया. अब, सरकार ने दिल्ली जिमखाना क्लब का प्रशासक नियुक्त किया है जो इसे चलाता है. समिति को भंग कर दिया गया है.

इसी तरह इंडिया हैबिटेट सेंटर अनुभवी पूर्व राजनयिक भास्वती मुखर्जी के अधीन है. वह भाजपा की करीबी सहयोगी और एक पेशेवर हैं और अब इंडिया हैबिटेट सेंटर की अध्यक्ष हैं. अब इंडिया इंटरनेशनल सेंटर की बारी है. प्रधानमंत्री के पूर्व प्रधान सचिव और राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने आईआईसी के न्यासी बोर्ड के चुनाव के लिए अपना नामांकन दाखिल किया है.

बताया जा रहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने उनके नामांकन पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं. अगर मिश्रा जीतते हैं तो भाजपा आईआईसी पर कब्जा कर लेगी जो दशकों से वामपंथियों का गढ़ रहा है. लेकिन कोई भी सुनिश्चित नहीं है क्योंकि कोई और उम्मीदवार खड़ा हो सकता है और मुकाबले की स्थिति में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भाजपा जीतती है या यह पिछले कई दशकों से आईआईसी पर पारंपरिक रूप से काबिज लोगों के पास चली जाती है.

शीश महल से साझा आवास तक

दिल्ली में करारी हार के बाद आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल भले ही हिम्मत दिखा रहे हों और तरह-तरह के बयान दे रहे हों, लेकिन घर के अंदर उनका चेहरा उदास और हताश है. वे अपना आपा खो रहे हैं और खुद को दोराहे पर खड़ा पा रहे हैं. मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद शीश महल खाली करने के बाद वे नए सरकारी घर में शिफ्ट नहीं हुए.

बल्कि उन्होंने अपने एक राज्यसभा सांसद से फिरोजशाह रोड स्थित घर खाली करने को कहा, ताकि वे वहीं रह सकें. बताया जाता है कि केजरीवाल ने दिल्ली से मौजूदा राज्यसभा सांसद एन.डी. गुप्ता से बंगला खाली करने को कहा, ताकि वे अपने परिवार के साथ वहां रह सकें.

गुप्ता ने स्वाति मालीवाल की तरह व्यवहार करने के बजाय ऐसा करने में कोई देरी नहीं की और अपने मालिक की बात मान ली. सवाल यह है कि सांसदों के बंगलों से संबंधित नियमों के तहत इस तरह का बंटवारा या सब-लेटिंग जायज है या नहीं.

और अंत में

लालफीताशाही को कम करने की मोदी की योजना धराशायी हो गई क्योंकि नए कैबिनेट सचिव ने पाया कि उनके पूर्ववर्ती राजीव गौबा के नोट को विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में उनके अधीन काम करने वाले सचिवों ने नजरअंदाज कर दिया था, जिसमें उन्हें निर्णय लेने वाले स्तरों के चार से अधिक नहीं होने के लिए कहा गया था.

टी.वी. सोमनाथन निर्णय लेने की प्रक्रिया में देरी से बेहद परेशान हैं. उन्हें मंत्रालयों को निर्दिष्ट करने वाला दो साल पुराना आदेश मिला. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा यह बताए जाने के बाद कि भारत आसानी से व्यापार करने के लिए एक कठिन जगह है, इस मामले ने तत्काल तूल पकड़ लिया. सभी मंत्रालयों को पिछले आदेश का पालन करने के लिए सख्त संदेश भेजा गया है.

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