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शोभना जैन का ब्लॉग- 14वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन: साझा हितों पर सहयोग बढ़ाने की कोशिश

By शोभना जैन | Updated: June 27, 2022 09:56 IST

14th BRICS Summit 2022: इस पर जानकारों का मानना है कि चीन ब्रिक्स पर अपनी पकड़ बनाने के लिए इसका विस्तार चाहता है. वह कुछ दक्षिण पूर्वी एशियाई, अफ्रीकी और लातीनी अमेरिकी देशों को साथ मिलाकर ब्रिक्स का संतुलन अस्थिर करना चाहता है.

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ठळक मुद्दे14वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन इस बार वर्चुअल हुआ है। यूक्रेन-रूस युद्ध, शीतयुद्ध के बढ़ते अंदेशों और कोविड जैसे अन्य मुद्दों पर चर्चा हुई है।इसमें पीएम मोदी ने कोरोना के संदर्भ में वैश्विक आर्थिक व्यवस्था को पटरी पर लाने की बात कही है।

14th BRICS Summit 2022: विगत 24 जून को संपन्न ब्रिक्स देशों के 14वें वार्षिक वर्चुअल सम्मेलन पर दुनिया के बड़े देशों की नजरें खासतौर पर रहीं. यूक्रेन-रूस युद्ध, शीतयुद्ध के बढ़ते अंदेशों, कोविड के बाद खस्ताहाल होती विश्व अर्थव्यवस्था को सुधारने, आतंकवाद, संयुक्त राष्ट्र सुधारों जैसे अनेक वैश्विक जटिल मुद्दों की छाया में हुए सम्मेलन में ब्रिक्स के देश यानी ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका नए वैश्विक समीकरणों के बीच इन मुद्दों पर क्या नजरिया अपनाते हैं, नजरें इस पर रहीं. 

ब्रिक्स में भारत-चीन रिशते पर क्या बोलता है रूस

ब्रिक्स का अहम साझीदार होने के नाते भारत की नजरें अन्य वैश्विक मुद्दों के साथ ही इस बात पर थीं कि भारत-चीन सीमा पर पूर्वी लद्दाख में खास तौर पर पिछले दो सालों से बने हुए तल्ख सैन्य गतिरोध की पृष्ठभूमि में चीन ‘संप्रभुता का सम्मान’ किए जाने जैसे मुद्दों पर क्या कहता है, और इस पर रूस की क्या कोई टिप्पणी होती है या नहीं. 

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने जहां सदस्य देशों को गुटबाजी से दूर हटने की सलाह दे डाली, वहीं रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन ने आर्थिक प्रतिबंधों का मसला उठाया, यानी उनकी शिकायत यूक्रेन युद्ध के चलते अमेरिका और यूरोपीय देशों द्वारा रूस के खिलाफ लागू प्रतिबंधों को लेकर थी. 

ब्रिक्स में पीएम मोदी ने क्या कहा

सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन और रूस के उठाए मुद्दों की बजाय कोरोना महामारी के संदर्भ में वैश्विक आर्थिक व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए आपसी सहयोग बढ़ाने पर बल दिया. दरअसल सम्मेलन से जुड़े सवाल यही थे कि क्या इन देशों के बीच अपने राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखते हुए असहमति वाले बिंदुओं के बावजूद साझे हितों वाले मुद्दों पर सहयोग हो सकेगा. 

दुरियों के बावजूद भी विकास के लिए कोशिश करते दिखे देश

साथ ही क्या पहले से चल रहे सहयोग को बढ़ाने पर कुछ सहमति हो सकेगी? सम्मेलन के निष्कर्षों से लगता है कि अलग धुरियों पर कुछ दूरियों के साथ खड़े इन देशों के बीच इस सम्मेलन में नए विकास बैंक को मजबूत किए जाने जैसे कुछ और सकारात्मक कदमों को कुल मिलाकर साझे हितों पर सहयोग बढ़ाने की कोशिश बतौर देखा जा सकता है. 

गौरतलब है कि ब्रिक्स दुनिया के पांच बड़े देशों का समूह है. दुनिया की 41 प्रतिशत आबादी इन देशों में बसती है, जिसकी कुल विश्व व्यापार के 16 प्रतिशत और वैश्विक जीडीपी में 24 प्रतिशत की हिस्सेदारी है.

आखिर क्यों हुआ वर्चुअल ब्रिक्स शिखर सम्मेलन?

जिस स्थिति में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन वर्चुअल स्वरूप में हुआ, उसे इस बात से समझा जा सकता है कि भारत ने इसमें सीधे तौर पर शामिल होने के लिए चीन जाने की बजाय वर्चुअल सम्मेलन का विकल्प इसीलिए चुना था क्योंकि भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में सीमा पर दो सालों से सैन्य गतिरोध बना हुआ है. 

ब्रिक्स सम्मेलन सितंबर 2017 में चीन में हुआ था जिसमें पीएम मोदी शामिल हुए थे. इससे ठीक पहले ही दोनों देशों के बीच डोकलाम गतिरोध खत्म हुआ था. इसके बाद राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री मोदी नवंबर 2019 में ब्राजील में हुए ब्रिक्स सम्मेलन में मिले थे.

ब्रिक्स और चीन को लेकर क्या कहते है जानकार

जानकार मानते हैं कि चीन ब्रिक्स पर अपनी पकड़ बनाने के लिए इसका विस्तार चाहता है. वह कुछ दक्षिण पूर्वी एशियाई, अफ्रीकी और लातीनी अमेरिकी देशों को साथ मिलाकर ब्रिक्स का संतुलन अस्थिर करना चाहता है. ऐसे में अगर इसका स्वरूप बदलने, सकारात्मकता से सहयोग को बढ़ाने की बजाय कुछ गलत निर्णय लिए जाते हैं तो ब्रिक्स निरर्थक हो जाएगा. 

उम्मीद की जानी चाहिए कि कुछ देशों के इस पर हावी होने की बजाय ब्रिक्स की भावना का सम्मान करते हुए आपसी टकराव से दूर रहा जाएगा और आपसी सहयोग बढ़ाने की दिशा में सही मंशा से आगे बढ़ा जाएगा. तभी ब्रिक्स जैसे संगठन मजबूत हो सकते हैं. 

टॅग्स :BRICSरूस-यूक्रेन विवादचीनभारतCorona
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