परम संत कृपाल सिंह जी महाराज का ब्लॉग: कर्मो के विधान से बंधा है इंसान

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: March 4, 2019 08:15 AM2019-03-04T08:15:52+5:302019-03-04T08:15:52+5:30

जीवन चक्र कहा गया है क्योंकि हमारे द्वारा किए गए कर्मो का फल भोगने के लिए चाहे वे अच्छे कर्म हों या बुरे हमें बार-बार इस संसार जन्म लेना पड़ता है. इस दुनिया में आए सभी पूर्ण संतों ने कर्मो को तीन प्रकार का बताया है. 

Blog of Sant Kripal Singh Ji Maharaj: People bound to Karma's legislation | परम संत कृपाल सिंह जी महाराज का ब्लॉग: कर्मो के विधान से बंधा है इंसान

परम संत कृपाल सिंह जी महाराज का ब्लॉग: कर्मो के विधान से बंधा है इंसान

जीवन का हर कार्य चाहे वह मन से, वचन से या कर्म से किया गया हो कर्म की परिभाषा में आता है. इंसान कर्मो के इस विधान से बंधा हुआ है और इसे ही जीवन चक्र कहा गया है क्योंकि हमारे द्वारा किए गए कर्मो का फल भोगने के लिए चाहे वे अच्छे कर्म हों या बुरे हमें बार-बार इस संसार जन्म लेना पड़ता है. इस दुनिया में आए सभी पूर्ण संतों ने कर्मो को तीन प्रकार का बताया है. 

1़ संचित कर्म - ये वे कर्म हैं (अच्छे या बुरे) जो पिछले अनगिनत जन्मों से जमा हो रहे हैं. मनुष्य इन कर्मो के बारे में अर्थात इनकी संख्या या शक्ति के बारे में अनजान है.

2़ प्रारब्ध कर्म - संचित कर्मो का एक छोटा सा भाग जो मनुष्य का वर्तमान जीवन निर्धारित करता है. कोई इंसान चाह कर भी या कोशिश करके भी इनसे बच नहीं सकता. इन पर इंसान का कोई वश नहीं है. अच्छा या बुरा, जो कुछ कर्मो में लिखा है, उसे हंसकर या रोकर भुगतना ही पड़ता है. हम सब इन पूर्व निर्धारित कर्मो का भार लेकर इस संसार में आते हैं. 

3़ क्रियमान कर्म - ये वे कर्म हैं जिन्हें मनुष्य अपने वर्तमान जीवन में करने के लिए स्वतंत्र है और वह इनके द्वारा अपने भविष्य को संवार या बिगाड़ सकता है. सभी प्राणियों में केवल मनुष्य को विवेक की शक्ति दी गई है, जिसकी मदद से वह स्वयं अच्छे या बुरे का निर्णय कर सकता है. कोई पूर्ण गुरु ही मनुष्य को सदाचारी जीवन जीने की प्ररेणा देता है. किसी का भी बुरा न सोचें, न मन से, न वचन या कर्म से. अपने जीवन में झूठ का सहारा न लें, हमेशा सच बोलें. सभी से प्रेम करें क्योंकि प्रभु सबके हृदय में बसता है. दूसरों से घृणा न करें तथा सभी की नि:स्वार्थ भाव से सेवा करना अपने दैनिक जीवन में शामिल करें. 

इस प्रकार हम देखते हैं कि कर्मो का यह विधान अनेक युग-युगांतर से इसी प्रकार चला आ रहा है, इसका कोई अंत नहीं है लेकिन पूर्ण संत-महात्मा जो इस संसार में आते हैं तो वे हमें समझाते हैं कि हम इन कर्मो के बंधन से आजाद हो सकते हैं. उनके द्वारा ही हमें मालूम होता है कि मनुष्य जन्म वास्तव में एक दुर्लभ अवसर है क्योंकि 84 लाख योनियों में से गुजर कर ही यह मानव चोला हमें प्राप्त हुआ है.

इसीलिए हमें चाहिए कि हम अपने जीवन में किसी ऐसे पूर्ण महापुरुष के चरण-कमलों में पहुंचें जोकि हमारे कर्मो के लिखे को समाप्त करने में समर्थ हैं. उन्हें प्रभु की तरफ से सभी आत्माओं को कर्मबंधन से मुक्त कराने का अधिकार मिलता है. सबसे पहले वे हमें ‘नाम’ की दीक्षा देकर प्रभु की ज्योति और श्रुति के साथ जोड़ते हैं, जिससे कि जन्मों-जन्मों से एकत्रित हमारे संचित कर्मो के भंडार को वह ‘नाम’ की चिंगारी से भस्म कर डालते हैं. इसके अलावा वे मनुष्य के प्रारब्ध को नहीं छेड़ते क्योंकि ये कर्म हमारे जीवन का आधार हैं और इस जीवन में इन्हें भुगतना बहुत जरूरी है. 

Web Title: Blog of Sant Kripal Singh Ji Maharaj: People bound to Karma's legislation

पूजा पाठ से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे