कर्ज से कैसे उबरेगा पाकिस्तान, 1998-99 की तख्तापलट की कहानी से जुड़ी हुई हैं आर्थिक संकट की जड़ें 

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: September 4, 2018 12:35 AM2018-09-04T00:35:23+5:302018-09-04T00:35:23+5:30

परमाणु परीक्षण से पहले भी पाकिस्तान बेहद राजकोषीय घाटे एवं व्यापार घाटे की स्थिति से गुजर रहा था। इसी के साथ ऋण की भारी राशि बकाया थी तथा देश में राजनीतिक अस्थिरता के माहौल ने स्थिति को और गर्त में डाल दिया था।

How to overcome Pakistan out of Heavy Debt | कर्ज से कैसे उबरेगा पाकिस्तान, 1998-99 की तख्तापलट की कहानी से जुड़ी हुई हैं आर्थिक संकट की जड़ें 

कर्ज से कैसे उबरेगा पाकिस्तान, 1998-99 की तख्तापलट की कहानी से जुड़ी हुई हैं आर्थिक संकट की जड़ें 

सारंग थत्ते

पाकिस्तान की देनदारी का आंकड़ा बरसों से बढ़ता चला जा रहा है। पाकिस्तान के आर्थिक संकट की जड़ें 1998-99 की तख्तापलट की कहानी से जुड़ी हुई हैं। इससे पहले के दस साल के दौरान पाकिस्तान में सात राजनीतिक पार्टियों ने इस्लामाबाद और रावलपिंडी में राज किया था। 28 मई 1998 को पाकिस्तान ने पांच परमाणु परीक्षण किए और इसकी गूंज पूरे विश्व के आर्थिक बाजारों में पहुंची थी।

परमाणु परीक्षण से पहले भी पाकिस्तान बेहद राजकोषीय घाटे एवं व्यापार घाटे की स्थिति से गुजर रहा था। इसी के साथ ऋण की भारी राशि बकाया थी तथा देश में राजनीतिक अस्थिरता के माहौल ने स्थिति को और गर्त में डाल दिया था। पाकिस्तान की सुरक्षा और रक्षा क्षेत्न के लिए खरीददारी ने उसकी मुसीबत को और बढ़ा दिया था। बजट घाटा बढ़ रहा था और विदेशी कर्ज लेने के सिवाय और कोई चारा नहीं था।

अब तक पाकिस्तान अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए विश्व बैंक और अन्य देशों से कर्ज लेता रहा था। इसके अलावा अमेरिका ने भी पाकिस्तान को आतंकवाद से निबटने के लिए समय-समय पर कर्ज मुहैया किया था। अब एक नए घटनाक्र म में अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली 300 मिलियन डॉलर की रक्षा सहायता को अधर में डाल दिया है। अमेरिका ने इस बात को जोर देकर कहा है कि पाकिस्तान ने आतंकवादियों पर नकेल कसने के काम में कोताही बरती है और मजबूत कदम उठाने में नाकाम रही सरकार ने देश को अब आर्थिक संकट के धरातल तक पहुंचा दिया है।  

पाकिस्तान की संसद में रक्षा बजट पर सबसे ज्यादा खींचातानी होती आई है। विपक्ष सरकार को हमेशा आड़े हाथों लेता रहा है। सेना को दी जाने वाली राशि में पारदर्शिता की मांग हमेशा जोर पकड़ती रहती है, लेकिन आज तक पाकिस्तान संसद में कभी भी खुली चर्चा सैन्य बजट पर नहीं देखी गई है। 

पिछले वर्ष चीन के साथ बनाए जा रहे आर्थिक गलियारे के लिए पाकिस्तान ने भारी राशि देने का ऐलान किया था। पाकिस्तान के विशेषज्ञ मानते हैं कि पाकिस्तान का चालू घाटा बढ़ता जा रहा है और बेरोजगारी की दर छह प्रतिशत को पार कर चुकी है। वहीं अंतर्राष्ट्रीय संस्था ब्लूमबर्ग के अनुसार विगत दो वर्षो में सौ से ज्यादा कारखाने तकरीबन बंद हो चुके हैं, जिससे पाकिस्तान की माली हालत बद से बदतर हो रही है। 

Web Title: How to overcome Pakistan out of Heavy Debt

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