म्यांमार: चुनौतियों के बीच रिश्तों में संतुलन साधने की कवायद

By शोभना जैन | Published: December 31, 2021 02:39 PM2021-12-31T14:39:55+5:302021-12-31T14:47:18+5:30

यह दौरा इसलिए और भी अहम है क्योंकि म्यांमार में लोकतंत्र के हिंसक दमन चक्र को लेकर वहां का सैन्य शासन अमेरिका व यूरोप जैसी अन्य बड़ी ताकतों सहित कमोबेश दुनिया के काफी देशों के अलगाव के दायरे में है। वहीं भारत ने खास तौर पर पूर्वोत्तर के सीमावर्ती क्षेत्नों में भारत के आंतरिक सुरक्षा सरोकारों सहित द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा किए जाने के साथ-साथ वहां लोकतंत्र की जल्द से जल्द बहाली पर जोर दिया है।

indian foreign secretary visit to myanmar, here is importance of this visit | म्यांमार: चुनौतियों के बीच रिश्तों में संतुलन साधने की कवायद

विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला का इस सप्ताह का म्यांमार दौरा सीमावर्ती पड़ोसी देश के साथ मौजूदा संवेदनशील रिश्तों को लेकर खासा अहम माना जा रहा है।

विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला का इस सप्ताह का म्यांमार दौरा सीमावर्ती पड़ोसी देश के साथ मौजूदा संवेदनशील रिश्तों को लेकर खासा अहम माना जा रहा है। सैन्य सरकार के नेतृत्व वाले इस देश में भारत के विदेश सचिव का दौरा सामयिक चुनौतियों के बीच संतुलन साधने की कोशिश माना जा सकता है। दो फरवरी के सैन्य विद्रोह के बाद पहली बार म्यांमार के सैन्य शासकों के साथ भारत का यह पहला उच्च स्तरीय संपर्क था।

विदेश सचिव श्रृंगला के इस दौरे के जरिये निश्चय ही भारत ने ‘एक्ट ईस्ट’ नीति के महत्वपूर्ण केंद्र, इस दक्षिण पूर्वी एशियाई देश के साथ अपने रिश्तों को लेकर स्पष्ट संकेत दिए हैं। श्रृंगला ने सैन्य प्रशासन से साफ तौर पर वहां ‘जल्द से जल्द लोकतंत्र बहाली’ पर जोर दिया, साथ ही पूर्वोत्तर की सीमा से सटे म्यांमार के रास्ते अपनी भारत विरोधी गतिविधियां चलाने वाले तत्वों को लेकर अपनी चिंता जताते हुए इन विद्रोही तत्वों से निबटने में वहां के सैन्य प्रशासकों के साथ सहयोग को लेकर चर्चा की।

यह दौरा इसलिए और भी अहम है क्योंकि म्यांमार में लोकतंत्र के हिंसक दमन चक्र को लेकर वहां का सैन्य शासन अमेरिका व यूरोप जैसी अन्य बड़ी ताकतों सहित कमोबेश दुनिया के काफी देशों के अलगाव के दायरे में है। वहीं भारत ने खास तौर पर पूर्वोत्तर के सीमावर्ती क्षेत्नों में भारत के आंतरिक सुरक्षा सरोकारों सहित द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा किए जाने के साथ-साथ वहां लोकतंत्र की जल्द से जल्द बहाली पर जोर दिया है।

साथ ही एक अहम कदम बतौर विदेश सचिव ने म्यांमार को स्थिर लोकतांत्रिक और वहां की जनता की आकांक्षाओं के अनुरूप संघीय यूनियन बनाए जाने के प्रयासों को फिर से शुरू करने की पेशकश की। निश्चय ही वहां स्थिरता कायम करने के लिए वहां के विभिन्न वर्गो से अपने पुराने संपर्कों के नाते भारत का यह सुझाव बेहद अहम है, जिससे संकट के समाधान लिए सभी पक्षों से बातचीत की संभावना बन सकती है।

