बांग्लादेश से बिगड़े रिश्तों को पटरी पर लाने की चुनौती?, विदेश मंत्री जयशंकर लगातार कर रहे पहल
By शोभना जैन | Updated: February 24, 2025 09:18 IST2025-02-24T09:16:45+5:302025-02-24T09:18:50+5:30
Bangladesh Crisis: बातचीत ऐसे माहौल में हुई जब बांग्लादेश में भारत विरोधी घटनाओं का सिलसिला थम नहीं रहा है. बीते दिसंबर में भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बांग्लादेश का दौरा किया था.

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Bangladesh Crisis: बांग्लादेश में गत अगस्त में शेख हसीना को सत्ता से हटाए जाने और दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के बीच हाल ही में मस्कट में विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय के सलाहकार तौहीद हुसैन के बीच क्षेत्रीय देशों के मंच ‘बिम्सटेक’ और द्विपक्षीय चुनौतियों व समस्याओं पर चर्चा काफी अहम मानी जा रही है. यह बातचीत ऐसे माहौल में हुई जब बांग्लादेश में भारत विरोधी घटनाओं का सिलसिला थम नहीं रहा है. बीते दिसंबर में भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बांग्लादेश का दौरा किया था.
इसी कड़ी में पिछले दिनों ओमान की राजधानी मस्कट में भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर की बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय के सलाहकार तौहीद हुसैन के साथ मुलाकात हुई. यह बातचीत द्विपक्षीय संबंधों के भावी स्वरूप के अलावा बंगाल की खाड़ी के देशों के बीच तकनीकी और आर्थिक सहयोग बढ़ाने के लिए गठित बिम्सटेक पर मुख्य तौर पर केंद्रित थी.
बांग्लादेश बिम्सटेक की बजाय दक्षिण एशियाई सहयोग संगठन ‘दक्षेस’ को पुनः सक्रिय कर इसे और प्रभावी बनाना चाहता है, जबकि भारत का पक्ष है कि बिम्सटेक देशों के बीच आपसी सहयोग बढ़ाने का अधिक प्रभावशाली मंच बन सकता है. सार्क देशों के क्षेत्रीय ग्रुप में जहां पाकिस्तान शामिल है, वहीं क्षेत्र के सात देशों वाले बिम्सटेक में पाकिस्तान शामिल नहीं हैं.
बिम्सटेक ग्रुप में भारत, श्रीलंका, बांग्लादेश, थाईलैंड, म्यांमार और नेपाल शामिल हैं. भारत के खिलाफ पाक स्थित और समर्थित आतंकी संगठनों द्वारा आतंकी घटनाओं के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान में 2016 में होने वाले 19 वें सार्क शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने से इंकार कर दिया था. उसके बाद कई अन्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों द्वारा भी सम्मेलन में नहीं जाने के बाद शिखर बैठक रद्द कर दी गई.
बिम्सटेक पर बांग्लादेश का पक्ष इसलिए भी अहम है क्योंकि बिम्सटेक की आगामी अप्रैल में प्रस्तावित शिखर बैठक में इसकी अध्यक्षता बांग्लादेश को मिलने वाली है. ऐसे में अहम सवाल है कि अपनी मेजबानी में बांग्लादेश सार्क को पुन: सक्रिय करने की बाबत औपचारिक रूप से क्या पक्ष रखता है और बिम्सटेक कितना मजबूत बनता है.
हालांकि मस्कट बैठक में जयशंकर ने बांग्लादेश के बिम्सटेक के रुख पर भारत की तरफ से दोटूक असहमति जाहिर कर दी थी. ऐसी संभावना है कि अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मो. यूनुस और भारतीय प्रधानमंत्री के बीच अप्रैल में प्रस्तावित बिम्सटेक शिखर सम्मेलन से इतर मुलाकात हो सकती है. ऐसे में निगाहें इस पर रहेंगी कि क्या बांग्लादेश की यूनुस सरकार उसे आपसी संबंधों को पटरी पर लाने का अवसर बनाती है या उसका भारत विरोधी रूख कायम रहता है.