China–India relations: चीन से भरोसेमंद रिश्तों की बंध रही उम्मीद?, 5 वर्ष की चुप्पी के बाद रिश्तों को पटरी पर लाने...

By शोभना जैन | Updated: November 22, 2024 05:59 IST2024-11-22T05:58:02+5:302024-11-22T05:59:27+5:30

China–India relations: रिश्तों को सामान्य बनाने की एक उम्मीद तो बंधी है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या चीन इस बार इस भरोसे को बनाए रखेगा?

China–India relations hope trustworthy relations with China blog Shobhana Jain bring back track after 5 years silence | China–India relations: चीन से भरोसेमंद रिश्तों की बंध रही उम्मीद?, 5 वर्ष की चुप्पी के बाद रिश्तों को पटरी पर लाने...

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Highlightsरिश्तों को सामान्य बनाने की दिशा में एक बार फिर बातचीत के लिए आमने-सामने बैठे.सीमा पर जब तक शांति कायम नहीं होगी, चीन के साथ संबंध सामान्य नहीं हो सकते हैं.चीन के सैनिकों द्वारा किए गए अचानक नृशंस हमले के बाद दोनों देशों के बीच तल्ख रिश्ते और भी तल्ख हो गए थे.

China–India relations: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच पांच वर्ष की चुप्पी के बाद रिश्तों को पटरी पर लाने की जो कवायद कुछ समय पूर्व शुरू हुई, उसी सिलसिले को आगे बढ़ते हुए इस सप्ताह रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और  विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ चीन के रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री के बीच सकारात्मक बातचीत हुई और इसके अनुरूप  कदम  उठाए  जाने को लेकर सहमति बनी. इससे रिश्तों को सामान्य बनाने की एक उम्मीद तो बंधी है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या चीन इस बार इस भरोसे को बनाए रखेगा?

यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब दोनों देश पुरानी कड़वाहट को भुलाकर रिश्तों को सामान्य बनाने की दिशा में एक बार फिर बातचीत के लिए आमने-सामने बैठे. लेकिन भारत का साफतौर पर कहना है कि सीमा पर जब तक शांति कायम नहीं होगी, चीन के साथ संबंध सामान्य नहीं हो सकते हैं.

गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में जून 2020 में भारतीय सैन्य टुकड़ी पर चीन के सैनिकों द्वारा किए गए अचानक नृशंस हमले के बाद दोनों देशों के बीच तल्ख रिश्ते और भी तल्ख हो गए थे.अहम बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच लगभग पांच वर्ष बाद बातचीत से दो दिन पूर्व ही दोनों देशों की सेनाओं ने सीमा पर तनाव कम करने की दिशा में हुई.

सहमति के बाद उस क्षेत्र में डेमचोक और देपसांग में पिछले माह ही अपनी-अपनी सेनाओं को पीछे हटाना शुरू कर दिया, जिससे दोनों देशों के शिखर नेताओं के बीच ब्रिक्स के दौरान कजान में बातचीत का एक सकारात्मक माहौल बनाया जा सका. वार्ता में  दोनों शिखर नेताओं ने आपसी सहमति के अनुरूप एक-दूसरे देश की सेना को विवादास्पद क्षेत्र से पीछे हटाने, गश्त दोबारा शुरू करने सहित  संबंधों को सामान्य बनाने के लिए अनेक स्तर पर द्विपक्षीय वार्ता शुरू करने के निर्देश दिए.

दोनों देशों के बीच हाल ही में जिस तरह से सीमा विवाद के मुद्दे पर पांच वर्ष बाद विशेष प्रतिनिधि स्तर की वार्ता जल्द बुलाने, सीधी उड़ान बहाल करने और मानसरोवर तीर्थयात्रा दोबारा शुरू करने आदि के बारे में सहमति हुई है, उससे सीमा पर शांति बहाल होने की उम्मीद की जानी चाहिए. वैसे भी सीमा विवाद के बावजूद दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंध लगातर अच्छे रहे.

सीमा विवाद के साथ ही दोनों देशों के बीच अनेक अहम विचाराधीन मुद्दे हैं, जिस दिशा में इस तनाव के चलते काम रुका पड़ा है. मसलन नदियों के आंकड़े साझा करने जैसे मुद्दे, जिसका असर भारत को सीमावर्ती क्षेत्र में बाढ़ के प्रकोप के रूप में देखने को मिलता है.

वर्ष 2017 में बाढ़ के आंकड़े इकट्ठा करने वाले केंद्रों को हुए नुकसान का कारण बताकर चीन ने जल विज्ञान संबंधी डाटा साझा करने की प्रक्रिया रोक दी थी. हालांकि बीच-बीच में कुछ समय के लिए डाटा देना चालू किया गया था लेकिन सीमा पर तनाव होने के बाद इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था.

बहरहाल, जिस तरह से दोनों देशों ने संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में कदम उठाने शुरू किए हैं, उससे एक उम्मीद तो बनी है, लेकिन आगे बढ़ने के  लिए जरूरी है कि चीन  भरोसा जगाए, कथनी-करनी में फर्क दूर करे और इस भरोसे को बनाए रखने के लिए अपना विस्तारवादी एजेंडा परे रख कर सीमा पर शांति बनाए रखे.

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