शहरी विकास के लिए एक चेतावनी है म्यांमार का भूकंप

By प्रमोद भार्गव | Updated: April 3, 2025 07:20 IST2025-04-03T07:20:05+5:302025-04-03T07:20:10+5:30

इसका केंद्र धरती की सतह से 10 किमी नीचे था.

Myanmar earthquake is a warning for urban development | शहरी विकास के लिए एक चेतावनी है म्यांमार का भूकंप

शहरी विकास के लिए एक चेतावनी है म्यांमार का भूकंप

म्यांमार में आए 7.7 तीव्रता के ताकतवर भूकंप ने 1700 से भी ज्यादा लोगों की जान ले ली और 2500 से भी ज्यादा लोग घायल हैं. भूकंप के प्रभाव में आकर जिस तरह से बहुमंजिला इमारतें ढहीं, सड़कें, पुल और बांध टूटे, बिजली और इंटरनेट सेवाएं ठप हो गईं, यह प्रकृति की एक ऐसी नजीर है, जो बढ़ते शहरीकरण के लिए चेतावनी है. थाईलैंड की राजधानी बैंकाॅक में आए कुछ पलों के झटकों ने ही दुनिया के इस सुंदर शहर को थर्रा दिया.

इसी बीच अमेरिका की भूगर्भीय सर्वेक्षण एजेंसी ने आशंका जताई है कि मरने वालों की संख्या 10 हजार से भी अधिक पहुंच सकती है. इस भूकंप के झटके भारत के पूर्वोत्तर राज्यों और पश्चिम बंगाल में भी अनुभव किए गए. चीन, वियतनाम, ताइवान, लाओस और श्रीलंका में भी भूकंप की तरंगें अनुभव की गईं. याद रहे भारत के भुज में 24 साल पहले आया भूकंप भी 7.7 तीव्रता का था, जिसमें 20 हजार लोगों की मौतें हुई थीं और डेढ़ लाख लोग घायल हुए थे.

तीन लाख से ज्यादा घरों को नुकसान हुआ था. म्यांमार का भूकंप काफी उथला था. इस भूकंप का केंद्र भूमि के 10 किमी नीचे था. भूकंप के केंद्र वाला म्यांमार का क्षेत्र संवेदनशील क्षेत्र के रूप में पूर्व से ही चिन्हित है. बावजूद यहां आवास और उद्योगों के लिए आलीशान अट्टालिकाएं खड़ी की जा रही हैं. भारतीय और यूरेशियन प्लेटों के टकराने का परिणाम इस भूकंप को माना जा रहा है.  

दिल्ली राजधानी क्षेत्र में 17 फरवरी 2025 की सुबह 5.36 बजे रिक्टर स्केल पर चार तीव्रता वाले भूकंप के झटके और धमाकों जैसी अवाजें सुनी गई थीं. राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के अनुसार भूकंप का केंद्र दिल्ली के धौलाकुआं के झील पार्क क्षेत्र में 5 किमी की गहराई में था.

इस कारण इसकी तीव्रता भूगर्भ में ही कमजोर पड़ गई और सतह पर नहीं आने पाई. बिहार में भी भूकंप के झटके अनुभव किए गए. इसका केंद्र धरती की सतह से 10 किमी नीचे था. इसलिए असर केवल अनुभव हुआ. बावजूद भविष्य में भूकंप का यह संकेत दिल्ली के लिए विनाश की चेतावनी है क्योंकि दिल्ली, हरिद्वार और महेंद्रगढ़ देहरादून के ऐसे पठारनुमा टीले पर बसा हुआ है, जहां से भूकंप की भ्रंश रेखा गुजरती है. अतएव यहां हमेशा भूकंप का खतरा बना रहता है.

यह संकट इसलिए भी है, क्योंकि यमुना नदी के मैदानी क्षेत्र में भूमि की परत नरम है. हालांकि इस भूकंप को विवर्तनिक परत (टेक्टोनिक्स प्लेट) में किसी बदलाव के कारण आना नहीं माना गया था. इसके आने का कारण स्थानीय भूगर्भीय विविधता को माना जा रहा है. याद रहे हिमालय के उत्तरी तलहटी में स्थित चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र शिगात्से के निकट तिंगरी काउंटी में 7 जनवरी 2025 को 7.1 तीव्रता का भूकंप आया था. इसमें 126 लोग मारे गए थे.  

Web Title: Myanmar earthquake is a warning for urban development

विश्व से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे