पीएम मोदी की गुलाम नबी आजाद को पेशकश के मायने, हरीश गुप्ता का ब्लॉग

By हरीश गुप्ता | Published: February 11, 2021 12:27 PM2021-02-11T12:27:23+5:302021-02-11T12:28:52+5:30

गुलाम नबी आजाद के लंबे कार्यकाल का जिक्र करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि उनकी सौम्यता, विनम्रता और देश के लिए कुछ कर गुजरने की कामना प्रशंसनीय है.

pm narendra modi sansad ghulam nabi azad rajya shabha bids emotional farewell Harish Gupta's blog | पीएम मोदी की गुलाम नबी आजाद को पेशकश के मायने, हरीश गुप्ता का ब्लॉग

मोदी ने कभी किसी विपक्षी नेता के लिए सार्वजनिक रूप से ऐसा प्रस्ताव नहीं दिया. (file photo)

Highlightsप्रधानमंत्री ने कहा कि आजाद की यह प्रतिबद्धता उन्हें आगे भी चैन से नहीं बैठने देगी.मैं आपको रिटायर नहीं होने दूंगा, मैं आपकी सलाह लेता रहूंगा.आजाद अपने 41 साल के लंबे संसदीय करियर को अलविदा कह रहे हैं.

चाहे यह भावनात्मक प्रतिक्रिया हो या गहरी राजनीति, कोई भी इसकी अनदेखी नहीं कर सकता. गत मंगलवार को राज्यसभा में यह अत्यंत दुर्लभ क्षण था जब पीएम मोदी ने कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद से कहा, ‘‘ऐसा महसूस न करें कि आप अब सदन में नहीं हैं. मैं आपको रिटायर नहीं होने दूंगा, मैं आपकी सलाह लेता रहूंगा. मेरे दरवाजे आपके लिए हमेशा खुले हैं.’’

आजाद अपने 41 साल के लंबे संसदीय करियर को अलविदा कह रहे हैं. यह बात सामने आई है कि गांधी परिवार उनसे कुछ चीजों को लेकर परेशान था, इसलिए उन्हें दोबारा राज्यसभा के लिए नामांकित नहीं किया गया और निस्सहाय छोड़ दिया गया.

इसी पृष्ठभूमि में मोदी की इस पेशकश ने सभी को चौंका दिया. मोदी ने कभी किसी विपक्षी नेता के लिए सार्वजनिक रूप से ऐसा प्रस्ताव नहीं दिया. अपनी ओर से, गुलाम नबी आजाद ने मोदी के साथ अपनी केमिस्ट्री को यह कहते हुए कोई रहस्य नहीं रहने दिया, ‘‘दो लोगों ने हमेशा त्योहारों और मेरे जन्मदिन के दौरान कई सालों तक मुझे बधाई दी - कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और पीएम मोदी.’’

क्या इससे कोई ध्वनि नहीं निकल रही है!!! भाजपा के पास कोई बड़ा मुस्लिम नेता नहीं है और जो हैं भी वे शायद ही इतने बड़े कद के हैं. मोदी के अंतर्राष्ट्रीय भाईचारे के लिए गुलाम नबी अपने व्यापक अनुभव के साथ काफी उपयोगी हो सकते हैं.

पवार और कांग्रेस के बीच अलगाव!

कांग्रेस और एनसीपी के बीच 1999 से ही लव एंड हेट संबंधों का एक लंबा इतिहास रहा है. उन्होंने महाराष्ट्र विकास आघाड़ी सरकार के गठन के लिए अपने मतभेद एक तरफ रख दिए. लेकिन इन दिनों सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है और वे दिन गए जब शरद पवार-राहुल गांधी के बीच मेलजोल था.

पवार नाखुश हैं क्योंकि कांग्रेस ने उन्हें संप्रग का सह-अध्यक्ष बनाए जाने की योजना पर पानी फेर दिया और अब वे अपने रास्ते पर हैं. वे टीएमसी, सपा, वाईएसआर-कांग्रेस, टीआरएस, बीजद, शिवसेना, अकाली दल और अन्य के साथ गठबंधन कर रहे हैं. राहुल द्रमुक, वामदल, आईयूएमएल आदि से ही संतुष्ट हैं. यहां तक कि राजद का रुख भी इन दिनों राहुल गांधी के प्रति ठंडा है.

