लाइव न्यूज़ :

आसियान मंचः एशिया दौरे में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के निशाने पर रहा भारत

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: November 7, 2025 05:28 IST

ASEAN Forum: मलेशिया, जापान और दक्षिण कोरिया के उनके तूफानी दौरे का कारण दोस्तों व दुश्मनों को अपनी शर्तें मनवाने की मंशा से आयोजित था.

Open in App
ठळक मुद्देट्रम्प का व्यवहार पछतावे की भावना से रहित एक वर्चस्ववादी की तरह का था.अमेरिका ही वैश्विक व्यापार, सुरक्षा और असर तय करता है.दक्षिण पूर्व एशिया के सीमांत में स्थिरता की गारंटी बनी.

प्रभु चावला

आसियान के मंच पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प एक कद्दावर व्यक्ति की तरह पहुंचे. फिर जोश में अपनी मुट्ठियां लहराते हुए वे पारंपरिक नर्तकों की टोली में शामिल हो गए. इस तरह कुआलालंपुर में अपने रूटीन आगमन को उन्होंने अमेरिकी धूम-धड़ाके में तब्दील कर दिया, जिसके दृश्य एक से दूसरे महादेश तक वायरल हुए. जो इलाका लंबे समय से जटिल वैश्विक ताकतों के असर से प्रभावित है,

वहां ट्रम्प का व्यवहार पछतावे की भावना से रहित एक वर्चस्ववादी की तरह का था. मलेशिया, जापान और दक्षिण कोरिया के उनके तूफानी दौरे का कारण दोस्तों व दुश्मनों को अपनी शर्तें मनवाने की मंशा से आयोजित था. अपनी यात्रा के जरिये उन्होंने एकध्रुवीय विश्व का संदेश दिया, जहां अमेरिका ही वैश्विक व्यापार, सुरक्षा और असर तय करता है.

कंबोडिया और थाईलैंड के बीच ऐतिहासिक शांति समझौते का गवाह बनते हुए उन्होंने खुद को एक ऐसे शांतिदूत के रूप में पेश किया, जिसने दशकों पुराने सीमा विवाद का हल निकाला है. ‘यह बहुत बड़ा कदम है, दूसरा कोई यह काम नहीं कर सकता था’, ट्रम्प ने कहा. यह उनका एक ऐसा दांव था, जिससे न सिर्फ दक्षिण पूर्व एशिया के सीमांत में स्थिरता की गारंटी बनी,

बल्कि अमेरिकी कंपनियां भी अब यहां के संसाधनों का अबाध दोहन कर सकेंगी. मलेशियाई प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम से गलबहियां के साथ ट्रम्प ने वहां के उद्यमियों से अमेरिकी बुनियादी ढांचों और टेक कंपनियों में 70 अरब डॉलर के निवेश का आश्वासन भी हासिल किया. इससे जहां अमेरिका में अतिरिक्त रोजगार सृजन होगा, वहीं कुआलालंपुर भी वाशिंगटन से जुड़ा रहेगा.

टोकियो में ट्रम्प ने जापान की पहली महिला प्रधानमंत्री से द्विपक्षीय वार्ता की तथा रक्षा संबंध मजबूत करने का दबाव भी डाला. वहां संवाददाताओं से बातचीत में ट्रम्प ने आदतन शेखी बघारते हुए कहा, ‘जापान हमारा बेहद उपयोगी साझेदार है, लेकिन हम न्यायपूर्ण समझौता करना चाहते हैं, किसी को अनुचित लाभ नहीं दे सकते’.

ट्रम्प के एशिया दौरे का चरम दक्षिण कोरिया में दिखा, जहां चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करने के बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘हम दोनों के बीच शानदार बातचीत हुई- चीन ताकत का महत्व समझता है.’ उन्होंने एक फ्रेमवर्क एग्रीमेंट का भी खुलासा किया, जिसके तहत चीन द्वारा बौद्धिक संपदा और अपने बाजार तक पहुंच देने के वादे के बदले अमेरिका ने चीनी वस्तुओं पर 100 फीसदी टैरिफ लगाने की धमकी वापस ली है. बाद में उन्होंने दक्षिण कोरिया के साथ 18.8 अरब डॉलर के अमेरिकी निर्यात का समझौता किया.

वहां उनका जोर शांति स्थापना और परमाणु मुक्त होने पर था. लेकिन शांति का पुजारी होने का उनका दावा तब खोखला लगा, जब उन्होंने घरेलू नीति में आक्रामकता का परिचय दिया. युद्ध रोकने व वैश्विक स्थिरता स्थापित करने के दावों के बीच ट्रम्प ने जब दशकों से जारी प्रतिबंध के बीच अमेरिका द्वारा परमाणु परीक्षण करने की बात कही, तो यह उनके व्यक्तित्व के विरोधाभास के बारे में बताता था.

आलोचकों का मानना है कि ट्रम्प का यह दौरा एशिया में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कद को कमतर करने की रणनीतिक कोशिश थी. मोदी ग्लोबल साउथ की एक ताकतवर आवाज हैं, जो बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था की बात करते हैं. जी-20 जैसे मंचों के जरिये वह पश्चिमी देशों की वर्चस्ववादी प्रवृत्ति के खिलाफ विकासशील देशों के पक्ष में मजबूती से खड़े हैं.

