स्वामी राजेंद्र दास महाराज
वर्तमान समय में जब जीवन निरंतर भागदौड़, तनाव और असंतुलन से ग्रस्त होता जा रहा है, ऐसे में यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि क्या पारंपरिक धार्मिक पर्व जैसे शारदीय नवरात्रि आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं? उत्तर है – हां, पहले से कहीं अधिक. नवरात्रि केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह आत्मचिंतन, आत्मानुशासन, स्वास्थ्य सुधार और सामाजिक एकता का अवसर है. यह पर्व हमें याद दिलाता है कि जीवन में शक्ति केवल बाह्य साधनों से नहीं, बल्कि भीतर की साधना और संतुलन से आती है. नवरात्रि का प्रमुख उद्देश्य केवल देवी की पूजा तक सीमित नहीं है,
बल्कि यह भीतर की अशुद्धियों को साफ करने का अवसर भी है. व्रत, उपवास, ध्यान और संयम जैसी विधियां व्यक्ति को नकारात्मकता, तनाव और भ्रम से मुक्त करती हैं. आधुनिक जीवनशैली में जहां मानसिक थकावट आम हो गई है, वहां यह पर्व एक तरह का मानसिक रिफ्रेश बटन साबित होता है.
इन नौ दिनों में किया गया आत्मसंयम, विचारों की शुद्धता और सकारात्मक सोच का अभ्यास मानसिक संतुलन को पुनः स्थापित करता है. यह पर्व बताता है कि मन की शक्ति यदि अनुशासित हो जाए तो जीवन की कोई भी चुनौती बड़ी नहीं रहती. नवरात्रि के दौरान सात्विक और सीमित आहार का सेवन, पानी का भरपूर उपयोग और समय पर भोजन जैसी आदतें शरीर को डिटॉक्स करने में सहायक होती हैं.
यह एक प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति की तरह है, जो बिना किसी दवा के ही शरीर को साफ, स्वस्थ और ऊर्जावान बनाती है. विशेषज्ञ भी मानते हैं कि उपवास और संयमित जीवनशैली पाचन तंत्र को आराम देती है, जिससे कई स्वास्थ्य समस्याएं स्वतः ठीक हो जाती हैं. शरीर, मन और आत्मा तीनों के संतुलन के लिए यह पर्व एक प्राकृतिक थेरेपी जैसा है.
नवरात्रि केवल व्यक्तिगत साधना तक सीमित नहीं है. दुर्गा पूजा, गरबा, डांडिया, रामलीला जैसे आयोजन समाज को एक सूत्र में पिरोते हैं. जब पूरा समाज किसी उत्सव में एक साथ भाग लेता है तो एक विशेष प्रकार की सकारात्मक सामूहिक ऊर्जा का संचार होता है, जो व्यक्ति के आत्मबल और सामाजिक सुरक्षा दोनों को मजबूत करता है.
नवरात्रि की मूल कथा - मां दुर्गा द्वारा महिषासुर का वध - केवल एक पौराणिक घटना नहीं, बल्कि जीवन के संघर्षों पर विजय का प्रतीक है. यह पर्व व्यक्ति को प्रेरणा देता है कि हर असुर (डर, क्रोध, लोभ, तनाव) को मात देने की शक्ति हमारे अंदर ही निहित है. आज का इंसान जितना बाहरी दुनिया से जूझ रहा है, उतना ही अपने भीतर की असुरताओं से भी संघर्ष कर रहा है.
नवरात्रि का पर्व यह याद दिलाता है कि अगर हम अपनी भीतरी ‘शक्ति’ को जाग्रत कर लें, तो कोई भी परिस्थिति असंभव नहीं रहती.कुल मिलाकर नवरात्रि एक दिव्य योग है – धर्म, भक्ति, शक्ति और स्वास्थ्य का. यह पर्व केवल देवी की मूर्तिपूजा नहीं, बल्कि आत्मबल की जागरूकता, मानसिक शुद्धि और जीवन की दिशा को संतुलित करने का माध्यम है.