चीन की टेढ़ी चालों पर निगहबानी जरूरी
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: April 29, 2025 07:56 IST2025-04-29T07:56:10+5:302025-04-29T07:56:14+5:30
दूसरे शब्दों में कहें तो चीन ने डेट ट्रैप और बीआरआई डिप्लोमेसी के जरिये दक्षिण-पूर्व एशिया, पूर्वी एशिया, मध्य-पूर्व और अफ्रीकी देशों में बड़े इन्फ्रा प्रोजेक्ट्स में पैसा लगाकर उनकी संपत्तियों पर ही नहीं सरकारों पर भी नियंत्रण स्थापित कर लिया है

चीन की टेढ़ी चालों पर निगहबानी जरूरी
रहीस सिंह
आज हम ट्रेड वाॅर को देखने में अधिक दिलचस्पी ले रहे हैं जिसे टैरिफ के जरिये अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने छेड़ रखा है. लेकिन इसके पीछे का सच क्या है? ठीक इसी तरह से हम यह देख प्रसन्न हो रहे हैं कि टैरिफ बढ़ाकर अमेरिका चीन को ठिकाने लगा रहा है लेकिन यह नहीं देख रहे कि चीन ने बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआई), कर्ज कूटनीति (डेट डिप्लोमेसी) और रक्षा व तकनीकी सहायता के नाम से फेंके जाल में दक्षिण पूर्व एशिया, दक्षिण एशिया, मध्य-पूर्व और अफ्रीका से लेकर लातिनी अमेरिका तक देशों को फंसा रखा है. वक्त-बेवक्त ये चीन के काम आनेवाले हैं.
पाकिस्तान उसका सदाबहार मित्र बन चुका है जिसके जरिये वह भारत से प्रॉक्सी युद्ध लड़ने की स्थिति में पहुंच चुका है. उसका ग्वादर बंदरगाह अब चीन के पास है जिसका आर्थिक और रणनीतिक महत्व है. इसके साथ ही सीपेक (चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर) का निर्माण कर रहा है जो काश्गर से ग्वादर को कनेक्ट करता है और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर जाता है. इसी प्रकार से श्रीलंका का हम्बनटोटा और मालदीव का मारओ भी चीनी रणनीति का हिस्सा बन चुका है.
नेपाल में माओवादियों की सफलता के बाद उसने अपना ऋण जाल फैलाया और उसके इन्फ्रास्ट्रक्चर से लेकर विकास के तमाम संसाधनों पर कब्जा कर लिया. चीन इस समय नेपाल को बड़े-बड़े सपने दिखा रहा है लेकिन इसका उद्देश्य नेपाल को ‘चाइनीज डेट ट्रैप’ में फंसाकर उसके संसाधनों पर कब्जा करना मात्र है.
बांग्लादेश में शेख हसीना के रहते उसकी दाल नहीं गल पा रही थी परंतु अब बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस उसके लिए पलक-पांवड़े बिछाए बैठे नजर आ रहे हैं. हालांकि भारत ने ठोस काउंटर स्ट्रेटेजी बना रखी है बावजूद इसके पोस्ट हसीना युग में चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ मिलकर एक अनौपचारिक रणनीतिक त्रिकोण और यदि इसमें नेपाल को भी जोड़ दें तो चतुर्भुज बनता नजर आता है. चीन इसमें दो कारणों से सफल हो रहा है.
प्रथम- अर्थव्यवस्था तथा उससे निर्मित उसका मजबूत व आधुनिक सैन्य ढांचा. द्वितीय- कम्युनिस्ट रेजिम के अंतर्गत ‘वन पार्टी सिस्टम’ जिसमें पॉवर सेंटर सिर्फ एक ही है. यही दो वजहें हैं जिसके चलते चीन बीआरआई (बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव), डेट डिप्लोमेसी अथवा डेट ट्रैप डिप्लोमेसी के जरिये पूरी दुनिया पर अपना प्रभाव छोड़ने में सफल रहा है.
अपनी सैनिक और आर्थिक ताकत के जरिये चीन प्रशांत क्षेत्र में व्यवस्थागत संतुलन बिगाड़ने की कोशिश में हैं. वह ताइवान को केंद्र में रखकर प्रशांत क्षेत्र में कुछ ज्यादा ही आक्रामक है. लेकिन उसके निशाने पर सिर्फ ताइवान ही नहीं है बल्कि वियतनाम, म्यांमार, ब्रुनेई, फिलीपींस....भी है. यदि वह इस क्षेत्र में अपने मंसूबों में कामयाब हो गया तो इसका प्रभाव केवल प्रशांत क्षेत्र तक ही सीमित नहीं रहेगा बल्कि हिंद महासागर या फिर उससे भी आगे भू-मध्यसागर, कैस्पियन सागर और काला सागर तक भी जाएगा.
अगर ‘एड डाटा’ 2023 की रिपोर्ट देखें तो चीन ने बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआई) के तहत 1.1 ट्रिलियन डॉलर से अधिक के कर्ज उन देशों को दिए हैं जो वित्तीय संकट में हैं और जिनकी कर्ज चुकाने की क्षमता पर सवाल उठ रहे हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो चीन ने डेट ट्रैप और बीआरआई डिप्लोमेसी के जरिये दक्षिण-पूर्व एशिया, पूर्वी एशिया, मध्य-पूर्व और अफ्रीकी देशों में बड़े इन्फ्रा प्रोजेक्ट्स में पैसा लगाकर उनकी संपत्तियों पर ही नहीं सरकारों पर भी नियंत्रण स्थापित कर लिया है या उस स्थिति में पहुंच चुका है.
यह तो एक पक्ष है. दूसरा पक्ष यह है कि उसके कर्जों में छुपे हुए कर्ज (हिडेन डेट) की मात्रा ज्यादा होती है. अब इन हिडेन डेट्स के पीछे चीन की मंशा अच्छी तो नहीं ही होगी.