Paris Olympics 2024 : ‘शरणार्थी’ नहीं, ये तो ‘महारथी’ खिलाड़ी हैं
By राम ठाकुर | Updated: July 31, 2024 10:59 IST2024-07-31T10:58:18+5:302024-07-31T10:59:07+5:30
रियो-2016 और टोक्यो-2020 की सफलता के बाद आईओसी ने मार्च 2021 में निर्णय लिया था कि ओलंपिक खेलों की इस महान परंपरा को पेरिस ओलंपिक (2024) में भी बरकरार रखा जाएगा.

Paris Olympics 2024 : ‘शरणार्थी’ नहीं, ये तो ‘महारथी’ खिलाड़ी हैं
पेरिस में चल रहे 33वें ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों में जहां दुनिया भर से आए प्रतिभावान खिलाड़ी पदकों की होड़ में बने रहने के लिए अपना सबकुछ दांव पर लगा रहे हैं, वहीं 19 वर्षीय अफगानी जूडो खिलाड़ी सिबगातुल्लाह अरब अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति की शरणार्थी टीम का हिस्सा बनकर सुर्खियां बटोर रहे हैं. मौजूदा ओलंपिक का हिस्सा बनने के लिए सिबगातुल्लाह अरब के संघर्ष की कहानी हम सभी को प्रेरित करती है.
उनके इस संघर्षपूर्ण सफर की शुरुआत 2021 से हुई. पांच देशों में पनाह लेकर 6000 किलोमीटर की बेहद मुश्किल यात्रा करके सिबगातुल्लाह पेरिस ओलंपिक में पुरुषों की जूडो स्पर्धा के 81 किलोवर्ग में अपना जौहर दिखाने को तैयार हैं. मौजूदा खेल महाकुंभ में शरणार्थी ओलंपिक टीम में 11 देशों के कुल 36 खिलाड़ी 12 खेलों में जौहर दिखाने को बेताब हैं जो अब तक का सबसा बड़ा शरणार्थी दल है.
इस दल में शामिल प्रत्येक खिलाड़ी की कहानी सिबगातुल्लाह अरब की तरह बेहद संघर्षपूर्ण है जिनका चयन उन शरणार्थी खिलाड़ियों में से किया गया जिन्हें ओलंपिक समिति ने एक स्कॉलरशिप कार्यक्रम के जरिये समर्थन दिया था. यह पहला अवसर है जब शरणार्थी टीम ओलंपिक झंडे के बजाय खुद के प्रतीक चिह्न और झंडे के साथ शिरकत कर रही है.
शरणार्थियों के बढ़ते वैश्विक संकट को देखते हुए अक्टूबर 2015 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में आईओसी अध्यक्ष थॉमस बाक ने शरणार्थी ओलंपिक टीम के गठन की घोषणा की थी. इसके तहत 2016 के रियो ओलंपिक में शरणार्थियों के दल को शामिल करने का फैसला हुआ. रियो ओलंपिक में 11 हजार एथलीटों के साथ दस सदस्यीय शरणार्थियों के दल को भी हुनर दिखाने का मौका दिया गया.
ये शरणार्थी इथियोपिया, दक्षिण सूडान, सीरिया और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य से ताल्लुक रखते थे. शरणार्थियों को मिल रहे समर्थन को मजबूत करना आईओसी की प्राथमिकता रही है. ओलंपिक शरणार्थी फाउंडेशन के माध्यम से विस्थापित युवाओं को खेल गतिविधियों में शामिल करने के लिए वर्ष के 365 दिन तय किए गए.
इस कार्यक्रम के तहत नेशनल ओलंपिक समितियों के जरिये विभिन्न देशों में रहने वाले शरणार्थी एथलीटों की पहचान करने और उनके प्रशिक्षण, तैयारी और उच्चस्तरीय प्रतियोगिताओं में भागीदारी के दौरान उनका समर्थन करने का अवसर प्रदान करता है. इसका प्रबंधन ओलंपिक रिफ्यूज फाउंडेशन करता है. अक्टूबर 2018 में आईओसी सत्र में फैसला किया गया कि टोक्यो 2020 ओलंपिक में शरणार्थियों की टीम होगी.
रियो के बाद बनाए गए एक कार्यक्रम ‘शरणार्थी एथलीटों के लिए ओलंपिक छात्रवृत्ति’ के माध्यम से 13 देशों के 56 होनहार शरणार्थी एथलीटों को शामिल किया गया. आईओसी शरणार्थी ओलंपिक टीम ने 2020 के टोक्यो ओलंपिक में भाग लिया, जिसमें 29 एथलीटों ने 12 खेलों में प्रतिस्पर्धा की.
रियो-2016 और टोक्यो-2020 की सफलता के बाद आईओसी ने मार्च 2021 में निर्णय लिया था कि ओलंपिक खेलों की इस महान परंपरा को पेरिस ओलंपिक (2024) में भी बरकरार रखा जाएगा.