श्रृंगला का म्यांमार दौरा तब हुआ जबकि दो हफ्ते पहले ही नायपियताव की अदालत ने पूर्व स्टेट काउंसलर और नोबल शांति पुरस्कार से सम्मानित आंग सान सू ची को चार साल की कैद की सजा सुनाई थी। अदालत के इस फैसले पर भारत ने गहरी चिंता जताई थी। वैसे सैन्य प्रशासन ने भारतीय विदेश सचिव को जेल में बंद सू ची से मिलने की अनुमति नहीं दी थी, लेकिन कुल मिलाकर देखें तो भारत के आंतरिक सुरक्षा सरोकारों की चुनौतियों के बीच विदेश सचिव का दौरा चुनौतियों के बीच संतुलन साधने की कवायद रही, जो कि मौजूदा स्थितयों में जरूरी था।

दरअसल पूर्वोत्तर में विद्रोही तत्वों से निबटना भारत की एक बड़ी चिंता रही है. म्यांमार के साथ लगती 1643 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा को सुरक्षित करना चिंता के साथ-साथ बड़ी चुनौती है। इस सीमा के कई हिस्से अभी भी खुले हुए हैं, जिससे विद्रोही तत्व भारत विरोधी गतिविधियां, हिंसक कार्रवाई करते हैं. भारत के लिए इस सीमा का महत्व इसीलिए है।

पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों में सक्रि य आतंकी संगठनों पर रोक लगाने के लिए भारतीय सैन्य बलों को इस क्षेत्र में म्यांमार की जरूरत होती है। नवंबर 2021 में म्यांमार की सीमा से सटे मणिपुर के चूड़ाचंदपुर में असम राइफल्स के काफिले पर हुए हमले में पांच लोगों की जानें गई थीं। 

समझा जाता है कि इस दौरे में म्यांमार के जनरल ऑग हेंग से मुलाकात के दौरान विदेश सचिव ने मणिपुर में पिछले दिनों असम राइफल्स के कर्नल विप्लव त्रिपाठी, उनकी पत्नी, छोटे बेटे और चार जवानों के विद्रोही गुटों द्वारा मारे जाने की विशेष तौर पर चर्चा की जिनके बारे में माना जा रहा है कि हमले में शामिल आतंकी संगठनों के सदस्य म्यांमार में छिपे हैं।

म्यांमार के सहयोग से भारत द्वारा इन आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई हुई भी है। भारत का प्रयास है कि इस सहयोग को और मजबूत किया जाए। हाल के वर्षों में म्यांमार के सैन्य प्रशासन का भारत विरोधी इन विद्रोही तत्वों से निबटने में सक्रिय सहयोग रहा है, दरअसल मिजोरम, नगालैंड और मणिपुर की जनजातियों के म्यांमार स्थित सीमावर्ती जनजातियों के साथ नजदीकी रिश्ते हैं, जिससे म्यांमार में सैन्य दमन चक्र के चलते इस क्षेत्र के लोग शरणार्थी बन भारत की सीमा में आ जाते हैं। इसके अलावा मादक द्रव्यों की तस्करी और नकली नोटों की आवाजाही रोकने के लिए भी भारत को म्यांमार के सुरक्षा बलों की मदद चाहिए। 

दरअसल, इस समूचे क्षेत्न में अपनी पैठ बनाने पर तुला ‘चीन फैक्टर’ यहां भी अहम है। म्यांमार में सैन्य सरकार द्वारा लोकतांत्रिक सरकार का तख्ता पलटे जाने और नागरिकों के हिंसक दमनचक्र के मद्देनजर अंतरराष्ट्रीय अलगाव के चलते म्यांमार की सैन्य सरकार का चीन की तरफ झुकाव लगातार बढ़ा है, इसलिए भारत के लिए जरूरी है कि म्यांमार की सैन्य सरकार के साथ संपर्क बनाए रखे। आने वाले समय की नई चुनौतियों में भारत की म्यांमार नीति कैसे आगे बढ़ती है, नजर इस पर रहेगी।

Web Title: indian foreign secretary visit to myanmar, here is importance of this visit

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