10 विपक्षी दलों का प्रतिनिधिमंडल सुप्रिया सुले और अन्य के साथ जब दिल्ली की सीमाओं पर किसानों से मिलने गया था, तब भी कांग्रेस को छोड़ दिया गया था. महाराष्ट्र पीसीसी चीफ के रूप में नाना पटोले की नियुक्ति बर्दाश्त के बाहर हो गई. अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस को स्पीकर का पद देने की पवार की अनिच्छा राकांपा की योजना का हिस्सा है. क्या कुछ पक रहा है? देखते हैं!!

सोने की मुर्गी से कमाई का रास्ता बंद!

जब कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) योजना पं. जवाहरलाल नेहरू द्वारा नवंबर 1951 में शुरू की गई थी, तब किसी ने कल्पना नहीं की थी कि यह  अमीरों के लिए सोने का अंडा देने वाली मुर्गी बन जाएगी. यह सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के कर्मचारियों की मदद के लिए था, जिसमें नियोक्ता अपनी तरफ से 12 प्रतिशत हिस्सेदारी का योगदान करते हैं. कर्मचारियों के लिए अपने खातों में धन जमा करने की कोई सीमा नहीं थी. ब्याज से होने वाली आय कर-मुक्त थी जिसकी कोई सीमा नहीं थी.

70 साल तक, अमीर कर्मचारियों ने खूब फायदा उठाया. लेकिन उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि पीएम मोदी के पास खूब पैसा कमाने वालों को पकड़ने की अलौकिक युक्ति है. दिलचस्प बात यह है कि इस योजना के बड़े लाभार्थी जो शीर्ष नौकरशाह हैं, उन्होंने कभी भी इस ओर वित्त मंत्रियों का ध्यान नहीं दिलाया कि अमीर कर्मचारी किस तरह इससे खूब पैसा कमा रहे हैं. पीएम ने विस्तृत रिपोर्ट मांगी और यह जानकर हैरान रह गए कि ईपीएफ में एक कर्मचारी के खाते में सबसे बड़ी एकल जमा राशि 100 करोड़ रुपए से अधिक थी.

यह भी देखा गया कि ऐसे कर्मचारियों ने साल-दर-साल 50-60 लाख रुपए से अधिक की कर-मुक्त ब्याज आय अर्जित की. ऐसे बड़े लाभार्थी कर्मचारियों की संख्या 1.20 लाख है और उनके ईपीएफ खातों में 62500 करोड़ रुपए जमा हैं. ईपीएफ के 5 करोड़ खाताधारक हैं. ईपीएफ के पास 1 फरवरी, 2021 तक सात लाख करोड़ रुपए का कोष था. यह योजना 15000 रुपए मासिक या उससे अधिक कमाने वाले कर्मचारियों के लिए थी. केंद्रीय बजट में अब अधिकतम ब्याज मुक्त आय प्रति वर्ष 2.50 लाख प्रति वर्ष कर दी गई है, जो पहले 50 लाख रुपए थी. रातोंरात कमाई का एक और रास्ता बंद!

पास आते-आते दूर हुए बाइडन

जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपने प्रशासन में प्रमुख पदों पर 20 भारतीय-अमेरिकियों को नामित किया तो इसे भारत और मोदी के नेतृत्व की बड़ी जीत के रूप में देखा गया. लेकिन विेषकों का कहना है कि बाइडेन ने सोनल शाह और अमित जानी जैसे उन लोगों को बाहर कर दिया, जिन्हें आरएसएस-भाजपा का करीबी माना जाता है.

सोनल शाह के पिता ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ बीजेपी-यूएसए के अध्यक्ष थे और आरएसएस संचालित एकल विद्यालय के संस्थापक हैं. बाइडेन के मित्रवत रवैये पर संदेह तब सही साबित हुआ जब बाइडेन प्रशासन के कई करीबी लोगों ने भारत में आंदोलनरत किसानों को अपना समर्थन दिया, जिसमें उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की भतीजी भी शामिल थीं. विदेश मंत्री जयशंकर के लिए यह एक बड़ी चुनौती है.

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