PM Modi US Visit: मजबूत विदेश नीति से दुनिया में बढ़ता भारत का सम्मान
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: June 24, 2023 13:59 IST2023-06-24T13:57:26+5:302023-06-24T13:59:42+5:30
स्टेट विजिट पर आने वाले राष्ट्र प्रमुख की यात्रा का पूरा खर्च अमेरिका वहन करता है। इसके पहले भारतीय प्रधानमंत्री के तौर पर सिर्फ मनमोहन सिंह ही स्टेट विजिट पर अमेरिका गए थे।

PM Modi US Visit: मजबूत विदेश नीति से दुनिया में बढ़ता भारत का सम्मान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका की वर्तमान राजकीय यात्रा (स्टेट विजिट) से न सिर्फ दोनों देशों के संबंध पहले से ज्यादा मजबूत हुए हैं बल्कि अमेरिका ने जिस तरह से मोदी की आवभगत की, सम्मान दिया, उससे पूरी दुनिया में संदेश गया है कि भारत अब वैश्विक मामलों में केंद्रीय भूमिका निभाने की स्थिति में पहुंच चुका है।
अमेरिका की यात्रा तो दुनिया के बहुत सारे राष्ट्राध्यक्ष करते हैं लेकिन स्टेट विजिट का न्यौता अमेरिका गिने-चुने राष्ट्र प्रमुखों को ही देता है। स्टेट विजिट पर आने वाले राष्ट्र प्रमुख की यात्रा का पूरा खर्च अमेरिका वहन करता है। इसके पहले भारतीय प्रधानमंत्री के तौर पर सिर्फ मनमोहन सिंह ही स्टेट विजिट पर अमेरिका गए थे।
महत्वपूर्ण बात यह है कि रूस के साथ भी भारत के घनिष्ठ संबंध हैं और यह बात जानते हुए भी अमेरिका भारत के साथ संबंधों को और सुदृढ़ बना रहा है। उल्लेखनीय है कि दुनिया की दोनों महाशक्तियों रूस और अमेरिका के बीच छत्तीस का आंकड़ा है और रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध में कहा जाए कि अमेरिका ही यूक्रेन के कंधे पर बंदूक रखकर चला रहा है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।
रूस से कच्चे तेल की खरीद करने से भारत को रोकने की अमेरिका और यूरोपीय देशों ने बहुत कोशिश की थी, लेकिन आज हालत यह है कि भारत न सिर्फ अपनी जरूरतों के लिए रूस से कच्चे तेल का आयात कर रहा है बल्कि उसे रिफाइन करके यूरोपीय देशों और यहां तक कि अब पाकिस्तान को भी निर्यात कर रहा है।
जाहिर है कि ऐसा मजबूत और मंजी हुए विदेश नीति की वजह से ही संभव हो पा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस समेत पूरी दुनिया को पहले ही संदेश दे चुके हैं कि वर्तमान युग युद्ध का युग नहीं है। बातचीत से ही दुनिया के सभी मतभेदों को सुलझाना होगा, हिंसा से किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकता।
बेशक भारत को अपनी सीमाओं पर चीन और पाकिस्तान जैसे दो कुटिल देशों से निपटना पड़ रहा है लेकिन भारत न तो इन दोनों देशों को उकसाने वाली कोई कार्रवाई कर रहा है और न इनके किसी उकसावे के आगे झुक रहा है। डोकलाम में 73 दिनों तक चीनी सेना के सामने भारतीय सेना डटी रही थी और आखिरकार चीनी सैनिकों को पीछे हटना पड़ा था।
इसी तरह गलवान घाटी की हिंसक झड़प में भी भारतीय सैनिक चीनी सैनिकों के सामने मजबूती से डटे रहे थे और चीन को ही ज्यादा जनहानि उठानी पड़ी थी। भारत ने संदेश दिया है कि न तो वह किसी देश के सामने झुकेगा और न किसी को अपने आगे झुकाएगा। जाहिर है कि ऐसी मजबूत विदेश नीति का दुनिया में सकारात्मक संदेश जाता है और देश का सम्मान भी बढ़ता है।