Louvre Museum in Paris: पिछले महीने पेरिस स्थित लूव्र म्यूजियम से करीब 800 करोड़ रुपए मूल्य के फ्रांस के शाही परिवार के बेशकीमती गहने चोरी हो गए. तब से मेरे मन में यही सवाल कौंध रहा है कि क्या वो वास्तव में दो-चार चोरों की करामात थी या फिर ऐसा नेक्सस, जो पर्दे के पीछे है. म्यूजियम में चोरी की यह कोई पहली घटना नहीं है. दुनियाभर में इस तरह की घटनाएं होती रही हैं. करीब सात लाख से ज्यादा गहने और बहुमूल्य कलाकृतियां अब तक गायब हो चुकी हैं. तो सबसे बड़ा सवाल यह है कि ये गहने चोर बाजार में पहुंचते कैसे हैं? इनकी खरीद-बिक्री कैसे होती है?
लूव्र म्यूजियम से चोरों ने जो आठ बेशकीमती गहने गायब किए हैं, उनमें नेपोलियन तृतीय की पत्नी यूजीन का ताज और ब्रोच, महारानी मेरी लुईज का पन्ने का हार और पन्ने की बालियां, महारानी मेरी-अमेलि और महारानी हॉर्तेंस के नीलम सेट का ताज, हार, एक बाली और एक ‘रिलिक्वरी ब्रोच’ शामिल है. चोर वैसे तो महारानी यूजीन का ताज भी ले जा रहे थे, लेकिन वह गिर गया.
यह पहली बार नहीं है जब लूव्र म्यूजियम में चोरी हुई हो. जिस तरह से बड़ी आसानी से चारी हुई है, उससे इस बात की शंका होती है कि चोरों की किसी के साथ मिलीभगत जरूर रही होगी, अन्यथा चोरी हो ही नहीं सकती थी. जिस तरह से दिन-दहाड़े वे शांति के साथ घुसे, जहां गहने रखे थे, उसके कांच को काटा और वहां से चंपत हो गए! क्या इतनी आसानी से यह सब संभव है?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब लूव्र में चोरी हुई हो. 1911 में वहां से लियोनार्दो डा विंची की प्रसिद्ध कलाकृति मोनालिसा चोरी हो गई थी. वैसे दो साल बाद वह पेंटिंग वापस मिल गई थी. तब से वो वहीं है. 1983 में 16वीं सदी के कुछ कवच आर्मर गायब हो गए जो 2011 में वापस मिल गए. 1998 में वहां फिर चोरी हुई.
महान कलाकार कैमील कोरो की एक पेंटिंग ‘द सेव्र रोड’ चोरी हो गई जो अब तक नहीं मिली है. एक उल्लेखनीय बात है कि फ्रांस के दूसरे म्यूजियम में भी चोरी की कई घटनाएं हुई हैं. हाल ही में लिमोज के एड्रियन डुबूशे म्यूजियम से 9.5 मिलियन यूरो की कीमती चीनी मिट्टी की कलाकृतियां चोरी हो गईं. पिछले साल नवंबर में पेरिस के कॉन्याक-जे म्यूजियम से सात बहुमूल्य कलाकृतियां चोरी चली गई थीं.
पांच मिल गईं लेकिन दो अभी भी गायब हैं. 2023 में जब ब्रिटिश संग्रहालय ने यह घोषणा की कि उसके यहां से 2000 से ज्यादा कलाकृतियां गायब हैं तो दुनिया चौंक गई क्योंकि ब्रिटिश संग्रहालय को सुरक्षा के मामलों में अच्छी रेटिंग हासिल है. यह मामला भी शायद सामने न आता यदि पुरातात्विक महत्व की चीजें खरीदने वाले एक व्यक्ति को संदेह न हुआ होता.
उसने इंटरनेट पर फैले बाजार से कुछ सामग्री अत्यंत कम दर पर खरीदी तो उसे विक्रेता की प्रामाणिकता पर संदेह हुआ. तत्काल ब्रिटिश संग्रहालय को उसने जानकारी दी. संग्रहालय ने एक आंतरिक जांच कमेटी का गठन किया लेकिन संग्रहालय ने कहा कि ऐसा कुछ नहीं हुआ है. दो साल बाद संग्रहालय ने स्वीकार किया कि 2000 से ज्यादा चीजें गायब हैं!
अब सवाल यह है कि दुनिया भर के संग्रहालयों से अब तक कितनी चीजें गायब हुई हैं जो इंटरनेट पर चल रहे चोर बाजार या भौतिक चोर बाजार में बिक गईं या बिकने के लिए मौजूद हैं! इस पर नजर रखने के लिए लंदन में संस्था है- आर्ट लॉस रजिस्टर! इसके संस्थापक जूलियन रेडक्लिफ हैं. उनके रजिस्टर में ऐसी सात लाख कलाकृतियां दर्ज हैं जो अपने संग्रहालयों से चोरी हो गईं.
हालांकि चोरी हुई वस्तुओं को फिर से प्राप्त कर पाना आसान नहीं होता लेकिन कुछ लोग हैं जो इसके लिए काम करते हैं. उन्हें कला जासूस के नाम से जाना जाता है. ऐसे जासूसों की एक अलग दुनिया है जो पता लगाने की कोशिश करते हैं कि चोरी गई कलाकृतियां इस वक्त कहां हैं? ऐसे जासूस नीलामी घरों में गुपचुप तरीके से काम करते हैं.
इस बात का प्रमाण एकत्रित करने की कोशिश करते हैं कि जिस चीज की नीलामी की जा रही है, वह अमुक जगह से चुराई गई है. मगर यह काम भी आसान नहीं होता. अमूमन होता यह है कि जो गहने गायब होते हैं, वे अपने मूल रूप में शायद ही कभी बेचे जाते हों. यदि कोई ऐसा ग्राहक मिल गया तो ठीक है, अन्यथा वे गहनों में शामिल हीरा, पन्ना और अन्य नगीनों को अलग कर लेते हैं.
लूव्र में चोरी हुए गहनों की तस्वीरें देखें तो उसमें जो पन्ने लगे हैं, वे दुनिया के बेशकीमती पन्नों में शामिल किए जा सकते हैं. चोर उन पन्नों को अलग कर लेंगे और चोर बाजार में बेच देंगे. जौहरी उनके बेशकीमती होने का प्रमाण पत्र दे देंगे और कौन साबित कर सकेगा कि वे पन्ने लूव्र से चुराए गए, महारानी के हार के हैं?
इंटरनेट ने तो बेशकीमती गहनों और कलाकृतियों के लिए नया चोर बाजार उपलब्ध कराया ही है, ऐसा बाजार पहले से भी धड़ल्ले से चल रहा है जहां अरबों, खरबों की कलाकृतियां बेची-खरीदी जाती रही हैं. ये चोर बाजार विभिन्न देशों के अलग-अलग कानूनों का फायदा उठाता है.
कुल मिलाकर कह सकते हैं कि दुनिया में एक ऐसा संगठित गिरोह मौजूद है जिसमें चोरी करने वाले से लेकर चोरी का सामान बेचने वाले तक मौजूद हैं और कानून उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता. ये वाकई बड़ी विडंबना है. इन्हें आप धरोहरों का डाकू कह सकते हैं.