रूस और यूक्रेन के तनावों के बीच अपने निरपेक्ष रवैये से पश्चिमी टेक कंपनियों का निवेश आकर्षित कर भारत ने खुद को एक लचीले राष्ट्र के रूप में स्थापित किया है, जिसकी तेजी से आगे बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था दुनिया में चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. व्यक्तिगत अहंकार से प्रेरित ट्रम्प की यह यात्रा दरअसल मोदी के इस उभार को रोकने की मंशा से थी और नई दिल्ली को नजरअंदाज कर भारत के पड़ोसियों व प्रतिद्वंद्वियों से संवाद करने के उनके इरादे को बताती थी. मोदी को ‘गहरे दोस्त’ और ‘सख्त आदमी’ कह कर ट्रम्प मोदी को संकट में डालने का काम कर रहे थे.

अपने एशिया दौरे में ट्रम्प ने दक्षिण कोरिया और जापान पर टैरिफ में कमी की. उन्होंने ऐसे समझौते किए, जिससे ऑटोमोबाइल्स और इलेक्ट्रॉनिक्स पर लगे दबाव कम हुए. चरणबद्ध कटौती के जरिये उन्होंने चीन के साथ रिश्ते में नरमी बरतने का भी संकेत दिया. पर भारत को ऐसी कोई राहत नहीं मिली.

भारतीय इस्पात, एल्युमीनियम और टेक्सटाइल्स पर लगे टैरिफ पहले जितने ही ऊंचे हैं. टोकियो में ट्रम्प ने कहा, ‘भारत एक महान देश है, पर उसने हमें भारी चोट पहुंचाई है, इसलिए हमने भी करारा जवाब दिया’. ट्रम्प की यह टिप्पणी उनकी हालिया नीति के अनुरूप ही है, जिसके तहत भारत की निर्यात महत्वाकांक्षा को दंडित किया गया, जबकि दूसरे देशों को पुरस्कृत किया जा रहा है.

ट्रम्प का यह पक्षपाती आचरण दक्षिण पूर्व एशिया में भी दिखा, जहां उन्होंने अमेरिकी निर्यातों पर शुल्क छूट के बदले मलेशिया, थाईलैंड, कंबोडिया और वियतनाम के साथ व्यापार ढांचे की घोषणा की. ट्रम्प ने जान-बूझकर भारत को इससे अलग ही नहीं रखा, बल्कि दक्षिण चीन सागर विवाद के संदर्भ में वियतनाम से वाशिंगटन की नजदीकी भारत को घेरने की अमेरिकी रणनीति के बारे में ही बताती है.

ट्रम्प उन देशों से बेहतर रिश्ते बना रहे हैं, जो भारत के उभार से चिंतित हैं. एशियाई देशों में हुआ उनका भव्य स्वागत अमेरिकी शक्ति के प्रति महादेश के आकर्षण के बारे में ही बताता है. ट्रम्प का यह दौरा क्या भारत को अलग-थलग करने के उद्देश्य से आयोजित था, जो अपनी आबादी की ताकत और नवाचार से लगातार आर्थिक ऊंचाइयों पर पहुंच रहा है?

मोदी को कमतर करने की कोशिश में ट्रम्प ज्यादा ही जोखिम मोल ले रहे हैं. डिजिटल क्रांति और हरित ऊर्जा के क्षेत्र में ऊंची छलांगें लगा रहा भारत निषेध, प्रतिबंध या रोकथाम की परवाह नहीं करता. भारत की साझेदारी मॉस्को से वाशिंगटन तक विस्तृत है, ऐसे में, इसका कद छोटा करने की कोशिश भ्रामक है.

ट्रम्प अपनी मनमानी शैली जारी रखने के लिए स्वतंत्र हैं, पर विश्व में सबसे तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था को अलग-थलग करने की कोशिश में उन्हें झटका लग सकता है. बहुध्रुवीय विश्व का जो सूर्य उग रहा है, मोदी उसके अग्रदूत हैं. लिहाजा ग्लोबल साउथ के उभार के बीच ट्रम्प के एकध्रुवीय विश्व का सपना टूट और बिखर सकता है

टॅग्स :डोनाल्ड ट्रंपअमेरिकाUSAचीनशी जिनपिंग
Open in App

संबंधित खबरें

भारतPutin India Visit: पुतिन ने राजघाट पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी, देखें वीडियो

विश्वTrump Health Report: व्हाइट हाइस ने जारी किया राष्ट्रपति ट्रंप का एमआरआई स्कैन, जानें हेल्थ रिपोर्ट में क्या आया सामने

विश्वअमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के लिए दो तीखे लाल मिर्च..!

कारोबार‘आधी भारतीय’ मेरी ‘पार्टनर’ शिवोन जिलिस?, एलन मस्क ने कहा-बच्चे का नाम नोबेल पुरस्कार विजेता सुब्रमण्यन चंद्रशेखर के नाम पर शेखर रखा

विश्व1 December, 2025: नगालैंड भारत का 16वां राज्य बना, मार्टिन लूथर किंग जूनियर के नेतृत्व में अश्वेत आंदोलन?, एक दिसंबर की तारीख पर दर्ज महत्वपूर्ण घटनाएं

विश्व अधिक खबरें

विश्वपाकिस्तान: सिंध प्रांत में स्कूली छात्राओं पर धर्मांतरण का दबाव बनाने का आरोप, जांच शुरू

विश्वअड़चनों के बीच रूस के साथ संतुलन साधने की कवायद

विश्वलेफ्ट और राइट में उलझा यूरोप किधर जाएगा?

विश्वपाकिस्तान में 1,817 हिंदू मंदिरों और सिख गुरुद्वारों में से सिर्फ़ 37 ही चालू, चिंताजनक आंकड़ें सामने आए

विश्वएलन मस्क की चिंता और युद्ध की विभीषिका