लाइव न्यूज़ :

ललित गर्ग ब्लॉग: आत्मशुद्धि और जीवन के उत्थान का पर्व है पर्यूषण

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: September 13, 2023 12:08 PM

पर्यूषण महापर्व-कषाय शमन का पर्व है, जिसमें किसी के भीतर में ताप, उत्ताप पैदा हो गया हो, किसी के प्रति द्वेष की भावना पैदा हो गई हो तो उसको शांत करने का पर्व है।

Open in App

जीवन सभी जीते हैं, लेकिन उसे खुली आंखों से देखते नहीं, जागते मन से जीते नहीं इसीलिए जैन परम्परा में आध्यात्मिक पर्व पयूर्षण को मनाया जाता है। इस वर्ष अंतःकरण की शुद्धि का यह महापर्व 12 से 19 सितंबर, 2023 को मनाया जा रहा है।

जैनधर्म की त्याग प्रधान संस्कृति में पर्यूषण पर्व का अपना अपूर्व एवं विशिष्ट आध्यात्मिक महत्व है. इसमें जप, तप, साधना, आराधना, उपासना, अनुप्रेक्षा आदि अनेक प्रकार के अनुष्ठान से जीवन को पवित्र किया जाता है।

यह अंतर्आत्मा की आराधना का पर्व है- आत्मशोधन का पर्व है, निद्रा त्यागने का पर्व है। सचमुच में पर्यूषण पर्व एक ऐसा सवेरा है जो निद्रा से उठाकर जागृत अवस्था में ले जाता है।

अज्ञानरूपी अंधकार से ज्ञानरूपी प्रकाश की ओर ले जाता है तो जरूरी है प्रमादरूपी नींद को हटाकर इन आठ दिनों में विशेष तप, जप, स्वाध्याय की आराधना करते हुए अपने आपको सुवासित करते हुए अंतर्आत्मा में लीन हो जाएं जिससे हमारा जीवन सार्थक व सफल हो पाएगा।

पर्यूषण पर्व जैन एकता का प्रतीक पर्व है। जैन लोग इसे सर्वाधिक महत्व देते हैं। संपूर्ण जैन समाज इस पर्व के अवसर पर जागृत एवं साधनारत हो जाता है। दिगंबर परंपरा में इसकी ‘दशलक्षण पर्व’ के रूप में पहचान है।

उनमें इसका प्रारंभिक दिन भाद्र व शुक्ल पंचमी और संपन्नता का दिन चतुर्दशी है। दूसरी तरफ श्वेतांबर जैन परंपरा में भाद्र व शुक्ल पंचमी का दिन समाधि का दिन होता है। जिसे संवत्सरी के रूप में पूर्ण त्याग-प्रत्याख्यान, उपवास, पौषध सामयिक, स्वाध्याय और संयम से मनाया जाता है।

पर्यूषण महापर्व-कषाय शमन का पर्व है, जिसमें किसी के भीतर में ताप, उत्ताप पैदा हो गया हो, किसी के प्रति द्वेष की भावना पैदा हो गई हो तो उसको शांत करने का पर्व है।

धर्म के 10 द्वार बताए गए हैं जिसमें पहला द्वार है-क्षमा. क्षमा यानी समता। क्षमा जीवन के लिए बहुत जरूरी है जब तक जीवन में क्षमा नहीं तब तक व्यक्ति अध्यात्म के पथ पर नहीं बढ़ सकता।

पर्यूषण महापर्व का समापन मैत्री दिवस के रूप में आयोजित होता है, जिसे क्षमापना दिवस भी कहा जाता है। इस तरह से पर्यूषण महापर्व एवं क्षमापना दिवस- यह एक दूसरे को निकटता में लाने का पर्व है।

आज हिंसा, आतंक, आपसी-द्वेष, नक्सलवाद, भ्रष्टाचार जैसी ज्वलंत समस्याएं न केवल देश के लिए बल्कि दुनिया के लिए चिंता का बड़ा कारण बनी हुई हैं और लोग इन समस्याओं का समाधान चाहते हैं. उन लोगों के लिए पर्यूषण पर्व एक प्रेरणा है, पाथेय है, मार्गदर्शन है और अहिंसक जीवन शैली का प्रयोग है।

टॅग्स :जैन धर्मत्योहारभारत
Open in App

संबंधित खबरें

विश्वपरमाणु युद्ध हुआ तो दुनिया में सिर्फ दो देशों में ही जीवन बचेगा, लगभग 5 अरब लोग मारे जाएंगे, होंगे ये भयावह प्रभाव, शोध में आया सामने

क्रिकेटIND vs BAN वॉर्म अप मैच की तारीख घोषित, जानें कब और कहां देखें मैच

भारतविदेश मंत्री जयशंकर ने बताई 'मोदी जी ने वार रुकवा दी पापा' के पीछे की असली कहानी, जानें पीएम ने युद्ध रोकने के लिए क्या किया

विश्वप्रमोद भार्गव का ब्लॉग: चाबहार बंदरगाह पर अमेरिका क्यों बेचैन?

क्राइम अलर्टब्लॉग: अपराधी लंबे समय तक नहीं बचता

पूजा पाठ अधिक खबरें

पूजा पाठSaptahik Rashifal (20-26 May 2024): इस सप्ताह मेष, मिथुन और धनु राशिवालों को मौज ही मौज, जानिए सभी राशियों की भविष्यवाणी

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 19 May 2024: आज एकादशी पर इन पांच राशिवालों के लिए बन रहा है धन योग, पढ़ें अपना दैनिक राशिफल

पूजा पाठआज का पंचांग 19 मई 2024: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठMohini Ekadashi 2024: मोहिनी एकादशी व्रत कल, इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से मिटते हैं सारे पाप

पूजा पाठParshuram Dwadashi 2024: क्यों मनाई जाती है परशुराम द्वादशी, क्या है इसका महत्व, जानें इसकी तिथि और समय