रमेश ठाकुर का ब्लॉग: दुनिया में बढ़ती जा रही शरणार्थियों की संख्या

By रमेश ठाकुर | Updated: June 20, 2023 12:58 IST2023-06-20T12:56:46+5:302023-06-20T12:58:43+5:30

पूरी दुनिया की लगभग दो तिहाई शरणार्थी आबादी सिर्फ पांच देशों सीरिया, अफगानिस्तान, दक्षिण सूडान, म्यांमार और सोमालिया में बसी है. भारत में भी कई देशों के लोग शरणार्थी बनकर बसे हुए हैं, जिनमें तिब्बत, भूटान, नेपाल, म्यांमार आदि के शरणार्थी शामिल हैं.

Increasing number of refugees in the world | रमेश ठाकुर का ब्लॉग: दुनिया में बढ़ती जा रही शरणार्थियों की संख्या

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

Highlightsशरणार्थी वे होते हैं जिन्हें युद्ध या हिंसा के कारण अपना घर-बार न चाहते हुए भी मजबूरी में छोड़ना पड़ता है.उन्हें जाति, धर्म, राष्ट्रीयता, राजनीतिक या किसी विशेष सामाजिक समूहों से पीड़ित होना पड़ता है.मौजूदा वक्त में एशिया कुछ ज्यादा ही इससे परेशान है.

पूरी दुनिया की लगभग दो तिहाई शरणार्थी आबादी सिर्फ पांच देशों सीरिया, अफगानिस्तान, दक्षिण सूडान, म्यांमार और सोमालिया में बसी है. भारत में भी कई देशों के लोग शरणार्थी बनकर बसे हुए हैं, जिनमें तिब्बत, भूटान, नेपाल, म्यांमार आदि के शरणार्थी शामिल हैं. शरणार्थी वे होते हैं जिन्हें युद्ध या हिंसा के कारण अपना घर-बार न चाहते हुए भी मजबूरी में छोड़ना पड़ता है. 

उन्हें जाति, धर्म, राष्ट्रीयता, राजनीतिक या किसी विशेष सामाजिक समूहों से पीड़ित होना पड़ता है. मौजूदा वक्त में एशिया कुछ ज्यादा ही इससे परेशान है. शायद ही कोई ऐसा एशियाई मुल्क बचा हो, जहां विगत कुछ वर्षों में म्यांमार के रोहिंग्या न पहुंचे हों. एक बार अपनी जमीन छोड़ने के बाद शरणार्थी फिर आसानी से अपने घर वापस नहीं लौट पाते, उन्हें ताउम्र दर-दर भटकना पड़ता है क्योंकि अब कोई भी मुल्क उन्हें अपने यहां पनाह देने को जल्दी राजी नहीं होता. 

एक वक्त था, जब लोग सिर्फ हिंसा, दंगा या युद्ध के चलते ही अपना देश छोड़ कर शरणार्थी बनते थे. पर अब जातीय और धार्मिक कारणों से भी बेघर होना पड़ता है. संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 4 दिसंबर, 2000 को निर्णय लिया था कि 20 जून को 'विश्व शरणार्थी दिवस' के रूप में मनाया जाएगा. सन् 2001 से इस दिवस को मनाए जाने की शुरुआत हुई. 

शरणार्थी दिवस उन परिस्थितियों और समस्याओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है जिनका शरणार्थी अपने जीवन में सामना करते हैं. यूक्रेन-रूस के बीच एक साल से ज्यादा समय से जारी युद्व के चलते यूक्रेन के लाखों लोग पड़ोसी देशों में शरण लिए हुए हैं. बांग्लादेश के लाखों लोग भारत में अवैध तौर पर रह रहे हैं.

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार हर मिनट करीब 25 लोगों को बेहतर और सुरक्षित जीवन की तलाश में अपना घर छोड़ना पड़ रहा है. ब्रिटिश रेड क्रॉस के नवीनतम आंकड़े बताते हैं कि ब्रिटेन में लगभग 120000 शरणार्थी रह रहे हैं. वहीं भारत में रोहिंग्या सहित बांग्लादेश, नेपाल, तिब्बत जैसे पड़ोसी देशों के करीब बीस लाख लोग बीते काफी समय से रह रहे हैं.

Web Title: Increasing number of refugees in the world

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