वेद प्रताप वैदिक का ब्लॉग: मदद के बहाने पाकिस्तान को चूना लगा रहा है चीन, इमरान खान 'भीख' माँगने को मजबूर
By वेद प्रताप वैदिक | Published: November 5, 2018 12:21 PM2018-11-05T12:21:12+5:302018-11-05T12:21:12+5:30
चीन का दावा है कि पाक से उसकी दोस्ती अटूट है लेकिन वह उसे भी ठगने से बाज नहीं आता। अपने कर्ज पर 15 से 18 प्रतिशत ब्याज लेता है। इमरान खान प्रधानमंत्नी बनने के पहले इस चीनी कर्ज का कड़ा विरोध करते थे।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्नी इमरान खान की हालत भी कितनी दयनीय है? प्रधानमंत्नी बनते ही उन्हें भिक्षाटन के लिए विदेश जाना पड़ा है। पहले वे सऊदी अरब गए और अब उन्हें चीन जाना पड़ा है। यदि अगले दो माह में उसे अरबों रुपये की मदद नहीं मिली तो उसका आयात बंद हो सकता है। उसके रुपए की कीमत डॉलर के मुकाबले बराबर गिरती जा रही है। विदेशी कर्ज की ब्याज की किश्तें वह नहीं भर पा रहा है। बेरोजगारी और महंगाई बढ़ती जा रही है।
ऐसी खतरनाक स्थिति पहले जब भी सामने आई, अमेरिका ने उसकी मदद के लिए अपना छाता तान दिया लेकिन इस बार डोनाल्ड ट्रम्प ने हाथ खींच लिए हैं। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से भी कर्ज मिलना मुश्किल हो गया है। ऐसे में सऊदी अरब से 6 बिलियन डॉलर का कर्ज पाकर इमरान गदगद हैं। अब चीन में चार दिन का प्रवास निपटाकर उन्होंने 15 समझौतों पर दस्तखत किए हैं।
यों भी चीन अभी तक अपने इस परम मित्न देश को 60 बिलियन डॉलर की मदद कर चुका है। पाकिस्तान हथियार खरीदने पर बेशुमार पैसा खर्च करता है। उसने चीन से अपने आधे से ज्यादा हथियार खरीद डाले हैं।
चीन का दावा है कि पाक से उसकी दोस्ती अटूट है लेकिन वह उसे भी ठगने से बाज नहीं आता। अपने कर्ज पर 15 से 18 प्रतिशत ब्याज लेता है। इमरान खान प्रधानमंत्नी बनने के पहले इस चीनी कर्ज का कड़ा विरोध करते थे। चीनी नेता शी ने उन्हें भरपूर मदद का आश्वासन दिया है जैसा कि वे मालदीव और श्रीलंका के नेताओं को दिया करते थे लेकिन इन दोनों समुद्री देशों को जल्दी ही चीन की चाल समझ में आ गई, वैसे ही पता नहीं पाकिस्तान कब समझेगा?
चीन तभी तक पाकिस्तान को हथेली पर थामे हुआ है, जब तक कि भारत के साथ उसके रिश्ते खट्टे-मीठे हैं। भारत-चीन सद्भाव स्थापित हुआ नहीं कि पाकिस्तान को पता चलेगा कि उसकी फौलादी दोस्ती सूखे पत्तों की तरह झर गई है।