ब्लॉग: निष्काम कर्म का संदेश देते श्रीकृष्ण क्यों कहलाए योगेश्वर?

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: August 19, 2022 11:28 IST2022-08-19T11:27:26+5:302022-08-19T11:28:57+5:30

श्रीकृष्ण कई मायनों में अहम हैं. एक कुशल कूटनीतिज्ञ एवं रणनीतिकार होने के साथ-साथ कर्मशीलता को प्रमुखता से प्रोत्साहित करते हैं. कृष्ण सदैव निष्काम कर्म की बात कहते हैं.

Janmashtami, Why is Shri Krishna called Yogeshwar who gives message of Nishkaam Karma | ब्लॉग: निष्काम कर्म का संदेश देते श्रीकृष्ण क्यों कहलाए योगेश्वर?

ब्लॉग: निष्काम कर्म का संदेश देते श्रीकृष्ण क्यों कहलाए योगेश्वर?

डॉ. साकेत सहाय

भगवान श्रीकृष्ण के मानवीय रूप में उनका बहुआयामी व्यक्तित्व दिखाई पड़ता है. बाल सुलभ चंचलता, प्रेम-स्नेह त्याग से भरा व्यक्तित्व, भाईचारा, मित्रता,  समाजोपयोगी नेतृत्व, प्रेरक योद्धा, जीवनोपयोगी प्रेम सभी कुछ से भरा हुआ उनका भाव, विचार और कर्म - इसीलिए वे योगेश्वर कहलाए.

उन्होंने शौर्य और धैर्य का प्रयोग लोक-कल्याण के लिए किया. वे एक कुशल कूटनीतिज्ञ एवं रणनीतिकार थे. उनका प्रेम मानवीय मूल्य आधारित रहा. श्रीकृष्ण में प्रेम व ज्ञान का अद्भुत समन्वय था. श्रीकृष्ण विश्व के पहले प्रबंधन गुरु माने जाते हैं. वे अपने हर रूप में दर्शनीय हैं,  श्रद्धेय हैं.

कर्मयोगी कृष्ण सदैव निष्काम कर्म की बात कहते हैं. मनुष्य का अधिकार मात्र उसके कर्म के ऊपर है. पर वे यह भी कहते हैं कि मन से किया गया कार्य सफलता जरूर देता है. वे धैर्य के साथ कर्मशीलता को प्रोत्साहित करते हैं- कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन. अपने विराट व्यक्तित्व से यह संदेश देते हैं कि अपने लक्ष्य के प्रति सतर्क रहो. उनका हर कदम, प्रत्येक विचार, हर युक्ति उन्हें अपने लक्ष्य के निकट लेकर आते थे. उन्होंने तीन लक्ष्य दिए-

1. परित्राणाय साधुनाम् यानी सज्जनों का कल्याण.
2. विनाशाय च दुष्कृताम् यानी बुराई और नकारात्मक विचारों को नष्ट करना एवं
3. धर्म संस्थापनार्थाय अर्थात् जीवन मूल्यों और सिद्धांतों की स्थापना करना.

योगेश्वर ने तटस्थता का संदेश दिया. वे पक्षपात के विरोधी थे. चाहे मामा कंस का वध करना हो, अग्रज बलराम का विरोध या पांडवों को युद्ध हेतु प्रेरित करना. उन्होंने हमेशा सत्य और न्याय का साथ दिया. उनके प्रबंधन का नियम हमें सभी का विश्वासपात्र और सार्वजनिक सहमति प्राप्ति का मार्ग प्रदान करता है. श्रीकृष्ण कुशल रणनीतिकार के रूप में किसी को कमजोर नहीं समझते. वे एक कुशल रणनीतिकार हैं. 

महाभारत के कई युद्ध प्रसंग इसे सिद्ध करते हैं जैसे दुर्योधन-भीम युद्ध, जरासंध का मल्ल युद्ध आदि. श्रीकृष्ण हर परिस्थिति में अडिग रहने का संदेश देते हैं. हमेशा मृदु एवं सरल बने रहना उनके व्यक्तित्व की विशिष्टता है. 

 

Web Title: Janmashtami, Why is Shri Krishna called Yogeshwar who gives message of Nishkaam Karma

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