ब्लॉग: घोर अस्थिरता की ओर बढ़ते पाकिस्तान का आखिर हश्र क्या होगा ?
By शोभना जैन | Published: May 13, 2023 08:31 AM2023-05-13T08:31:02+5:302023-05-13T08:31:59+5:30
पिछले काफी समय से भीषण आर्थिक बदहाली झेल रहे पाकिस्तान में अब राजनीतिक घमासान भी उतना ही प्रबल हो गया है. इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद जनता जब सड़कों पर उतरी तो उसके पीछे गुस्सा सरकार द्वारा आर्थिक बदहाली दूर नहीं कर पाने का भी था. हालांकि अब इमरान खान को जमानत मिल गई है लेकिन कोई नहीं जानता कि पाकिस्तान का हश्र आखिर क्या होगा.
वैसे तो पाकिस्तान में बड़े राजनेताओं की गिरफ्तारी पर विशाल राजनीतिक प्रदर्शन पहले भी हुए हैं लेकिन फौजी प्रतिष्ठानों पर हिंसक विरोध प्रदर्शन पहली बार देखने को मिले हैं. कभी पाकिस्तानी सेना के ‘खास चहेते’ रहे इमरान के बीच धीरे-धीरे फासले बढ़ते गए. 2021 तक पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज अहमद और इमरान सरकार के बीच तनाव दिखा और उनके पदभार संभालने पर आर्मी चीफ बाजवा के साथ इमरान खान के ताल्लुकात कथित तौर पर बिगड़ गए. वैसे इमरान ने हमेशा इस बात से इंकार किया है कि वे पाकिस्तानी सेना के खास चहेते रहे हैं लेकिन कई जानकार राजनीति में उनके अचानक बढ़ते गए कद को इससे जोड़ कर देखते हैं.
पाकिस्तान में आर्थिक बदहाली का आलम यह है कि डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपए के मूल्य में पिछले एक साल में सौ रुपए से अधिक की गिरावट आई है. फिलहाल एक डॉलर की कीमत 285 रुपए है. पेट्रोल और डीजल की कीमत में लगभग 150 रुपए की बढ़ोत्तरी हुई है. देश का मुद्रा भंडार 10.5 अरब डॉलर से घटकर करीब 4.2 अरब डॉलर हो गया है. महंगाई की दर बढ़कर करीब 35 फीसदी हो गई है. ऐसे में एक तरफ पाकिस्तान जहां आर्थिक बदहाली से जूझ रहा है तो दूसरी तरफ वहां इस घटनाक्रम से पहले से ही बढ़ा राजनीतिक संकट और गहराता जा रहा है.
सवाल उठना लाजिमी है कि सरकार ने इमरान खान को गिरफ्तार करने का फैसला क्यों किया और अब पाकिस्तान के हालात बेहतर होंगे या और बदतर हो जाएंगे? इमरान खान जल्दी चुनाव की मांग कर रहे हैं, लेकिन सत्ताधारी गठबंधन जल्द चुनाव के लिए किसी हालत में तैयार नहीं है.
हालांकि यह पाकिस्तान का आंतरिक मामला है, लेकिन पाकिस्तान में बढ़ती अस्थिरता और अराजकता भारत सहित दक्षिण एशिया के सभी देशों के लिए चिंता का विषय है. भारत हमेशा से यही चाहता रहा है कि उसके पड़ोसी देश आर्थिक रूप से मजबूत और राजनीतिक तौर पर स्थिर रहें. आर्थिक रूप से कमजोर और राजनीतिक रूप से अस्थिर पाकिस्तान किसी के हित में नहीं है. देखना होगा कि पाकिस्तान में अगले कुछ दिनों में घटनाक्रम क्या करवट लेता है.