कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2018: क्या योगी आदित्यनाथ साइडलाइन कर दिए गए?
By खबरीलाल जनार्दन | Published: April 4, 2018 07:39 AM2018-04-04T07:39:38+5:302018-04-04T09:25:07+5:30
कर्नाटक में सिद्धरमैय्या को पहली चुनौती देने वाले यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ कहां हैं? क्या वे कर्नाटक में चुनाव प्रचार करेंगे?
कर्नाटक की आबादी में 72 फीसदी अगड़ी जाति के और हिन्दू मतदाता हैं। योगी आदित्यनाथ इनसे सीधा संबंध रखते हैं। योगी आदित्यनाथ कर्नाटक की 224 सीटों में 150 ज्यादा सीटों पर असर डाल सकते हैं। इसलिए जब कर्नाटक में चुनाव की सुगबुगाहट शुरू हुई थी तो बीजेपी ने सबसे पहले योगी आदित्यनाथ को प्रदेश में ठोह लेने के लिए भेजा था। लेकिन अब योगी पूरे कैनवास से गायब नजर आ रहे हैं।
जबकि प्रदेश के कोस्टल एरिया बीजेपी के गढ़ रहे हैं। अगड़ी जातियों और हिन्दू बाहुल्य इलाकों में योगी आदित्यनाथ अहम भूमिका अदा कर सकते हैं, क्योंकि फिलवक्त भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के हिन्दू चेहरा वही हैं। लेकिन लगता है उनके अक्खड़पन बर्ताव और अपने घर में मिली करारी हार ने समीकरण उलट दिए हैं। जबकि हाल ही में योगी आदित्यनाथ गुजरात, त्रिपुरा में बीजेपी के सबसे अहम प्रचारक थे। गुजरात और त्रिपुरा की जिन सीटों पर योगी ने प्रचार किए वहां 90 फीसदी पर बीजेपी जीती। लेकिन अब वे दरकिनार होते नजर आ रहे हैं। (जरूर पढ़ेंः अमित शाह की फिसली जबान, राहुल गांधी समेत तमाम कांग्रेसी वीडियो शेयर करके ले रहे हैं चुटकी)
उत्तर प्रदेश के उपचुनावों से पहले योगी आदित्यनाथ को बीजेपी के प्रचारकों और संगठनात्मक तौर पर भी मोदी के बाद दूसरे भाषण में माहिर नेता के तौर पर देखा जा रहा था। ऐसे में जिस वक्त राहुल गांधी कर्नाटक में गरज रहे हैं। उस वक्त योगी अपने राज्य में 2000 किलोमीटर दूर बैठे प्रदेश की शिक्षा प्रणाली को सुधारने की योजनाएं बना रहे हैं।
जबकि कर्नाटक चुनाव के अंदेशे मात्र पर वे कर्नाटक प्रचार के लिए मैदान में कूद गए थे। कर्नाटक पहुंचे योगी आदित्यनाथ ने पहली ही टक्कर सीधे सीएम सिद्धारमैय्या से ली थी।
I welcome UP CM Shri @myogiadityanath to our state. There is a lot you can learn from us Sir. When you are here please visit a Indira Canteen & a ration shop. It will help you address the starvation deaths sometimes reported from your state. #YogiInBengaluruhttps://t.co/lj0m4fMphC
— Siddaramaiah (@siddaramaiah) January 7, 2018
Thank you for the welcome @siddaramaiah ji. I heard number of farmers committing suicide in Karnataka was highest in your regime, not to mention the numerous deaths and transfer of honest officers. As UP CM I am working to undo the misery and lawlessness unleashed by your allies.
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) January 7, 2018
तब योगी आदित्यनाथ कनार्टक बीजेपी के आंदोलन नवा कर्नाटका परिवर्तन यात्रे में शिरकत करने गए थे। लेकिन ट्विटर पर टॉप ट्रेंड चले #YogiInBengaluru" व #HogappaYogi (आगे बढ़ो योगी)।
लेकिन अब योगी आदित्यनाथ की अगली कर्नाटक यात्रा का कोई अता-पता नहीं है। वे फिर से अपने बूचड़खानों पर रोक, एंटी रोमियो स्क्वॉयड, अवैध खनन पर रोक, अपराधियों को कड़ी सजा, कानून व्यवस्था को पुख्ता करने में समय लगा रहे हैं। अंदरखाने चर्चा है कि उन्हें राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में ध्यान लगाने को कह दिया गया है। ऐसे में कर्नाटक में अब कम ही योगी दिखाई दे सकते हैं।
क्या गोरखपुर सीट हारना योगी को पड़ा भारी?
बीते महीने 14 मार्च को योगी आदित्यनाथ बाहर नहीं निकले। वे देशभर में गाते फिर रहे थे कि बुआ और बबुआ का गठबंधन चोर-चोर मौसेरे भाई वाला है। लेकिन समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबुधन ने बीते 29 सालों से जिस सीट पर गोरखनाथ मठ के अलावा किसी की नजर नहीं पड़ी थी, उस पर कब्जा कर लिया। इतना ही नहीं उनके उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इस्तीफे से खाली हुई फूलपुर सीट पर भी बीजेपी को हार मिली। ये सीट पहली बार साल 2014 के लोक सभा चुनाव में ही जीती थी। (जरूर पढ़ेंः बीएस येदियुरप्पा: दक्षिण भारत में पहली बार भगवा लहराने वाले नेता, बीजेपी और कांग्रेस दोनों को दिखा चुके हैं दम)
इन दो सीटों की हार, 40 साल पहले जनता पार्टी की लहर में धराशाई हो चुकी कांग्रेस की चिकमंगलूर सीट के उपचुनाव में हुई इंदिरा गांधी जीत जैसी है। फरक इतना है कि एक सीट जीतने से पूरे देश में कांग्रेस लौट आई थी। यहां दो सीट हारने से पूरे देश में बीजेपी के पतन की बातें शुरू हो गईं। (कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2018 की ताजातरीन खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
संभवतः यही कारण है कि अमित शाह ने फिलहाल योगी आदित्यनाथ के कर्नाटक जाने पर रोक लगा रखी हो। हालांकि योगी की हठधर्मिता ही उनकी पहचान है, उम्मीद है वे कर्नाटक में जल्द लच्छेदार भाषण करते सुने जाएं। ऐसा नहीं हुआ तो योगी 3डी भाषण भी दे सकते हैं!