Sharad Purnima 2025: शरद पूर्णिमा की खीर और आस्था में छिपा विज्ञान 

By योगेश कुमार गोयल | Updated: October 6, 2025 05:45 IST2025-10-06T05:45:51+5:302025-10-06T05:45:51+5:30

Sharad Purnima 2025: कौमुदी पूर्णिमा, कोजागिरी पूर्णिमा और रास पूर्णिमा के नामों से भी जाना जाता है. भारत के विभिन्न प्रांतों में यह पर्व विविध रूपों में मनाया जाता है.

Sharad Purnima Upay 2025 Vrat Katha science behind Sharad Purnima's Kheer and faith How  place kheer prosperity blessings Kojagari Purnima blog Yogesh Kumar Goyal | Sharad Purnima 2025: शरद पूर्णिमा की खीर और आस्था में छिपा विज्ञान 

file photo

Highlightsउत्तर भारत में लोग लक्ष्मी पूजन और खीर की परंपरा निभाते हैं.पश्चिम बंगाल में इसे कौमुदी उत्सव के रूप में मनाया जाता है.  जनमान्यता है कि इस रात आसमान से अमृत की बूंदें बरसती हैं.

Sharad Purnima 2025: सनातन संस्कृति में प्रत्येक पूर्णिमा का विशिष्ट आध्यात्मिक एवं धार्मिक महत्व है किंतु आश्विन मास की पूर्णिमा को सर्वाधिक शुभ, धनदायक और पवित्र माना गया है. यह तिथि वर्ष की उन चुनिंदा रात्रियों में से एक है, जब आकाश में चंद्रमा अपनी संपूर्ण सोलह कलाओं के साथ प्रकट होता है और धरती को अमृतमयी चांदनी से नहला देता है. इस दिन को शरद पूर्णिमा कहा जाता है, जिसे कौमुदी पूर्णिमा, कोजागिरी पूर्णिमा और रास पूर्णिमा के नामों से भी जाना जाता है. भारत के विभिन्न प्रांतों में यह पर्व विविध रूपों में मनाया जाता है.

उत्तर भारत में लोग लक्ष्मी पूजन और खीर की परंपरा निभाते हैं जबकि पश्चिम बंगाल में इसे कौमुदी उत्सव के रूप में मनाया जाता है.  महाराष्ट्र और कर्नाटक में ‘कोजागरी व्रत’ की परंपरा है, जिसमें महिलाएं रात्रि भर जागरण कर भगवान का भजन करती हैं.  ब्रजभूमि में यह पर्व ‘रासोत्सव’ के रूप में मनाया जाता है. कुछ क्षेत्रों में शरद पूर्णिमा को कृषि से भी जोड़ा गया है.

शरद पूर्णिमा का सबसे लोकप्रिय और प्रतीकात्मक पहलू है, अमृतमयी खीर की परंपरा. इस दिन चंद्रमा की पूजा कर उसके समक्ष दूध, चावल और चीनी से बनी खीर को खुले आकाश के नीचे रखा जाता है. जनमान्यता है कि इस रात आसमान से अमृत की बूंदें बरसती हैं और चंद्रमा की शीतल किरणें उस खीर में समा जाती हैं. अगले दिन यह खीर प्रसाद रूप में ग्रहण की जाती है, जिसे ‘अमृत खीर’ कहा जाता है.

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार दूध, चावल और चीनी तीनों चंद्र ग्रह से जुड़े तत्व हैं, जिनमें चंद्रमा की ऊर्जा सबसे अधिक ग्रहण करने की क्षमता होती है. इस परंपरा के पीछे गहन वैज्ञानिक व्याख्या भी है. शरद पूर्णिमा की रात जब चंद्रमा पृथ्वी के समीप होता है, तब उसकी किरणों में पराबैंगनी और अवरक्त किरणों का अनुपात ऐसा होता है कि वे शरीर पर या किसी खाद्य पदार्थ पर स्वास्थ्यवर्धक प्रभाव डालती हैं.

वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो दूध में उपस्थित लैक्टिक एसिड चंद्रकिरणों की ऊर्जा से सक्रिय होकर उसके पोषक तत्वों को और अधिक प्रभावी बनाता है. चावल में मौजूद स्टार्च इस प्रक्रिया को स्थिर करता है, जिससे खीर में अमृततुल्य औषधीय गुण उत्पन्न होते हैं.

यदि यह खीर चांदी के बर्तन में रखी जाए तो उसका प्रभाव और बढ़ जाता है, क्योंकि चांदी स्वयं एक जीवाणुरोधी धातु है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करती है. इसीलिए कहा गया है कि शरद पूर्णिमा की रात रखी गई खीर का सेवन शरीर को शीत ऋतु के लिए तैयार करता है.

Web Title: Sharad Purnima Upay 2025 Vrat Katha science behind Sharad Purnima's Kheer and faith How  place kheer prosperity blessings Kojagari Purnima blog Yogesh Kumar Goyal

पूजा पाठ से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे