चुनावी विश्लेषण- 5: छत्तीसगढ़ में जीत और हार के टर्निंग प्वाइंट्स, बीजेपी से कहां हुई चूक?

By बद्री नाथ | Updated: January 4, 2019 07:38 IST2019-01-04T07:38:41+5:302019-01-04T07:38:41+5:30

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Election Analysis- 5: Turning points of victory and defeat in Chhattisgarh, where did the BJP go wrong? | चुनावी विश्लेषण- 5: छत्तीसगढ़ में जीत और हार के टर्निंग प्वाइंट्स, बीजेपी से कहां हुई चूक?

चुनावी विश्लेषण- 5: छत्तीसगढ़ में जीत और हार के टर्निंग प्वाइंट्स, बीजेपी से कहां हुई चूक?

महेंद्र कर्मा, विद्या चरण शुक्ला जैसे जमीनी नेताओं के मरने और अजीत जोगी के कांग्रेस के कांग्रेस छोड़ने से पहले छत्तीसगढ़ कांग्रेस में काफी गुटबाजी होती रही थी पर जोगी के कांग्रेस छोड़ने और भूपेश बघेल के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद कांग्रेस का ग्राफ काफी तेजी से ऊपर उठा था। कांग्रेस जमीन पर हमेशा बीजेपी के खिलाफ आन्दोलनरत रही थी। अपने जोरदार प्रचार अभियानों से कांग्रेस के खिलाफ जीत दर्ज करने वाली बीजेपी को साधने के लिए कांग्रेस ने हर कदम पर बीजेपी का पीछा किया। बीजेपी ने जब अपने रमन सरकार की उपलब्धियों को जनता के बीच विकास यात्रा के माध्यम से ले जाने की शुरुआत की तो इसके कुछ दिन बाद ही कांग्रेस ने प्रदेश व्यापी विकास खोजो यात्रा के माध्यम से बीजेपी सरकार को घेरना शुरू किया हर एक कदम पर कांग्रेस बीजेपी को पछाडती रही थी। 

गौरतलब है कि रमन सिंह के द्वारा जिन विकास कार्यों का उल्लेख विकास यात्राओं में किया जाता था कांग्रेस की विकास खोजो यात्राओं में सबूत देकर उसपर सवाल खड़े किये जाते थे । इन सभी अभियानों में सरगुजा के महाराज टी एस सिंह देव और कुर्मी नेता और कांग्रेस के अध्यक्ष भूपेश बघेल ने अहम् योगदान दिया था। कांग्रेस यहाँ पर रमन सिंह नें योगी आदित्यनाथ के जरिये भगवा कार्ड खेला था। चावल बाबा के यहाँ पीडीएस घोटाले, पनामा पेपर में सीएम के बेटे अभिषेक के नाम आने के मुद्दे और जनजातियों के लिए किये गए वायदों को पूरा न करने की वजह से  चावल से मोबाइल बाबा बनने पर भी रमन सिंह बुरी  हार से नहीं बच सके। जोगी माया गठजोड़ ने कांग्रेस के बजाए बीजेपी को ज्यादा नुकसान पहुँचाया। जहाँ पर नवाज शरीफ के पनामा पेपर में नाम आने से वहां उनकी सरकार चली गई। वहीं पनामा पेपर में सी एम् के बेटे अभिषेक सिंह के नाम आने के बाद भी सी एम् पर कोई कार्यवाही नहीं हुई इसे कांग्रेस ने काफी प्रमुखता से उठाया। बीजेपी ने अग्ररियन क्राइसिस को मैनेज नहीं किया, दलित ओ बी सी बीजेपी से जोगी की तरफ गया था। 

कांग्रेस जहां 40 फीसदी से 49 फ़ीसदी पर आ गई वहीं बीजेपी 41 फीसदी वोटों  से 32 फ़ीसदी वोटों पर सिमट गई। पहले चरण के मतदान के पहले बीजापुर दंतेवाडा और कांकेर में नक्सली मुद्दे को उठाया गया है। सब कुछ सही करने के लिए चावल वाले बाबा (रमन सिंह ने ) के  मोबाइल बांटने के बाद भी जनता ने इन्हें पूरी तरह से नकार दिया। गौरतलब है कि बस्तर में 2003 व 2008 में जीतने वाले की सरकार बनी थी लेकिन 2013 में बस्तर में हार के बाद भी मैदानी इलाके में जीत के आधार पर सरकार बना ली गई थी। बसपा, माक्सवादी और जनता कांग्रेस के गठजोड़ नें काफी हद तक बीजेपी के वोट बैंक में सेंधमारी की थी। इस साल 1344 किसान कर्ज के कारण दबाव में आने से आत्महत्या की थी। इसे कांग्रेस ने खूब प्रचारित किया गया था  कांग्रेस के नेताओं ने गंगाजल के सौगंध लेकर किसानों के कर्जमाफी का वायदा काफी कारगर रहा।

कहीं राम भक्त बने, कहीं गौशाला खोलने का आश्वासन दिए तो कहीं गंगा मैया का सौगंध खाकर वोट माँगा था। हमेशा की तरह इस बार भी बीजेपी ने अपने कार्यों को गिनाने के बजाए गाँधी नेहरू परिवार पर हमला जारी रखा। कांग्रेस ने 10 दिन के अन्दर कर्ज माफ़ी की बात की तो अजीत जोगी की नेतृत्व वाली जोगी कांग्रेस नें 100 रूपये के स्टाम्प स्टाम्प पेपर में लिख कर 15 दिन के अन्दर कर्ज माफ़ी का वायदा किया। जोगी विश्वास नहीं दिला सके कांग्रेस 15 के बजाए 10 दिन में कर्ज माफ़ी का वायदा करके जनता को विश्वास दिलाने में कामयाब रही। कांग्रेस ने कर्जमाफी के मामले में  बीजेपी के द्वारा की गई गलतियों सुधारते हुए सब कुछ पहले ही क्लियर किया और  2 लाख तक के कर्ज को माफ़ करने का वायदा किया था और सीधे तौर पर 12.50 लाख कर्जदार किसानों को सीधे तौर पर अपनी ओर खींच लिया। 

वोटरों को ग्राहक समझा जा रहा है। पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत कौर बादल में कांग्रेस द्वारा किये गए माफ़ी को बताया इसे मीडिया में भी काफी अच्छा स्पेस मिला जो कि मील का पत्थर साबित हुआ। खेती राज्य सरकार का विषय है लेकिन एमएसपी की घोषणा केंद्र करती है और खरीददारी राज्य सरकार करती है, एमएसपी के मामले में बीजेपी की बहानेबाजी को भी कांग्रेस ने काफी अच्छे तरीके से संबोधित किया। सोशल मीडिया पर कांग्रेस के ज़माने में हुई खाद्य फसलों के दाम में बढ़ोत्तरी को बीजेपी  कांग्रेस ने एवरेज 100 रूपये बढ़ाया इस सरकार में 50 रूपये एवरेज बढ़ाया है। कांग्रेस के आक्रामक प्रचार अभियानों की बात करें तो कांग्रेस ने की बार  तुष्टिकरण की हद पार की आदिवासियों के सपोर्ट पाने के लिए  राजबब्बर ने नक्सलियों को क्रन्तिकारी तक कह डाला था। 

ये लेखक के निजी विचार हैं।

Web Title: Election Analysis- 5: Turning points of victory and defeat in Chhattisgarh, where did the BJP go wrong?

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